बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन हो गया है। मंगलवार सुबह उनका निधन हो गया। उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने उनके निधन की पुष्टि कर दी है। खालिदा जिया लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं। 80 साल की खालिदा जिया ने मंगलवार सुबह 6 बजे अंतिम सांस ली।
खालिदा जिया लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने उनके डॉक्टरों के हवाले से बताया है कि उन्हें लिवर सिरोसिस, गठिया, डायबिटीज, सीने और दिल की बीमारियां थीं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के मीडिया सेल ने फेसबुक पोस्ट कर उनके निधन की जानकारी दी। BNP ने पोस्ट कर बताया, 'हमारी प्यारी राष्ट्रीय नेता बेगम खालिदा जिया अब हमारे बीच नहीं रहीं। वह आज सुबह 6 बजे हमें छोड़कर चली गईं।'
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36 दिनों से चल रहा था इलाज
खालिदा जिया काफी लंबे समय से बीमार थीं। हार्ट और लंग्स में इन्फेक्शन के कारण 23 नवंबर को उन्हें भर्ती कराया गया था। वह 36 दिनों से इलाज करवा रही थीं।
BNP ने एक बयान में कहा, 'BNP चेयरपर्सन और पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय नेता बेगम खालिदा जिया का आज सुबह 6 बजे फज्र की नमाज के ठीक बाद निधन हो गया।'

बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री जिया लंबे समय से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं, जिनमें लिवर सिरोसिस, गठिया, डायबिटीज और किडनी, फेफड़े, दिल और आंखों से जुड़ी पुरानी बीमारियां शामिल थीं।
उनके इलाज की देखरेख कार्डियोलॉजिस्ट शहाबुद्दीन तालुकदार की अध्यक्षता वाला मेडिकल बोर्ड कर रहा था। इस बोर्ड में बांग्लादेश, यूके, अमेरिका, चीन और ऑस्ट्रेलिया के एक्सपर्ट शामिल थे।
इस महीने की शुरुआत में उन्हें इलाज के लिए विदेश ले जाने की कोशिश की गई थी लेकिन उनकी नाजुक हालत के कारण उन्हें लेकर नहीं जाया जा सका।
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कौन थीं खालिदा जिया?
खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को हुआ था। वह बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। बेनजीर भुट्टो के बाद किसी मुस्लिम देश की प्रधानमंत्री बनने वालीं वह दूसरी महिला थीं।
1981 में जियाउर रहमान की हत्या के बाद खालिदा जिया ने राजनीति में कदम रखा और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की कमान संभाली। साल 1982 में सैन्य तख्तापलट के बाद उन्होंने लोकतंत्र के लिए आंदोलन चलाया।
साल 1991 में हुए आम चुनाव में उनकी पार्टी ने बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई और खालिदा जिया पहली बार प्रधानमंत्री रहीं। वह 1996 तक प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाग 2001 से 2006 तक भी वह प्रधानमंत्री रहीं। उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे।
2007 में होने वाले चुनाव राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता के कारण टाल दिए गए थे। इसके बाद सेना समर्थित सरकार ने खालिदा जिया और उनके दोनों बेटों पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। बाद में शेख हसीना की सरकार में भी खालिदा जिया की मुश्किलें कम नहीं हुईं। खालिदा जिया और उनके बेटों पर लगे आरोपों की जांच चलती रही। 2018 में खालिदा जिया को कई मामलों में सजा सुनाई गई।

अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद खालिदा जिया को कई आरोपों में बरी कर दिया। रिहाई के बाद 7 जनवरी 2025 को उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए लंदन ले जाया गया, जहां कई महीनों तक उनका इलाज चला।
बांग्लादेश लौटने के बाद भी खालिदा जिया बीमार ही रहीं। नवंबर में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि, माना जा रहा था कि वह फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों में लड़ सकती हैं। उनके बड़े बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं।