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क्या फिल्मों की तरह ओटीटी में भी शुरू हो रहा है रिपीट कॉन्टेंट का दौर?

फिल्मों के बाद अब वेब सीरीज में एक ही तरह का कॉन्टेंट दिखाया जा रहा है। इन दिनों छोटे शहरों की मध्यम वर्गीय परिवारों की कहानी का ट्रेंड छाया हुआ है।

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बकैती पोस्टर

आज के समय में सिनेमा देखने का तरीका पूरी तरह से बदल गया है। आज आप घर बैठे फिल्म और वेब सीरीज देख सकते हैं। आपको एंटरटेनमेंट के लिए सिनेमाघर जाने की जरूरत नहीं है। हर हफ्ते विभिन्न ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में और वेब सीरीज रिलीज होती है। हर प्लेटफॉर्म पर अलग अलग जोनर की फिल्में और वेब सीरीज आप आसानी से देख सकते हैं।इस वजह से ओटीटी पर भी कॉम्पटीशन बढ़ रहा है। 

 

पिछले कुछ समय में एक ही तरह के प्लॉट पर कई फिल्मों और वेब सीरीज रिलीज हुई है। इन दिनों छोटे शहरों की मीडिल क्लास परिवारों की कहानियां ओटीटी पर छाई हुई हैं। हाल ही में ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर वेब सीरीज 'बैकाती' रिलीज हुई है। सीरीज में कटारिया परिवार की कहानी को दिखाया गया है जो रोजमर्रा की परेशानियों से जूझते हुए अपने सपनों को पूरा करने की जद्दोजहद करता नजर आता हैं। इस सीरीज का निर्देशन अमित गुप्ता ने किया है। 'बैकती' से पहले 'ये मेरी फैमली',  'गुल्लक', 'द आम आदमी फैमिली', 'पंचायत', 'ग्राम चिकित्साल्य' जैसी तमाम सीरीज रिलीज हो चुकी है।

 

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ओटीटी पर दिखाया जा रहा है रिपीट कॉन्टेंट

छोटे शहरों और गांव की सीरीज से लोग खुद को ज्यादा कनेक्ट कर पाते हैं। उस कहानी को देखते हुए उन्हें लगता है कि यह तो हमारे साथ भी हुआ है या हमने भी ऐसा होते हुए देखा है। उदाहरण के तौर पर टीवीएफ की 'पंचायत' में सबसे पहले गांव के परिवेश को दिखाया गया। इस सीरीज का हर किरदार आइकोनिक हो गया। 'पंचायत' के बाद गांव की कहानियों को फिल्मों में फिर से दिखाया जाने लगा।

 

 

सीरीज के अभी तक 4 सीजन स्ट्रीम हो चुके है। कुछ समय पहले टीवीएफ ने 'ग्राम चिकित्सालय' रिलीज किया था। 'ग्राम चिकित्सालय' में दिखाया गया था कि लोग असली डॉक्टर से ज्यादा झोलाछाप डॉक्टर पर ज्यादा भरोसा करते हैं। साथ ही ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा की बदहाल व्यवस्था को भी दर्शाने की कोशिश की गई थी।

 

टीवीएफ ने वेब सीरीज 'ये मेरी फैमिली' का निर्माण किया था। सीरीज में 90 के दशक के मिडिल क्लास परिवार को दिखाया गया है। इसी तरह एक और सीरीज 'द आम आदमी' फैमिली रिलीज हुई थी। इस सीरीज में भी मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी को दिखाया गया है। 'बरेली की बर्फी', 'बधाई दो', 'अंग्रेजी मीडियम', 'तुम्हारी सुलु', 'दम लगाके हईशा', 'खोसला का घोसला' जैसी फिल्मों में मिडिल क्लास परिवार की कहानी को दिखाया गया है। 

 

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क्यों डिमांड में छोटे शहरों की कहानियां?

दरअसल इस तरह की फिल्मों और वेब सीरीज को देखने वाले ज्यादातर लोग मीडिल क्लास फैमिली से आते हैं। आज के समय में हर किसी के हाथ में मोबाइल है। आप अपने फोन पर हर तरह का कॉन्टेंट देख सकते हैं। छोटे शहरों की कहानियों से हर व्यक्ति खुद को रिलेट करता है। 

 

 

 

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