अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ लेने से पहले ही अमेरिका में निवेश लाने के लिए धांसू प्लान बनाया है। डोनाल्ड टंर्प ने कहा है कि 1 बिलियन डॉलर का निवेश लाने वाली कंपनियों को सभी परमिशन फटाफट दी जाएंगी। डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अमेरिका में निवेश करने वाली कंपनियों के रास्ते में किसी भी तरह की कोई बाधा नहीं आएगी और सारी अनुमतियां तुरंत दिलाकर काम शुरू कर दिया जाएगा। इतना ही नहीं, पर्यावरण संबंधी अनुमतियां भी दिलाई जाएंगी। डोनाल्ड ट्रंप के इस कदम की तारीफ कारोबारी एलन मस्क ने भी की है।
भारत के हिसाब से समझें तो एक बिलियन डॉलर का मतलब लगभग 8400 करोड़ रुपये हुए। यानी अगर कोई कंपनी अमेरिका में कम से कम 8400 रुपये का निवेश करती है तो उसे हर तरह की अनुमतियां जल्दी-जल्दी मिल जाएंगी। हालांकि, ट्रंप ने यह नहीं बताया है कि इसके लिए और क्या-क्या योग्यताएं देखी जाएंगी। दरअसल, इतना बड़ा निवेश गैस कंपनियां, ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने वाली कंपनियां, सोलर ऊर्जा और अन्य बड़ी कंपनियां ही कर सकती हैं। इतने बड़े निवेश के मामलों में सबसे बड़ी समस्या पर्यावरण संबंधी अनुमतियों की होती है।
ट्रंप ने क्या कहा?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर लिखा है, 'अमेरिका में एक बिलियन डॉलर से ज्यादा निवेश करने वाली कंपनी या व्यक्ति को सभी अनुमतियां और परमिट फटाफट दिए जाएंगे। इसमें पर्यावरण संबंधी अनुमतियां भी शामिल होंगी। रॉक करने के लिए तैयार रहिए।' एलन मस्क ने इसी पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, 'ये शानदार है।'
दरअसल, अमेरिका की नेशनल एन्वारनमेंटल पॉलिसी ऐक्ट (NEPA) के मुताबिक, हाइवे या पाइपलाइन जैसे किसी प्रोजेक्ट को अनुमति देने से पहले सरकारी एजेंसियां पर्यावरण पर उनके प्रभाव का आकलन करती हैं। ऐसे में उन कंपनियों को ट्रंप के ऐलान से मदद मिलने वाली है जिन्हें ऐसी अनुमतियों के लिए लंबा इतजार करना पड़ता था। बता दें कि ट्रंप की तारीफ करने वाली एलन मस्क की कंपनी टेस्ला पर पहले भी पर्यावरण संबंधी नियमों का उल्लंघन करने के आरोप लगते रहे हैं। शायद यही वजह है कि उनकी खुशी साफ जाहिर हो रही है।
अब डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिकी का पर्यावरण संबंधी संस्थाओं ने इसका विरोध किया है। इन संस्थाओं का कहना है कि ट्रंप का यह ऐलान NEPA का उल्लंघन करता है और यह गैरकानूनी भी है। ऐसे ही एक ग्रुप एवरग्रीन ऐक्शन ने कहा है, 'इस तरह की अनुमति देने से सिर्फ अमीर कंपनियों को फायदा होगा और किसी को नहीं।'