अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड अब साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा से भिड़ गए। वॉशिंगटन पहुंचे रामाफोसा की डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत चल ही रही थी, तभी ट्रंप ने उन्हें 'नस्लवाद' पर घेरना शुरू कर दिया। ट्रंप ने रामाफोसा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में साउथ अफ्रीका में श्वेत किसानों का नरसंहार हो रहा है। रामाफोसा ने जब इन आरोपों को खारिज किया तो ट्रंप ने टीवी पर एक वीडियो चलवाया, फिर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स दिखाईं जो कथित तौर पर श्वेत किसानों के नरसंहार से जुड़ी थीं। यह मीडिया रिपोर्ट्स दिखाते हुए ट्रंप ने कहा- Death, Death... इसके बाद ओवल ऑफिस में टेंशन का माहौल हो गया।
रामाफोसा के साथ हुई इस बहस ने 28 फरवरी को ओवल ऑफिस में हुई ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की बहस की यादें ताजा कर दीं। ट्रंप का रवैया भी उसी तरह था, जैसा जेलेंस्की से बहस के दौरान था।
ट्रंप का दावा- गोरों को बेरहमी से मारा जा रहा
रामाफोसा वॉशिंगटन इसलिए गए थे, ताकि अमेरिका और साउथ अफ्रीका के रिश्तों को सुधारा जा सके। उन्होंने कहा भी कि मेरी अमेरिकी यात्रा का मकसद दोनों देशों के संबंधों को बेहतर करना है, जो 1994 में रंगभेद युग खत्म होने के बाद सबसे निचले स्तर पर हैं। हालांकि, इस दौरान ट्रंप ने रंगभेद का मुद्दा उठा दिया और दावा कर दिया कि साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों को चुन-चुनकर मारा जा रहा है।
इससे पहले 12 मई को भी ट्रंप ने इसी तरह का वादा किया था। उन्होंने अफ्रीका से आए 59 गोरे शरणार्थियों को अमेरिका में बसने की इजाजत दे दी थी। ट्रंप ने कहा था, 'उन्हें मारा जा रहा है और हम लोगों को मरते हुए नहीं देखना चाहते। यह एक ऐसा नरसंहार है, जिसके बारे में लोग लिखना नहीं चाहते।' उन्होंने दावा करते हुए कहा था, 'साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों को बेरहमी से मारा जा रहा है और उनकी जमीनें हड़पी जा रहीं हैं।'
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क्या गोरों का नरसंहार हो रहा है?
साउथ अफ्रीका में श्वेत लोगों की आबादी 10% के आसपास है। यहां करीब 27 लाख आबादी ही श्वेत है। यह नीदरलैंड और फ्रांसीसियों के वंशज हैं। 1948 से 1990 तक साउथ अफ्रीका में जबरदस्त रंगभेद था। तब यहां सत्ता गोरे लोगों के हाथ में थी। हालांकि, अब यहां अश्वेतों का दबदबा है। साउथ अफ्रीका में 80% आबादी अश्वेत है।
ट्रंप दावा करते हैं कि साउथ अफ्रीका में गोरे किसानों का 'नरसंहार' किया जा रहा है। पर क्या वाकई में ऐसा है? साउथ अफ्रीका में क्राइम के आंकड़े 2022-23 तक के मौजूद हैं। इसके मुताबिक, 2022-23 में साउथ अफ्रीका में 27,494 हत्याएं हुई थीं। हालांकि, इनमें से कितने श्वेत थे और कितने अश्वेत, इसका कोई आंकड़ा नहीं है।

साउथ अफ्रीका में जस्टिस एंड वॉयलेंस प्रिवेंशन प्रोग्राम चलाने वाले गैरेथ न्यूहैम ने पॉलिटीफैक्ट से कहा, 'यहां पर गोरे लोगों का नरसंहार होने का दावा पूरी तरह से गलत है। अगर जातीय या रंग के आधार पर नरसंहार का कोई सबूत होगा, तो इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले और दुनिया को सबूत देने वालों में सबसे पहले हम होंगे।'
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किसानों की हत्या का क्या है सच?
ट्रंप दावा करते हैं कि साउथ अफ्रीका के गोरे किसानों को मारकर उनकी जमीनें हड़पी जा रही हैं। इस दावे को भी जानकार खारिज करते हैं।
भले ही इस बात का कोई सटीक आंकड़ा न हो कि साउथ अफ्रीका में कितने श्वेत और कितने अश्वेतों की हत्या हुई? लेकिन खेती-बाड़ी से जुड़े लोगों की हत्या से जुड़े आंकड़े जरूर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में साउथ अफ्रीका में 2022-23 में खेती-बाड़ी से जुड़े 51 लोगों की हत्या हुई थी। 2021-22 में 43 लोगों की हत्या की थी।

गैरेथ न्यूहैम बताते हैं, 'किसी हमले के नस्लीय होने के सबूत हो सकते हैं लेकिन ऐसे मामले बहुत कम है। देश भर में ज्यादातर हत्याएं ऐसे लोगों की हो रही हैं, जो गरीब हैं या बेरोजगार हैं या अश्वेत हैं।' उन्होंने कहा, 'हत्या का शिकार होना नस्ल की बजाय वर्ग, लिंग और जगह से ज्यादा जुड़ा है। आधी से ज्यादा हत्याएं उन 12% जगहों पर हुई हैं, जो गरीब इलाके हैं और जहां ज्यादातर अश्वेत अफ्रीकी लोग रहते हैं।'
गोरों के नरसंहार के दावों को साउथ अफ्रीका की अदालत ने भी खारिज कर दिया था। इसी साल मार्च में एक कोर्ट ने गोरों के नरसंहार को 'काल्पनिक' बताया था।