मर्डर, रेप, जमीनों पर कब्जा; बांग्लादेश में कैसे हैं हिंदुओं के हालात?
बांग्लादेश में एक बार फिर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है। 10 दिन में तीन हिंदू युवकों की हत्या हो चुकी है। ऐसे में जानते हैं कि बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात कैसे हैं?

बांग्लादेश में हिंदू युवक की हत्या पर भारत में जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। (Photo Credit: PTI)
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुए डेढ़ साल हो गया है। और इन दोनों डेढ़ सालों में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा खूब बढ़ गई है। शेख हसीना की सरकार जाने के बाद से हिंदुओं, उनकी दुकानों और मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। अब एक बार फिर हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। बीते 10 दिन में तीन हिंदू युवकों की मौत हो चुकी है। इनमें से दो को तो भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला।
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की खबरों पर भारत ने चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों पर हिंसा बहुत चिंता का विषय है।'
उन्होंने कहा, 'हम बांग्लादेश में हाल ही में एक हिंदू युवक की बेरहमी से हुई हत्या की निंदा करते हैं और उम्मीद करते हैं कि इस अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।'
'जुलाई विद्रोह' के नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद से बांग्लादेश में हिंसा भड़की हुई है। उस्मान हादी के समर्थक इस हत्या के लिए भारत को जिम्मेदार मानते हैं। भारत ने इसे खारिज किया है। रणधीर जायसवाल ने साफ किया कि यह झूठा नैरेटिव है और वहां की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी बांग्लादेश सरकार की है।
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बांग्लादेश में 10 दिन में 3 हिंदू युवकों की हत्या
- 18 दिसंबर: मैमनसिंह जिले के भालुका में दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। हत्या करने के बाद उसके शव को एक पेड़ से बांधकर जला दिया गया। पैंगबर का अपमान करने का आरोप लगाते हुए भीड़ ने दीपू दास पर हमला कर दिया था। इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
- 24 दिसंबर: मोगबाजार-मौचक फ्लाईओवर से एक पेट्रोल बम फेंका गया, जो सीधे 21 साल के श्याम मजूमदार के सिर पर जाकर गिरा। श्याम मोटर पार्ट्स की एक दुकान पर काम करता था। हालांकि, इसकी जांच की जा रही है कि बम जानबूझकर उसके सिर पर फेंककर मारा गया या अपने आप गिरा।
- 24 दिसंबर: राजबाड़ी टाउन में अमृत मंडल उर्फ सम्राट की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी। यूनुस सरकार ने इसकी निंदा जरूर की लेकिन इसे सांप्रदायिक हमला नहीं माना। सरकार ने दावा किया कि अमृत अवैध वसूली करने की कोशिश कर रहा था, तभी भीड़ ने मार डाला। पुलिस ने बताया कि अमृत मंडल पर हत्या समेत दो केस दर्ज थे।

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बांग्लादेश में कितने बढ़े हमले?
वैसे तो बांग्लादेश जैसे मुल्क में अल्पसंख्यकों के हालात बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। हालांकि, शेख हसीना की सरकार में थोड़ी धार्मिक आजादी जरूर थी। मगर शेख हसीना की सरकार जाने के बाद हिंसा बढ़ गई है।
पिछले साल नवंबर में इस्कॉन से जुड़े चिन्मय दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। इस पर खूब बवाल हुआ था। इसी साल जुलाई में एक हिंदू महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इसका वीडियो सशल मीडिया पर वायरल हो गया था।
शेख हसीना की सरकार जाने के बाद हिंदुओं पर हिंसा किस हद तक बढ़ी है? इसकी गवाही कुछ आंकड़े देते हैं। पिछले साल दिसंबर में विदेश मंत्रालय ने संसद में बताया था कि 2022 में हिंदुओं पर हमले के 47 मामले सामने आए थे। 2023 में यह आंकड़ा बढ़कर 302 पहुंच गया। वहीं 2024 में 8 दिसंबर तक हिंदुओं पर हिंसा के 2,200 मामले दर्ज किए गए थे।
https://twitter.com/PTI_News/status/2004505909201195313
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को प्रेस ब्रीफिंग में बताया था कि अंतरिम सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 2,900 से ज्यादा घटनाओं को दर्ज किया गया है। इनमें हत्या, आगजनी और जमीन पर कब्जे के मामले शामिल हैं।
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बांग्लादेश में कैसे हैं हिंदुओं के हालात?
1971 के बाद पाकिस्तान से अलग होकर जब अलग बांग्लादेश बना तो इससे अल्पसंख्यकों को खासकर हिंदुओं को बड़ी राहत मिली। हालांकि, 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या के बाद हालात बदल गए। सैन्य शासन में हिंदुओं के खिलाफ खूब हिंसा हुई।
2001 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में आई और खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। उनकी सरकार में बड़े पैमाने पर दंगे भड़के। 2009 में एक सरकारी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में सामने आया था कि दंगों के दौरान 18 हजार से ज्यादा हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था।
हिंदुओं के अधिकारों पर काम करने वाला संगठन 'बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत' हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के आंकड़े दिए जाते हैं। इस संगठन की आखिरी रिपोर्ट 2022 की है। रिपोर्ट में बताया था कि इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 2022 में 154 हिंदुओं की हत्या कर दी थी, जबकि 424 की हत्या करने की कोशिश की गई थी। इसी दौरान 849 हिंदू ऐसे थे जिन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी।
यह रिपोर्ट बताती है कि 2022 में 39 हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। वहीं, 27 हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ था। इतना ही नहीं, 17 हिंदू महिलाओं का रेप के बाद मर्डर कर दिया गया था। जबकि, 55 महिलाओं का या तो यौन उत्पीड़न हुआ था या फिर रेप की कोशिश की गई थी।
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2022 में बांग्लादेश में 128 मंदिरों पर हमला किया गया था और 418 मूर्तियों को तोड़ा गया था। 72 मूर्तियों को तो मंदिरों से चुरा भी लिया गया था। 319 मंदिरों में लूटपाट की गई थी। 2022 में 40 हिंदुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण किया गया था और 127 हिंदू लापता हुए थे। और तो और 333 हिंदुओं को तो जबरदस्ती बीफ खिलाने की कोशिश भी की गई थी। हिंदुओं से जुड़े 179 संस्थानों पर बीफ फेंका गया था।
बांग्लादेश में हिंदुओं की जमीनें भी हड़प ली जाती हैं। हर साल हजारों एकड़ जमीन हड़पीं जातीं हैं। 2022 में हिंदुओं की 8,990 एकड़ जमीन पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने कब्जा कर लिया था।
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बांग्लादेश में कितने हिंदू?
बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की आबादी भी तेजी से घटी है। 1951 में जब पाकिस्तान में जनगणना हुई, तब वहां मुस्लिम आबादी 85.8% और गैर-मुस्लिमों की आबादी 14.2% थी। उस समय पश्चिमी पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम आबादी महज 3.44% थी।
जबकि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 23.2% आबादी गैर-मुस्लिमों की थी। बांग्लादेश में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी। उसमें सामने आया था कि बांग्लादेश में गैर-मुस्लिमों की आबादी घटकर 9.4% हो गई है।
'बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत' की रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 में बांग्लादेश में 13.5% हिंदू आबादी थी। 50 साल में यह घटकर 7.95% पर आ गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2011 की तुलना में 2022 में हिंदुओं की आबादी 1.55% की कमी आई है।
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