अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक बार फिर भारत को धमकी दी। ट्रंप ने रूस के तेल का हवाला देते हुए भारत पर और ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी दी। इस बार भारत ने ट्रंप पर खुलकर पलटवार किया। भारत ने आंकड़ों के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन पर पलटवार करते हुए कहा कि आप भी तो रूस से सामान खरीद रहे हैं। भारत ने कहा कि रूस से कच्चा तेल खरीदने पर भारत को निशाना बनाना 'गैर-वाजिब' है।
विदेश मंत्रालय ने सोमवार रात को बयान जारी कर कहा कि भारत अपने हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा।
इससे पहले, एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी बिना नाम लिए कहा कि अब किसी एक का दबदबा नहीं चलेगा। हमारी इच्छा निष्पक्ष व्यवस्था देखने की है।
ट्रंप ने क्या कहा था?
अब ट्रंप ने सोमवार रात को भारत पर और ज्यादा टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'भारत न सिर्फ रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है, बल्कि उसका बड़ा हिस्सा ओपन मार्केट में बेचकर भारी मुनाफा भी कमा रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं है कि यूक्रेन में रूस की वजह से कितने लोग मारे जा रहे हैं। इसी वजह मैं भारत पर टैरिफ को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं।'

इससे पहले ट्रंप ने भारत से अमेरिका आने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगा दिया था। इसके साथ ही ट्रंप ने भारत पर पेनाल्टी लगाने की बात भी कही है।
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भारत का पलटवार, गिनाए आंकड़ें
ट्रंप की धमकी के कुछ घंटों बाद ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर। विदेश मंत्रालय ने आंकड़ों के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन को आईना दिखाया।
अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया, क्योंकि रूस-यूक्रेन में संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। तब ग्लोबल मार्केट में स्थिरता को मजबूत करने के लिए अमेरिका ने भी इसे प्रोत्साहित किया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की आलोचना करने वाले देश खुद रूस के साथ कारोबार कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने आंकड़े रखते हुए कहा कि 2024 में यूरोपियन यूनियन और रूस के बीच 67.5 अरब यूरो का कारोबार हुआ था। इसके अलावा, 2023 में सर्विसेस का व्यापार भी 17.2 अरब यूरो होने का अनुमान है। यह उस साल या उसके बाद रूस के साथ भारत के कुल कारोबार से काफी ज्यादा है। 2024 में यूरोपीय LNG का आयात रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो 2022 के 15.21 मिलियन टन के पिछले रिकॉर्ड से भी ज्यादा है।
भारत ने कहा कि रूस और यूरोप की बीच व्यापार सिर्फ ऊर्जा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उर्वरक, खनन उत्पाद, रसायन, लोहा, स्टील, मशीनरी और ट्रांसपोर्ट इक्विपमेंट भी इसमें शामिल है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, 'जहां तक अमेरिका का सवाल है, वह अपने परमाणु उद्योग के लिए रूस से यूरेनियम, हेक्साफ्लोराइ और अपनी इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री के लिए पैलेडियम, उर्वरक और रसायनों का आयात कर रहा है।' भारत ने साफ किया कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी जरूर कदम उठाएगा।
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जयशंकर बोले- किसी एक का दबदबा नहीं चलेगा
इससे पहले सोमवार को ही BIMSTEC के एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अमेरिका या यूरोप का नाम लिए बगैर कहा कि अब ग्लोबल ऑर्डर में कुछ लोगों का ही दबदबा नहीं चलेगा।
इस कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, 'हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं, जो बहुत ही जटिल और अनिश्चित है। हमारी इच्छा ग्लोबल ऑर्डर में निष्पक्षता देखने की है।' उन्होंने कहा कि अब वैश्विक व्यवस्था कुछ लोगों के 'प्रभुत्व' पर नहीं चलेगी।