तमाम मुस्लिम देशों से घिरा इजरायल यहूदियों का देश कहा जाता है। इस समय हमास के लड़ाकों से युद्ध लड़ रहा इजरायल एक बार चौतरफा घिर गया था। मुस्लिम देशों ने चौतरफा हमला करके यह योजना बनाई थी कि वे इजरायल और वहां के यहूदियों को खत्म कर देंगे। हालांकि, न तो इजरायल खत्म हुआ और न ही इन देशों के मंसूबे कामयाब हुए। इजरायल ने इस युद्ध में इन देशों को करारा जवाब तो दिया ही, अपने युद्ध कौशल और हिम्मत से दुनिया के सामने ऐसा उदाहरण पेश कर दिया कि पूरी दुनिया उसका लोहा मानने लगी। इजरायल ने इन 8 देशों को सिर्फ 6 दिन के युद्ध में हरा दिया और इन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यही वजह है कि आज भी इजरायल को सबसे मजबूत और खूंखार देशों में गिना जाता है।
दरअसल, इजरायल धीरे-धीरे यहूदियों का देश बन रहा था। साल 1948 में इजरायल ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। मुस्लिम देश इसी से चिढ़ गए और इजरायल पर प्रतिबंध थोपने लगे। इन पड़ोसी देशों ने इजरायल की नाम में दम कर दिया था। वे बार-बार इजरायल जहाजों को बंदी बना लेते या व्यापारिक प्रक्रिया रोक देते थे। आखिरकार तंग आकर इजरायल युद्ध करने उतर गया। अरब देशों को लगता था कि इजरायल तो छोटा सा और कमजोर है उसे जल्दी से मसल देंगे। यहीं उनसे गलती हो गई और इजरायल ने इतिहास रच दिया।
इजरायल ने सबको चौंका दिया
5 जून 1967 को इजरायल के खिलाफ मिस्र, इराक, कुवैत, सीरिया, सऊदी अरब, अल्जीरिया, सूडान और जॉर्डन ने हर तरफ से हमला बोल दिया। सीरिया, जॉर्डन और मिस्र सीधे युद्ध लड़ रहे थे और बाकी के पांच देशों ने या तो अपने सैनिक भेजे थे या फिर हथियार दे रहे थे। 5 जून को ही इजरायल ने अपने 400 लड़ाकू विमान भेजे औऱ मिस्र पर ताबड़ोड़ हमला बोल दिया और उसकी हवाई सैन्य शक्ति तबाह कर दिया। तीसरे ही दिन यानी 8 जून को मिस्र और जॉर्डन युद्ध विराम पर सहमत हो गए। 9 जून को युद्धविराम की शर्त पर सीरिया भी सहमत हो गया।
6 दिनों के युद्ध में ही अरब की सेना के 15 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए। वहीं, इजरायल के भी एक हजार से ज्यादा सैनिकों की जान चली गई। इजरायल ने 70 हजार किलोमीटर इलाके पर कब्जा जमा लिया। हवाई हमलों के बीच इजरायल ने सीरिया के लड़ाकू विमानों को मार गिराया।
नतीजा यगह हुआ कि सिर्फ 6 दिनों में ही इजरायल ने मिस्र का सिनाई प्रांत, वेस्ट बैंक, गाजा और पूरे गोलन हाइट्स पर कब्जा जमा लिया। हालांकि, बाद में हुए समझौतों की वजह से कुछ हिस्सा उसने लौटा भी दिया। इस युद्ध के बाद मिडल ईस्ट की पूरी राजनीति ही बदल गई और इजरायल एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरा।