टीवी अभिनेत्री नूपुर अलंकार ने करीब 150 सीरियल्स में काम किया है और अपने दमदार अभिनय से घर-घर में पहचान बनाईं। उन्होंने कड़ी मेहनत करके इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई थीं। नूपुर ने 'शक्तिमान', 'घर की लक्ष्मी बेटियां', 'अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो' और 'दीया और बाती हम' जैसे कई हिट शोज में काम किया।
नूपुर ने 4 साल पहले ऐक्टिंग की दुनिया को अलविदा कह दिया था और अब साध्वी की जिंदगी रही हैं। उन्होंने ने साल 2022 में सन्यांसी जीवन को अपनाया और अपना नाम पीतांबरा मां रख लिया। उन्होंने अध्यायत्म की राह तब चुनी जब वह अपनी मां और बहन को खो चुकी थी और लगभग उसी समय पीएमसी बैंक घोटाले के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी। मां और बहन के निधन के बाद नूपुर ने दुनिया से नाता तोड़ लिया। उन्हें सांसारिक जीवन में कोई दिलचस्पी नहीं रही। अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि किन कारणों से आधायत्म की राह को चुना?
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नूपुर अलंकार ने क्यों अपना अध्यात्म?
नूपुर ने कहा, 'जब जीवन में बार-बार कठिनाई आने लगी तो मैंने जिंदगी के विषय के बारे में सोचा। मेरे बचाए हुए पैसे बैंक में फंस गए थे। मेरी मां और बहन की मौत के बाद मेरी आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। मुझे इस सांसरिक जीवन में जीने की कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए जो लोग मुझसे जुड़े थे मैंने उनसे अनुमति ली। वे सभी लोग इसके लिए तैयार थे और फिर मैंने आध्यात्मिक मार्ग को अपनाया।'
नूपुर ने आगे कहा, 'मुंबई छोड़ने के बाद मैंने पूरे भारत में यात्रा करना शुरू कर दिया। लगभग तीन सालों तक मैं गुफाओं, जंगलों और दूरदराज के आश्रमों में रहीं। कुछ ऐसी जगहें भी थी जहां चूहों ने काटा, ठंडा तापमान था लेकिन मुझे वहां भी शांति मिली। मैं आराम के बिना जीवन का अनुभव करना चाहती थी। प्रकृति के करीब रहने से मुझमें स्पष्टता आई।'
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नूपुर ने बताया कि अब वह केवल कुछ कपड़ों और नाममात्र संपत्ति के साथ रहती है। वह महीने भर में 10 हजार से 12 हजार रुपये खर्च करती है। लोगों से भिक्षा मांगकर खाती है। भिक्षा मांगने का काम आपके अंदर के अहंकार को कम करता और विनम्रता को बढ़ाता है। मेरी जिंदगी पहले से आसान हो गई है। अब किसी प्रकार का कोई प्रेशर नहीं है, सिर्फ शांति है।