हिंदी सिनेमा में एक ऐसा दौर था जब हीरो से ज्यादा विलेन के कैरेक्टर को दर्शक याद रखते हैं। उस दौर में विलेन के डायलॉग्स लोगों की जुबान पर चढ़ जाते थे। आज हम आपको बॉलीवुड के उस स्टार्स के बारे में बता रहे हैं जिसका दबदबा हीरो से ज्यादा था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत पंजाबी फिल्मों में बतौर हीरो की थी और बाद में हिंदी फिल्मों में विलेन का रोल प्ले किया। 1940 के दशक में उन्होंने हिंदी फिल्मों में एंट्री ली। उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी थी। क्या आप जान पाए उस एक्टर का नाम?
आपने फिल्म जंजीर का ये डायलॉग तो सुना ही होगा जब तक बैठने के लिए ना कहा जाए। शराफत से खड़े रहो। अब याद आया। अगर नहीं तो हम बताते हैं। हम बात कर रहे हैं एक्टर प्राण किशन सिंकद की। उन्होंने फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत निगेटिव रोल के साथ की थी। अपनी दमदार एक्टिंग के बल पर वह निर्देशक और निर्माता की पहली पसंद बन गए। 1960 और 1970 के दशक में एक्टर बॉलीवुड के टॉप एक्टर्स से ज्यादा फीस लेते थे।
ए लिस्टर स्टार्स से ज्यादा पैसे लेते थे प्राण
प्राण को निर्माता अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, धर्मेंद्र, सुनील दत्त और जीतेंद्र से ज्यादा पैसे देते थे। एक समय में जंजीर एक्टर ने राजेश खन्ना को भी पीछे कर दिया था और सबसे ज्यादा फीस लेने वाले एक्टर बन गए थे। उन्होंने अपने करियर में राम और श्याम, कश्मीर की कली, मधुमती, जिस देश में गंगा बहती है, शहीद, उपकार, जंजीर समेत कई हिट फिल्में दी थी।
एक्टर से डरती थीं महिलाएं
एक्टर ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, विलेन के किरदार की वजह से लोग मुझसे असल जिंदगी में डरने लगे थे। एक बार मैं किसी के घर दिल्ली में चाय पर गया था। उसकी छोटी बहन ने मुझे अजीब तरह से देखा। फिर मेरे दोस्त ने मुझे कॉल करके बताया था कि मेरी बहन मुझसे लड़ रही थी कि मैं गंदे आदमी को घर लेकर क्यों आया। प्राण के अलावा भी कई खलनायक का रोल निभाने वाले स्टार्स इस तरह की बातें कह चुके हैं। उनका कहना था कि लोग हमें रियल लाइफ में उसी तरह का मान लेते थे।
80 और 90 के दशक में प्राण ने फिल्मों में सपोर्टिंग कैरेक्टर करना बंद कर दिया। 1998 में उनके हार्ट अटैक आया और उसके बाद वो चुनिंदा ही फिल्मों में नजर आते थे। 2013 में एक्टर ने 93 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था।