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जिसने जीता शांति का नोबेल, अब उस पर विवाद; क्या है इजरायल कनेक्शन?

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को शांति का नोबेल पुस्कार दिए जाने पर विवाद शुरू हो गया है। इजरायल के साथ उनके संबंधों की वजह से आलोचना की जा रही है। जानते हैं कि पूरा मामला क्या है?

Maria Corina Machado.

मारिया कोरिना मचाडो। (Photo Credit: X/@MariaCorinaYA)

वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो ने शांति का नोबेल पुरस्कार जीता है, लेकिन अब उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। वेनेजुएला में लोकतंत्र की बहाली से जुड़े उनके प्रयासों के कारण शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया। इस बीच उनके कुछ पुराने सोशल मीडिया पोस्ट वायरल हैं। इसमें न केवल गाजा पर इजरायल बमबारी का समर्थन किया गया, बल्कि वेनेजुएला में विदेश दखल की मांग की। मारिया पर आरोप है कि उनके घनिष्ठ संबंध इजरायल की लिकुड पार्टी से हैं।

 

58 वर्षीय मारिया को वेनेजुएला में आयरन लेडी कहा जाता है। वे वेनेजुएला नेशनल असेंबली के पूर्व विधायक हैं। उनके ऊपर कई बार गोली चलाई गई। चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लगा। मादुरो सरकार में उन्हें छिपने पर मजबूर होना पड़ा।  नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद मारिया ने मादुरो की आलोचना की और उन्हें एक अवैध राष्ट्रपति बताया। उनका कहना है कि मतदान में खूब धांधली हुई। इसके सबूत भी मिल चुके हैं। मादुरो ने ताकत का इस्तेमाल करके तीसरी बार सत्ता हासिल की है। निकोलस मादुरो की डोनाल्ड ट्रंप से भी नहीं बनती है। यही कारण है कि अमेरिका ने उन पर 5 करोड़ डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। 

 

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आज से करीब सात साल पहले 2018 में मारिया ने अर्जेंटीना और इजरायल के नाम एक पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने वेनेजुएला में विदेशी दखल की मांग की थी, ताकि निकोलस मादुरो की सरकार को उखाड़ फेंका जा सके। हालांकि उनकी यह ख्वाहिश आज तक पूरी नहीं हो सकी। अब शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने बाद उनका नाम जब चर्चा में आया तो पुराने विवाद भी सामने आने लगे।

क्या है मारिया का इजरायल कनेक्शन?

7 अक्तूबर 2023 को इजरायल पर हमास ने सबसे बड़ा आतंकी हमला किया तो मारिया ने खुलकर इजरायल का समर्थन किया था। आलोचकों का कहना है कि इजरायल की लिकुड पार्टी और मारिया के बीच घनिष्ठ संबंध है। बता दें कि लिकुड पार्टी इजरायल प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की पार्टी है। नॉर्वे के सांसद ब्योर्नार मोक्सनेस का दावा है कि मारिया ने 2020 में लिकुड पार्टी के साथ एक सहयोग दस्तावेज पर साइन किया था। 

 

नॉर्वे के सांसद का कहना है कि गाजा में नरसंहार की जिम्मेदार लिकुड पार्टी है। ऐसे में यह पुरस्कार नोबेल के उद्देश्य के मुताबिक नहीं है। मारिया ने अपने एक पोस्ट में इजरायल को आजादी का सच्चा सहयोगी बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर वेनेजुएला में उनकी सरकार बनी तो अपने देश का दूतावास तेल अवीव से यरुशलम शिफ्ट कर देंगी। 

 

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नोबेल समिति ने क्या कहा?

नोबेल समिति ने मारिया कोरिया मचाडो को शांति का चैंपियन बताया। उसका कहना है कि वेनेजुएला में विपक्षी नेता ने लोकतंत्र की लौ जलाई। समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने अधिनायकवाद के खिलाफ मारिया को प्रमुख आवाज कहा। समिति ने वेनेजुएला में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और राष्ट्रपति निकोलस मादुरै की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने की खातिर मारिया को शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया। 

 

उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार नोबेल पुरस्कार की मांग कर रहे थे, लेकिन उनका पत्ता कट गया। जब मारिया को पुरस्कार मिला तो व्हाइट हाउस ने नोबल पुरस्कार समिति पर निशाना साधा और कहा कि शांति की जगह सियासत को प्राथमिकता दी गई। बाद में मारिया कोरिया मचाडो ने अपना पुरस्कार ट्रंप को समर्पित किया। 

 

 

 

 

 

 

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