logo

ट्रेंडिंग:

70-80 के दशक में पीक पर थे राजेश खन्ना, फिर कैसा आया करियर में डाउनफॉल

बॉलीवुड के सुपरस्टार राजेश खन्ना की आज डेथ एनिवर्सरी है। एक दौर जब उनके साथ काम करने के लिए निर्माताओं की लाइन लगी रहती थी लेकिन बाद में उन्हें काम मिलना मुश्किल हो गया था।

Rajesh Khanna

राजेश खन्ना (Photo Credit: Rajesh Khanna Fanpage Insta Handle)

हिंदी सिनेमा जगत में दिलीप कुमार, देव आनंद के बाद राजेश खन्ना का दौर आया था। उन्होंने अपने दमदार अभिनय से कई किरदारों को पर्दे पर जीवंत कर दिया। उनके स्टाइल को लोगों ने अपने फैशन स्टेंटमेट बना लिया था। लड़कियां उन्हें अपने खून से चिट्ठियां लिखती थीं। उनकी हर एक फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार रहता था। उनकी फिल्मों के डायलॉग से लेकर गाने तक लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे। उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी थी। उन्हें 'अराधना' (1969), 'आनंद' (1971), 'अमर प्रेम' (1972), 'बावर्ची' (1972), 'हाथी मेरा साथी' (1971), 'अंदाज' (1971) जैसी तमाम फिल्मों के लिए जाना जाता है। 

 

फैंस उन्हें प्यार से 'काका' कहकर बुलाते थे 18 जुलाई 2012, को उनका कैंसर की वजह से निधन हुआ था। आज उनकी 13वीं पुण्य तिथी है। आइए उनसे जुड़ी दिलचस्प बातों के बारे में जानते हैं।

 

यह भी पढ़ें- 4000 Cr से ज्यादा है 'रामायण' का बजट, कौन हैं निर्माता नमित मल्होत्रा?

राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था

राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। उनका जन्म 29 दिसंबर 1942 में अमृतसर के पंजाबी परिवार में हुआ था। जब उन्होंने फिल्मों में आने का फैसला किया तब उनके चाचा केके तलवार ने उन्हें राजेश नाम दिया था। उनके बायोलॉजिकल पेरेंट्स लाला हीरानंद खन्ना और चंद्रानी खन्ना थे। जब वह बहुत छोटे थे तब उन्हें उनके माता पिता के रिश्तेदार चुन्नीलाल खन्ना और लीलावती खन्ना ने गोद ले लिया था। उन्होंने राजेश खन्ना की परवरिश की थी।

कैसे मिली थी फिल्मों में एंट्री?

राजेश खन्ना अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान ही कॉलेज में थिएटर और ड्रामा करते थे। 1965 में यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेयर द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कॉन्टेस्ट में 10,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया था। इस प्रतियोगिता को राजेश ने फरीदा जलाल के साथ जीता था। इस प्रतियोगिता के जज बीआर चोपड़ा, बिमल रॉय, जीपी सिप्पी, एचएस रैवल, नासिर हुसैन, जे ओम प्रकाश, मोहन सहगल, शक्ति सामंत, सुबोध मुखर्जी समेत अन्य लोग थे। इस प्रतियोगिता को जीतने के बाद जीपी सिप्पी ने राजेश खन्ना को फिल्म 'राज' का ऑफर दिया था लेकिन कुछ कारणों से यह फिल्म बाद में रिलीज हुई।

 

 

उनकी पहली डेब्यू फिल्म 'आखिरी खत' (1966) में रिलीज हुई थी। यह फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली थी लेकिन राजेश खन्ना के काम की जमकर तारीफ हुई थी। यह एक कल्ट क्लासिक मूवी बनी थी जिसे 40वें ऑस्कर अवॉर्ड में भारत की तरफ से फॉरेन लैगवेंज कैटेगरी में भेजा गया था। 'आखिरी खत' के बाद 1967 में फिल्म 'राज' रिलीज हुई। उसे भी दर्शकों का खूब प्यार नहीं मिला था। 1969 में उनकी शर्मिला टैगोर के साथ फिल्म 'आराधना' (1969) रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया था। 

 

यह भी पढ़ें- 'स्त्री' 2 के बाद राजकुमार की फिल्में रही एवरेज, Maalik ने भी तोड़ा दम

70 और 80 के दशक के सुपरस्टार थे राजेश खन्ना

1969 में राजेश खन्ना की 4 फिल्में रिलीज हुई थी। उनकी पहली फिल्म 'खामोशी', 'इत्तेफाक', 'आराधना', 'दो रास्ते','बंधन', 'डोली' रिलीज हुई थी। इन सभी फिल्मों में से 'आराधना' सुपरहिट रही थी। इस फिल्म में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर की केमिस्ट्री ने दिल जीत लिया था। इस फिल्म ने उन्हें स्टार बना दिया।1970 में उनकी फिल्म 'द ट्रेन', 'सच्चा झूठा', 'सफर', 'आओ मिलो सजना' पर्दे पर रिलीज हुई थी। इसी साल 'गुलाबी आंखें', 'अच्छा तो हम चलते हैं' जैसे गानों को दर्शकों ने खूब पसंद किया था। 

 

