बांग्लादेश में प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के हजारों कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। ढाका में संगठन के कार्यकर्ता बड़ी नारेबाजी कर रहे हैं, हाथों में झंडें हैं और खिलाफत-खिलाफत कर चिल्ला रहे हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे हैं, भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बम दागे हैं। ढाका में प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ता हंगामा कर रहे हैं।
पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ते हुए हजारों कार्यकर्ता 'खिलाफत-खिलाफत' के नारे लगा रहे हैं। जुमे की नमाज के बाद बैतुल मुकर्रम मस्जिद के बाद पल्टन की ओर प्रदर्शनकारी बढ़ रहे हैं। दोपहर करीब 2 बजे बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी आए और उन्हें रोकने की कोशिश करने लगे। भीड़ बेकाबू होगी, धक्का-मुक्की करके आगे बढ़ने लगी। भीड़ रोकने में पुलिस के हाथ-पांव फूल गए हैं। हालात इतने बेकाबू हो गए हैं कि मोर्चा संभालने के लिए पुलिस उतरी है।
बांग्लादेश में हालात बेकाबू, भड़केगी हिंसा
सेना और सुरक्षाकर्मियों ने मिलकर हालात संभालने की कोशिश की है लेकिन स्थिति काबू में नहीं आई है। बैतुल मुकर्रम मस्जिद के उत्तर में पहले भीड़ जमा हुई फिर पुराना पल्टन की ओर प्रदर्शनकारी आगे बढ़ने लगे। भीड़ बेकाबू होती जा रही है, कभी भी हिंसा भड़क सकती है।
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क्या है हिज्ब-उत-तहरीर?
हिज्ब-उत-तहरीर बांग्लादेश का प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन है। पुलिस ने कहा है कि अगर इस संगठन के पोस्टर या कार्यकर्ता सड़कों पर नजर आए तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। संगठन ने 'मार्च फॉर खिलाफत' के नारे लिखे हैं। इसका मतलब है कि खिलाफत के लिए प्रदर्शन। ढाका मेट्रोपॉलिटन काउंटर टेररिज्म और ट्रांजैक्शन क्राइम (cttc) ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है।
22 अक्तूबर 2009 को बांग्लादेश सरकार ने बैन किया था। यह संगठन, कानून-व्यवस्था के लिए चुनौतियां पैदा कर रहा था। एंटी टेरिरिज्म एक्ट बांग्लादेश 2009 के तहत इस संगठन को बैन किया गया था। संगठन के लोगों को बैठक करने, रैली करने, प्रदर्शन और जलसे आयोजित करने से रोका गया है।
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क्यों सड़कों पर उतरा यह संगठन?
हिज्ब उत-तहरीर खलीफा राज चाहता है। यह संगठन चाहता है कि पूरी दुनिया के मुसलमान एक हों और एक ही मुस्लिम सरकार हो। फरवरी में ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नजमुल अहसन कलीमुल्लाह ने दावा किया था कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के जाने के बाद आतंकी तत्वों को बांग्लादेश में और आजादी मिली है।