logo

ट्रेंडिंग:

राजेश खन्ना की मौत के बाद मिले 64 सूटकेस में क्या था? जान लीजिए

लेखक गौतम चिंतामणि ने अपनी किताब 'डार्क स्टार: द लोनलीनेस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना' में उनके जीवन के जुड़े किस्सों का खुलासा किया है।

Rajesh Khanna

राजेश खन्ना (Photo Credit: IMDB)

राजेश खन्ना को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार कहा जाता था। उन्हें लेकर इंडस्ट्री में कहावत चलती थी 'ऊपर आका नीचे काका'। उनकी स्टारडम का जादू ऐसा था कि वह जो भी पहनते थे स्टाइल स्टेटमेंट बन जाता था। उनकी फिल्मों के डायलॉग लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे। राजेश खन्ना को 'अराधना', 'आनंद', 'अमर प्रेम', 'बावर्ची', 'हाथी मेरा साथी' जैसी फिल्मों के लिए आज भी जाना जाता है। हालांकि उनके करियर की शुरुआत जितने चमक धमक के साथ हुई थी। उनके जीवन का आखिरी समय उतने ही अकेलेपन में बिता था। साल 2012 में उनकी कैंसर की वजह से मौत हुई थी।

 

लेखक गौतम चिंतामनी ने अपनी किताब 'डार्क स्टार' में बताया कि राजेश खन्ना अपने जीवन में बहुत अकेले थे। उन्होंने अपनी किताब में खुलासा किया कि वह हमेशा अपने स्टारडम में खोए रहे और जब उनका करियर ढलान पर आया तब भी उन्होंने अपनी शाही जिंदगी जीना नहीं छोड़ा।

 

यह भी पढ़ें- राजा रघुवंशी केस पर बनेगी 'हनीमून इन शिलॉन्ग' फिल्म, कौन है डायरेक्टर?

राजेश खन्ना के घर से मिले थे 64 सूटकेस

चिंतामणि ने अपने किताब 'डार्क स्टार: द लोनलीनेस ऑफ बीइंग राजेश खन्ना' में बताया कि 2012 में राजेश खन्ना की मौत के बाद उनके बंगले आशीर्वाद से 64 सूटकेस मिले थे जो कभी खोले नहीं गए थे। वे जब भी विदेश जाते थे तो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए तोहफे लाते थे लेकिन कई बार वो उन्हें देना ही भूल जाते थे। ये 64 बंद सूटकेस शायद उनकी जिंदगी के उस गहरे अकेलेपन की कहानी कहते हैं जहां तोहफे तो थे पर शायद उन्हें देने का वो रिश्ता या वक्त कहीं खो गया था।

 

राजेश खन्ना की जिंदगी बाहर से जितनी चमकदार दिखती थी अंदर से उतनी ही अकेलेपन से भरी हुई थी। उनका जीवन एक चमकते सितारे की तरह था जो जितनी तेजी से उभरा उतनी ही चुपचाप अंधेरे में खो गया।

 

यह भी पढ़ें-  'राम तेरी गंगा मैली' फेम मंदाकिनी कहां हैं गायब?

राजेश खन्ना ने आखिरी बोला था 'पैकअप'

राजेश खन्ना अपने जीवन का आखिरी पल अस्पताल में नहीं अपने घर आशीर्वाद में बिताना चाहते थे। 18 जुलाई 2012 को उनका निधन हुआ था। उन्होंने अपने आस पास खड़े परिवार वालों को देखा और अपनी जिंदगी का आखिरी डायलॉग धीमी आवाज में बोला, 'टाइम अप हो गया। पैकअप'। उनकी मौत की खबर आते ही बॉम्बे की सड़कों पर सैलाब आ गया। तेज बारिश के बावजूद हजारों लोग उनकी आखिरी यात्रा में शामिल होने के लिए जमा हुए थे। ये वे फैंस थे जो 40 साल बाद भी अपने हीरो को नहीं भूले थे। उनके नौ साल के नाती आरव ने उन्हें मुखाग्नि दी थी।

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap