इस साल का नोबेल पुरस्कार रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) में उन तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है जिन्होंने आणविक स्तर पर ऐसी संरचनाएं (मॉलीक्युलर आर्किटेक्चर) विकसित कीं जो न केवल गैसों और तरल पदार्थों को स्टोर कर सकती हैं, बल्कि प्रदूषण से लड़ने और पानी की कमी जैसी समस्याओं का समाधान भी पेश करती हैं।
स्वीडन की रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार को घोषणा की कि सुसुमु कितागावा (जापान), रिचर्ड रॉबसन (ऑस्ट्रेलिया) और उमर एम. याघी (अमेरिका) को 2024 का केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया है। इन तीनों वैज्ञानिकों ने मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) नामक क्रांतिकारी संरचनाओं को विकसित किया, जिनका इस्तेमाल प्रदूषण नियंत्रण से लेकर जल संग्रहण और गैस स्टोरेज तक में हो रहा है।
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क्या है MOF और क्यों है खास?
मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क (MOF) एक प्रकार की जालीदार क्रिस्टलीय संरचना होती है, जो मेटल आयनों और कार्बनिक अणुओं से मिलकर बनती है। इसके जालीदार स्थान से मॉलीक्यूल आ-जा सकते हैं। इससे गैसों और तरल पदार्थों को प्रवाह आसान होगा।
इन संरचनाओं का उपयोग रेगिस्तानी इलाकों में हवा से पानी निकालने में, जहरीली गैसों को कैप्चर और स्टोर करने में, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैसों को साफ करने में, शरीर में दवाओं को नियंत्रित रूप से पहुंचाने में और फल-सब्जियों को लंबे समय तक ताजा रखने में किया जा सकता है।
किसका क्या योगदान
उमर याघी ने 1990 के दशक में अमेरिका में MOF का कॉन्सेस्पट डेवलेप किया। 1995 में उन्होंने पहली बार ‘MOF’ शब्द का इस्तेमाल किया। 1999 में उन्होंने MOF-5 नाम का एक क्रांतिकारी फ्रेमवर्क बनाया, जिसमें कुछ ग्राम पदार्थ में एक फुटबॉल मैदान जितनी सतह समा सकती थी। उन्होंने एरिजोना की रेगिस्तानी हवा से नमी सोखकर, उसे सूरज की गर्मी से पानी में बदलने का प्रयोग भी सफलतापूर्वक किया।
वहीं सुसुमु कितागावा (जापान) ने 1990 के दशक में किंदाई यूनिवर्सिटी में रिसर्च करते हुए MOFs पर काम शुरू किया। शुरुआत में उनकी संरचनाएं स्थिर नहीं थी, लेकिन 1997 में उन्होंने पहले स्थिर MOFs बनाए। उन्होंने MOFs को इस तरह से लचीला बनाया जिससे ये फेफड़ों की तरह व्यवहार कर सकें यानी यह गैसों को समाहित कर सके और छोड़ सके।
रिचर्ड रॉबसन (ऑस्ट्रेलिया) इस पर काम 1970 के दशक में शुरू किया था। 1989 में उन्होंने तांबे के आयनों और चार भुजा वाले कार्बनिक अणु को मिलाकर एक संरचना बनाई, जिसमें अंदर खाली जगहें थीं। यह पहली मेटल-ऑर्गेनिक नेटवर्क जैसी रचना मानी जाती है। उनकी खोज ने वैज्ञानिकों को दिखाया कि अणुओं से इमारतें बनाई जा सकती हैं।
कब शुरू हुआ?
तीनों वैज्ञानिकों को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (करीब 10.3 करोड़ रुपये) की पुरस्कार राशि, स्वर्ण पदक और प्रमाणपत्र मिलेगा। यह पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में आयोजित होने वाले एक विशेष समारोह में प्रदान किया जाएगा।
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नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 1895 में अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के अनुसार हुई थी। 1901 से आज तक केमिस्ट्री के क्षेत्र में सैकड़ों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार मिल चुका है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिनकी खोजें मानवता या पर्यावरण के लिए बेहतर भविष्य की दिशा में योगदान करती हैं।