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युवा खो बैठे चैन! नौकरी के चक्कर में एंटी डिप्रेशन पिल्स खा रहे बैंकर

कंपनियों में काम के बोझ तले अमेरिका के युवा दवाईयां लेने पर मजबूर हो रहे हैं। कई युवा एक दिन में 20 से 22 घंटे तक काम कर रहे हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। Source- Meta AI

ज्यादा ऑफिस आवर्स को लेकर पूरी दुनिया में बहस छिड़ी हुई है क्योंकि कंपनियां मानक काम के घंटों के अलावा भी लोगों से काम करवा रही हैं। कंपनियों के इस कल्चर ने युवाओं के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लेकिन अमेरिका के युवा बैकरों को लेकर आई एक रिपोर्ट डराने वाली है। 

वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, लगातार काम और भागदौड़ करने से अमेरिका के युवा बैंकर संकट के मुहाने पर पहुंच गए हैं। कुछ बैंकर तो 22 घंटे से भी ज्यादा समय तक काम कर रहे हैं अधिक समय तक काम करने वाले कठिन कार्यदिवसों से बचने के लिए अपने डेस्क पर 'एडरॉल' को सूंघने का सहारा ले रहे हैं। एडरॉल का इस्तेमाल आमतौर पर ध्यान की कमी हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के इलाज के लिए किया जाता है। 

बैंकरों के बीच बढ़ रहा चलन

दरअसल, एडरॉल और वायवेन्स जैसी प्रिस्क्रिप्शन दवाओं के साथ-साथ हाई कैफीन एनर्जी ड्रिंक का इस्तेमाल अमेरिकी युवा बैंकरों के बीच बढ़ रहा है। न्यूयॉर्क में निवेश बैंकिंग की दिग्गज कंपनी क्रेडिट सुइस में इंटर्नशिप करने वाले मार्क मोरन ने एडरॉल का सेवन कर रहे हैं। जबकि मनोवैज्ञानिक को नहीं लगता कि मार्क को उन्हें हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर है। उन्होंने बताया कि उन्हें हफ्ते में 90 घंटे काम करने के लिए एडरॉल चाहिए होता है।

इस साल की शुरुआत में बैंक ऑफ अमेरिका के 35 साल के निवेश बैंकर लियो ल्यूकेनास की कोरोनरी धमनी थ्रोम्बस (acute coronary artery thrombus) से मौत हो गई। इसी तरह से पूर्व अमेरिकी सैनिक ल्यूकेनस 2 बिलियन डॉलर के अधिग्रहण प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए नियमित रूप से 100 घंटे काम कर रहे थे, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई।

भारी काम दे रहा बैंक ऑफ अमेरिका

वॉल स्ट्रीट जर्नल की जांच में पता चला कि बैंक ऑफ अमेरिका ने अपने कर्मचारियों को खतरनाक रूप से भारी भरकम काम दे रहा है। कंपनी अपनी ही बनाई गई नीतियों की नजरअंदाज कर रही है। हालांकि इस खुलासे से मॉर्गन स्टेनली जैसी बड़ी कंपनियों ने काम करने के घंटों को घटाया तो है लेकिन समय घटाने के बावजूद भी जूनियर बैंकरों को हफ्ते में अधिकतम 80 घंटे काम करना होगा। 

यही नहीं जर्नल की रिपोर्ट में सामने आया है कि कई प्राइवेट सेक्टर्स में लोग ज्यादा काम करने की वजह से एडरॉल जैसे पदार्थों पर निर्भर हो रहे हैं।

इस तरह से शिकार हो रहे युवा

ऐसे ही लंसफोर्ड नाम के एक शख्स ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को अपनी कहानी बताई। उसने कहा कि वह वाशिंगटन से डेनवर तक लगातार बिजनेस यात्राएं कर रहा था। यहग सिलसिला पूरे एक महीने तक चला। वह सुबह 6 बजे उठकर फ्लाइट पकड़ता था, इसके बाद वह डेनवर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट लेता था। डेनवर पहुंचने के बाद वह कस्टमर्स से मिलता था और फिर आठ घंटे की पीपीटी प्रजेंट करता था। 

एडरॉल पर निर्भर एक और युवा

लंसफोर्ड ने आगे कहा कि हफ्ते में यह रूटीन नियमित रूप से 20-22 घंटे का दिन होता था। यह कुछ ऐसा है जिसके लिए मैं तैयार नहीं था, मैं ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता और निर्णय नहीं ले पाता था। अंत में मुझे एडरॉल लेना पड़ा। साल 2020 में सैन फ़्रांसिस्को में वेल्स फार्गो के लिए हेल्थकेयर इन्वेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम करने वाले जोना फ़्रे ने बताया कि अपने काम को करने के लिए एडरॉल पर निर्भर था।

यह कहानी किसी एक अमेरिकी युवा की नहीं है बल्कि लाखों की तादात में युवा कंपनियों के काम के दबाव के चलते अपनी जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। 

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