मलयालम फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' सुर्खियों में है। इस फिल्म से विनेशन विश्वनाथन ने इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। उन्हें नहीं पता था कि उनकी डेब्यू फिल्म समाज में बदलाव लाने का काम करेगी। इस फिल्म से प्रेरणा लेकर केरल के कुछ स्कूलों ने बच्चों के बैठने के पैटर्न में बदलाव किया है। इस मॉडल को कई स्कूलों ने अपनाया है। आइए जानते हैं किस बारे में है फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन'?
इस फिल्म की कहानी स्कूल के बच्चों पर आधारित है। फिल्म की कहानी विनेश, मुरली कृष्णन, आनंद मनमधन और कैलाश एस भवन ने लिखी है। फिल्म में अजू वर्गीस, सैजू कुरुप और जॉनी एंटनी प्रमुख भूमिकाओं में हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि यह फिल्म पिछले साल रिलीज हुई थी लेकिन तब इसका कुछ खास बज देखने को नहीं मिला था। पिछले महीने यह फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म साइना प्ले पर रिलीज हुई जिसके बाद से इसकी चर्चा हर तरफ हो रही है।
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क्यों चर्चा में है स्थानार्थी श्रीकुट्टन?
स्थानार्थी श्रीकुट्टन को बजट लैब प्रोडक्शन के बैनर तले बनाया गया है। फिल्म की कहानी के. आर नारायण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी दो बच्चों के इर्द गिर्द घूमती है जिसमें से एक श्रीकुट्टन है और दूसरा अंबाडी नाम का एक होनहार छात्र है। दोनों बच्चों के बीच में 36 का आंकड़ा होता है। फिल्म में दिखाया जाता है कि एक बैक बेंचर स्टूडेंट क्लास का मॉनिटर बनने के लिए चुनाव लड़ता है।

फिल्म के क्लाइमेक्स में दिखाया जाता है कि कोई भी बच्चा बैक बेंचर नहीं है। सभी बच्चे सेमी सर्कल पैटर्न में बैठे हैं और टीचर सभी बच्चों के बीच में बैठा दिखाई दे रहा है। फिल्म के इसी सीटिंग पैटर्न को केरल के कुछ स्कूलों ने फॉलो किया है। IMDB ने 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' को 6.9 रेटिंग दी है। यह एक कॉमेडी मूवी है जिसमें बच्चों ने शानदार काम किया है।
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फिल्म के निर्देशक विनेशन विश्वनाथन ने कहा, 'वह इस बात से बेहद खुश है कि उनकी पहली फिल्म ने लोगों पर प्रभाव डाला है। उनका कहना है कि हमारी छोटी सी कोशिश रंग लगाई है। हम आगे भी इसी तरह का काम करेंगे'।