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मुंबई को कैसे मिली थी फिल्म सिटी, क्या है बॉलीवुड के बनने की कहानी?

भारतीय सिनेमा को दादा साहेब फाल्के और देविका रानी जो ऊंचाई दी, उसे बॉलीवुड कभी नहीं भूल पाएगा। जिस सिनेमा इंडस्ट्री को आज हम जानते हैं, आइए जानते हैं उसके बनने की कहानी।

Mumbai Film City

बाहर से ऐसा दिखती है मुंबई की फिल्म सिटी. (तस्वीर- www.facebook.com/FilmCityMumbaiMFSCDCL)

भारतीय सिनेमा, आज जैसा नजर आता है, वैसा था नहीं। कम संसाधन, खराब तकनीक, खस्ताहाल थिएटर और शर्मीले दर्शकों के बीच फिल्में बनाना, उन्हें लॉन्च करना बेहद मुश्किल था। थिएटर और प्रोडक्शन हाउस इतने कम थे कि फिल्म बनाना, एक असंभव सा काम था। इन चुनौतियों के बाद भी जब दादा साहेब फाल्के ने पहली बार फीचर फिल्म बनाई उसके बाद हिंदी सिनेमा की तकदीर बदल गई।

आज हिंदुस्तानी सिनेमा की दुनिया में धाक है। पूरी दुनिया की 60 फीसदी फिल्में हिंदुस्तान में बनती हैं। भारत में सिनेमा निर्माण की दिशा में पहला मील का पत्थर ही दादा साहेब फाल्के ने रखा था। जब साल 1913 में वे लंदन में फिल्म मेकर सेसिल हेपवर्थ से फिल्म मेकिंग सीखकर लौटे तो उन्होंने एक फिल्म बनाई। फिल्म थी हिंदुस्तान की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र। 3 मई 1913 को ये फिल्म रिलीज हुई, इसके बाद फिल्म बनने का सिलसिला कभी नहीं रुका।

दादा साहेब फाल्के ने ही मुंबई में एक हिंदुस्तान सिनेमा फिल्म्स नाम से कंपनी बनाई। उन्होंने फाल्के डायमंड कंपनी बनाई। उन्होंने मॉडल स्टूडियो बनाया। उन्होंने टेक्नीशियंस को ट्रेनिंग दी। यहीं से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री की नींव पड़ी। देविका रानी और हिमांशु राय ने 1934 में बॉम्बे टॉकीज बनाई। पृथ्वीराज कपूर और गुरुदत्त जैसे निर्देशकों ने फिल्म जगत को नई दिशा दी।

पहले कहां होती थी फिल्मों की शूटिंग?
1913 से लेकर 1930 तक साइलेंट सिनेमा का दौर रहा। फिर साल 1931 में पहली बार बोलती फिल्म आलम आरा बनी। इस फिल्म को अर्देशिर ईरानी ने बनाया था। इसके बाद 1940 से लेकर 1960 के दशक में देश को कई सुपरस्टार मिले। इस दौरान कई प्रोडक्शन हाउस बने। मुंबई में ही अलग-अलग लोकेशन पर स्टूडियो बने थे, जहां फिल्मों की शूटिंग होती थी। वैसे तो साल 1896 में ही फिल्मों की शुरुआत हो गई थी लेकिन भारतीय सिनेमा की असली शुरुआत 1912 के बाद हुई, जब दादा साहेब फाल्के ने कमान संभाली। 

कब फिल्म सिटी को मिली जगह?
साल 1977 में मुंबई फिल्म जगत की नींव पड़ी। मुंबई के ईस्ट गोरेगांव में फिल्म सिटी को आधिकारिक जगह दी गई। इसका नाम 'दादासाहेब फाल्के चित्रनगरी' है। यह प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है और यहां कई रिकॉर्डिंग रूम हैं। यह संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान परिसर के पास है। साल 2001 में इसका नाम बदलकर दादासाहेब फाल्के चित्रनगरी किया गया था। सिर्फ हिंदी ही नहीं, यहां हर भारतीय फिल्मों की शूटिंग होती रही है। इसे महाराष्ट्र फिल्म, स्टेज एंड कल्चरल डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड के तहत बसाया गया है।

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