1971 में उनकी 'कटी पतंग' रिलीज हुई थी। उनकी और आशा पारिक की जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया था। इस फिल्म के सभी गाने हिट रहे थे। इसी साल उनकी और अमिताभ बच्चन की 'आनंद' रिलीज हुई थी। इस फिल्म के गाने और डायलॉग ने लोगों को रुला दिया था। 'अंदाज', 'हाथी मेरी साथ', 'मर्यादा', 'छोटी बहू', 'बदनाम फरिश्ते' रिलीज हुई थी। 3 साल में उनकी 18 फिल्में रिलीज हुई थी जिसमें से 15 फिल्में सुपरहिट रही थी।

 

1972 में उनकी 'दुश्मन', 'अमर प्रेम', 'अपना देश', 'बावर्ची', 'मेरे जीवन साथी' समेत 10 फिल्में रिलीज हुई थी। 1973 में राजेश खन्ना ने डिंपल कपाड़िया से शादी की थी। उसी साल उनकी बेटी ट्विंकल की जन्म हुआ था। इस साल उनकी 3 फिल्में रिलीज हुई थी। 1974 में उनकी 'हमसक्ल', 'आप की कसम', 'प्रेम नगर', 'अजनबी', 'अविष्कार' और 'रोटी कपड़ा और मकान' रिलीज हुई थी।

1976 से 1982 तक करियर में आया था डाउनफॉल

1975 में इमरजेंसी की वजह से उनकी एक फिल्म 'प्रेम कहानी' रिलीज हुई थी। उसके बाद 1976 में 'महा चोर', 'महबूबा', 'बुंदल राज' रिलीज हुई थी। 1977 में उनकी 7 फिल्में रिलीज हुई थी जिसमें से सिर्फ एक फिल्म 'अनिरोध' चली थी। 1978 से लेकर 1982 तक उनकी फिल्मों ने कुछ खास कमाल नहीं किया। 1982 में राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया अलग हो गए थे लेकिन दोनों ने कभी आधिकारिक रूप से तलाक नहीं लिया।

1982 में राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया हो गए थे अलग

रिपोर्ट के मुताबिक दोनों के अलग होने का कारण राजेश खन्ना का टीना मुनीम से अफेयर को बताया गया था। हालांकि राजेश खन्ना या डिंपल ने इन खबरों पर कभी कोई रिएक्शन नहीं दिया था। एक इंटरव्यू में डिंपल ने अपने और राजेश खन्ना के रिश्ते के बारे में बात करते हुए कहा था कि हमारा रिश्ता उतार चढ़ाव भरा  रहा था। राजेश खन्ना ने कभी मेरी तारीफ नहीं की। उन्होंने ना कभी मेरे साथ अपनी खुशी बांटी और ना ही कोई गम। हालांकि दोनों का कभी आधिकारिक रूप से तलाक नहीं हुआ था।

 

1983 में किया था कम बैक

1983 उनके करियर के लिए अच्छा रहा। इस साल उनकी 4 में से 3 फिल्में हिट हुई थी। 1985 से उनकी 10 फिल्में रिलीज हुई थी। 1986 से 1989 में उनकी फिल्मी करियर ठीक ठाक रहा।1990 में उनकी गोविंदा के साथ 'स्वर्ग' रिलीज हुई थी।

क्या घमंडी थे राजेश खन्ना

राजेश खन्ना अपनी लेट लतीफे के लिए मशहूर थे। वह अपने मन के हिसाब से सेट पर शूटिंग करने आते थे। हालांकि उन्होंने 2022 में अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह अगर सेट पर लेट आते थे तो इतने प्रोड्यूसर्स उनके साथ क्यों काम करते। 

कैसे बर्बाद हुआ था स्टारडम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1975 के बाद भारत में फिल्मों का दौर बदला। रोमांटिक फिल्मों की जगह एंग्रीमैन यंग का दौर आया। राजेश खन्ना हमेशा से रोमांटिक हीरो थे। उन्होंने कुछ ऐक्शन वाली फिल्में भी की थी लेकिन वह नहीं चली। उस समय अमिताभ बच्चन की फिल्म 'दीवार', 'जमीर', 'डॉन, 'कालिया' जैसी फिल्मों का दौर आ गया था।

 

फिल्मों के बाद राजनीति में आए थे राजेश खन्ना

1991 में उन्होंने नई दिल्ली सीट से लोकसभा का चुनाव एल. के आडवाणी के खिलाफ लड़ा था हालांकि वह चुनाव हार गए थे। बाद में एल.के आडवाणी ने नई दिल्ली सीट से इस्तीफा दे दिया था। 1992 में दिल्ली की सीट पर उपचुनाव हुआ हुआ और इस चुनाव में राजेश खन्ना के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा खड़े थे। राजेश खन्ना ने चुनाव जीता था। 1992 में उन्होंने अपने एक्टिंग करियर से ब्रेक ले लिया था। वह 1992 से 1996 तक नई दिल्ली सीट के सांसद थे। 2000 के दशक में वह कुछ फिल्मों में नजर आए थे लेकिन उन्हें वैसे फेम नहीं मिला। वह टीवी पर आखिरी बार हैवेल्स के विज्ञापन में नजर आए थे।

Related Topic:

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap