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अब याद आया 'आटे-चावल' का भाव, बांग्लादेश क्यों दे रहा अच्छे रिश्तों की दुहाई?

सियासी और कूटनीतिक तनाव के बावजूद बांग्लादेश अब भी भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते नहीं बिगाड़ना चाहता है। इसकी एक झलक बांग्लादेश के वित्त सलाहकार के बयान में भी दिखी।

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बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस। (Photo Credit: @Yunus_Centre)

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भारत और बांग्लादेश के बीच रिश्ते तनाव भरे हैं। इन दिनों पूरे बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं उफान पर हैं। भारत की संप्रभुता और अखंडता को रोजाना चुनौती दी जाती है। हाल ही में ढाका और चटगांव स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमले की कोशिश की गई। शेख हसीना के पदस्थ होने के बाद से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार भारत विरोध कदम उठाने में कोई गुरेज नहीं कर रही हैं। छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और गिरावट आई है। इन तमाम घटनाक्रम के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार खूब फल-फूल रहा है। 

 

बांग्लादेश की लगातार निर्भरता भारत पर बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि रोजाना भारत को धमकियां देने वाला बांग्लादेश व्यापारिक मोर्चे पर चुप है। वह नहीं चाहता है कि भारत के साथ उसके व्यापारिक रिश्ते उस तरह से बिगड़े, जिस प्रकार से राजनीतिक और कूटनीतिक रिश्ते बिगड़ चुके हैं। अगर भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते खराब हुए तो इसका खामियाजा न केवल बांग्लादेश की जनता, बल्कि वहां की अंतरिम सरकार को भी उठाना पड़ सकता है। यही कारण है कि भारत के साथ तनाव के बीच बांग्लादेश के वित्त सलाहकार या दूसरे शब्दों में कहे तो वित्त मंत्री डॉ. सालेहुद्दीन अहमद ने अच्छे व्यापारिक रिश्तों की वकालत की है।

 

पहले यह जानना जरूरी है कि बांग्लादेश के वित्त सलाहकार ने क्या कहा और उसके बाद यह जानेंगे कि भारत पर बांग्लादेश की कितनी निर्भरता है और दोनों देशों के बीच कितना व्यापार है?

 

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व्यापारिक रिश्तों को कूटनीति से क्यों अलग बता रहा बांग्लादेश?

बांग्लादेश के वित्त सलाहकार डॉ. सालेहुद्दीन अहमद ने एक दिन पहले कहा कि बांग्लादेश भारत के साथ अपने आर्थिक हितों को सियासी बयानबाजी से अलग रखता है। व्यापारिक निर्णय कूटनीति के बजाय राष्ट्रीय हित और प्रतिस्पर्धा से प्रेरित हैं। अगर वियतनाम और अन्य देशों की तुलना में भारत से चावल खरीदना सत्ता है तो नई दिल्ली से चावल लेने आर्थिक तौर पर समझदारी भरा कदम होगा। 

 

वित्त सलाहकार ने आगे कहा कि अगर कीमतें प्रतिस्पर्धी बनी रहती हैं तो बांग्लादेश बांग्लादेश मौजूदा राजनीतिक माहौल के परवाह किए बिन भारत से चावल जैसी जरूरी वस्तुओं का खरीदता रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत के अलावा अन्य बाजार से चावल खरीदने पर यह प्रति किलो 10 टका मंहगा हो सकता है। हमारा लक्ष्य बांग्लादेश के लोगों को अच्छी कीमत पर सामान की आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

 

डॉ. सालेहुद्दीन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बांग्लादेश ने कभी भी राजनीतिक कारणों से भारत के खिलाफ़ दंडात्मक व्यापारिक उपाय नहीं अपनाए हैं। उन्होंने कहा, “हम व्यापार को राजनीतिक प्रतिशोध के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने में विश्वास नहीं रखते। हमारी प्राथमिकता अपने लोगों को सर्वोत्तम संभव कीमत पर आपूर्ति सुनिश्चित करना है।”

 

वित्त मंत्री ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार भारत के साथ तनाव पैदा नहीं करना चाहती है। बाहरी ताकतें दोनों देशों के बीच गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रही हैं। दोनों देशों के बीच राजनयिक और आर्थिक संबंधों में कोई गिरावट नहीं आई है। भारत हमारा सबसे बड़ा पड़ोसी है। वह व्यापार, स्वास्थ्य समेत कई अन्य क्षेत्रों में प्रमुख भागीदार है। हमारे भूटान और नेपाल के साथ अच्छे संबंध हैं। हम पाकिस्तान के साथ भी धीरे-धीरे संबंध सुधार रहे हैं। 

भारत और बांग्लादेश के बीच कितना व्यापार?

अब सवाल यह उठ रहा है कि लगातार जहर उगलने वाले बांग्लादेश के सुर कैसे बदले? क्या भारत व्यापार के मोर्चे पर कड़े कदम उठाने की तैयारी में है। इसी खौफ में बांग्लादेश भारत के साथ अच्छे रिश्तों की दुहाई दे रहा है।

 

वित्तीय वर्ष 2023-24 के आंकड़े के मुताबिक भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार लगभग 14 बिलियन डॉलर का है। इसमें भारत निर्यात अधिक और आयात कम करता है। आंकड़े बताते हैं कि भारत करीब 12.05 अरब डॉलर का निर्यात और बांग्लादेश से 1.97 बिलियन डॉलर का आयात करता है। बांग्लादेश को भारत कपास, मशीनरी, खनिज ईंधन और कंज्यूमर प्रोडक्ट बेचता है। वहीं बांग्लादेश कृषि उत्पाद, जूट उत्पाद और कपड़े बेचता है। कॉमट्रेड डेटाबेस के मुताबिक पिछले साल यानी 2024 में भारत ने 84.55 मिलियन अमेरिकी डॉलर का चावल बांग्लादेश को निर्यात किया था। 

 

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रिश्तों में खटास के बाद भी फल फूल रहा व्यापार

बांग्लादेश बैंक के मुताबिक 2023-24 में भारत से बांग्लादेश का आयात 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2023-24 में बांग्लादेश ने भारत को 1.57 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था। मगर एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो के अनुसार वित्तवर्ष 2024-25 में यह बढ़कर 1.76 बिलियन डॉलर हो गया। वित्तीय वर्ष 2024-25 में बांग्लादेश का रेडीमेड कपड़े का निर्यात 17.38 फीसद बढ़ा है। इसके अलावा मछली का निर्यात 42.04 और फुटवियर का निर्यात 43 प्रतिशत बढ़ा है।

 

भारत और बांग्लादेश ने कुछ सामानों पर ट्रेडिंग प्रतिबंध लगाया है। बावजूद इसके दोनों देशों का व्यापार फल फूल रहा है। जमीन रास्ते से रेडीमेड कंपड़े के आयात पर भारत के बैन लगाने के बावजूद बांग्लादेश का निर्यात करीब 16.5 फीसद बढ़ा है। 2023-24 में जुलाई से सितंबर के बीच बांग्लादेश ने भारत को कुल 441 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था। इस साल इसमें 9.52 फीसद का इजाफा हुआ और इन महीनों में कुल निर्यात 483.71 मिलियन डॉलर हो गया है।   


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