आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज इस बार अपनी सीट से चुनाव हार गए। ग्रेटर कैलाश विधानसभा सीट से तीन बार चुनाव जीतने वाले सौरभ भारद्वाज ने एक वीडियो जारी करके बताया है कि अब वह एक नया काम करने जा रहे हैं। सौरभ भारद्वाज अब न तो मंत्री रह गए हैं और न ही वह विधायक हैं, ऐसे में उन्होंने यूट्यूबर बनने का फैसला लिया है। सौरभ भारद्वाज ने अपने X हैंडल पर एक वीडियो और अपने चैनल का लिंक पोस्ट किया है। उन्होंने बताया है कि इस चैनल पर वह बताएंगे कि चुनाव हारने के बाद किसी नेता की जिंदगी कितनी बदल जाती है।
सौरभ भारद्वाज AAP के उन नेताओं में हैं जो अन्ना आंदोलन के समय से जुड़े हुए हैं। वह साल 2013 में पहली बार बीजेपी के अजय कुमार मल्होत्रा को चुनाव हराकर विधायक बने और 49 दिन की सरकार में मंत्री भी बने। 2016 में उन्होंने बीजेपी के राकेश कुमार गुलिया और कांग्रेस की शर्मिष्ठा मुखर्जी को हराया था। 2020 में सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी की शिखा रॉय को हराया था। इस बार उन्हीं शिखा रॉय ने सौरभ भारद्वाज को 3188 वोटों के अंतर से चुनाव हरा दिया।
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दोबारा वह मार्च 2023 में मंत्री बने जब मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन जेल गए और उन्होंने अपना मंत्री पद छोड़ दिया था। सौरभ भारद्वाज दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा, बाढ़ नियंत्रण, शहरी विकास और सिंचाई विभाग संभाल चुके हैं।
अब नया काम करेंगे सौरभ भारद्वाज
अपने X पोस्ट में सौरभ भारद्वाज ने लिखा है, 'बेरोजगार नेता, कल से मैं एक नए प्लेटफॉर्म पर आपके बीच आ रहा हूं! अब आप YouTube पर भी मेरे साथ जुड़ सकते हैं, जहां हम हर रोज़ एक नए विषय पर चर्चा करेंगे। साथ ही,आप अपने सुझाव भी साझा कर सकते हैं। कल मिलते हैं नए सफर पर अपनी पहली Video के साथ!'
इस पोस्ट के साथ जारी वीडियो में सौरभ भारद्वाज ने कहा है, '8 फरवरी को चुनाव के जो नतीजे आए, उसके बाद पूरी दिल्ली बदली है। हम जैसे लोग, हमारी तो पूरी जिंदगी जो है, वह 180 डिग्री पलट गई है। आज कहा जा सकता है कि हम वह नेता हैं जो बेरोजगार हो गए हैं। बहुत सारे लोग इस बात को लेकर प्रश्न कर रहे हैं। मैं चाहता था कि आपको इस बारे में बताऊं कि एक चुनाव हारने के बाद एक नेता की जिंदगी में क्या-क्या बदलता है, कैसे-कैसे बदलता है। साथ-साथ आप सबके जो सवाल आ रहे हैं, मैं उनके जवाब भी दूंगा।'
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कौन हैं सौरभ भारद्वाज?
सौरभ भारद्वाज की गिनती AAP के पढ़े-लिखे नेताओं में होती रही है। वह पेश से इंजीनियर रहे हैं। भारतीय विद्यापीठ के कॉलेज ऑफ इंजीनियर से कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग कर चुके सौरभ भारद्वाज ने ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री भी ली है। राजनीति में आने से पहले वह सॉफ्टवेयर कंसल्टेंट के तौर पर काम करते थे।
अन्ना आंदोलन के समय सौरभ भारद्वाज अरविंद केजरीवाल के करीब आए और 2013 से अब तक हर चुनाव में उतरे। यह उनकी पहली हार थी। सौरभ भारद्वाज उन नेताओं में रहे हैं जिन्होंने राजनीति में आने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी।