शुक्रवार को तीन रूसी लड़ाकू विमानों ने बिना अनुमति के एस्टोनिया के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया और वहां 12 मिनट तक रहे। यह घटना नाटो देशों के लिए एक और उल्लंघन है। इस घटना के बाद एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने रूस के एक राजनयिक को बुलाकर विरोध जताया।
इस महीने की शुरुआत में रूसी ड्रोन ने पोलैंड और रोमानिया के हवाई क्षेत्र का भी उल्लंघन किया था। एस्टोनिया के विदेश मंत्री मार्गुस त्साख्ना ने कहा कि इस साल रूस ने चार बार उनके हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है, लेकिन तीन लड़ाकू विमानों का यह उल्लंघन 'अब तक का सबसे साहसी' है।
यह भी पढ़ें: 'मैंने गोली चलाने का आदेश नहीं दिया', केपी ओली का कबूलनामा
फिनलैंड की खाड़ी में हुई घटना
मंत्रालय के अनुसार, यह घटना फिनलैंड की खाड़ी के ऊपर हुई और इसमें रूस के तीन मिग-31 लड़ाकू विमान शामिल थे। त्साख्ना ने कहा कि रूस की बढ़ती आक्रामकता और सीमाओं की जांच को रोकने के लिए मॉस्को पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव बढ़ाना जरूरी है। एस्टोनिया ने रूस के चार्ज डी'अफेयर्स को बुलाकर एक विरोध पत्र सौंपा।
पोलैंड और रोमानिया में भी उल्लंघन
पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने हाल ही में संसद को बताया कि एक ही दिन में उनके हवाई क्षेत्र का 19 बार उल्लंघन हुआ और कम से कम तीन ड्रोन मार गिराए गए। उन्होंने कहा कि इस 'रूसी कार्रवाई' में कोई नुकसान नहीं हुआ। वहीं, रोमानिया के रक्षा मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि यूक्रेन में रूसी हमले के दौरान एक ड्रोन ने उनके हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया।
यह भी पढ़ें: अमेरिका ने चाबहार पोर्ट से छूट की खत्म, भारत पर क्या होगा असर?
नाटो के नियम का उल्लंघन
नाटो की सामूहिक सुरक्षा का आधार इसका अनुच्छेद 5 है, जिसके अनुसार अगर किसी सदस्य देश पर हमला होता है, तो पूरा गठबंधन उसका बचाव करता है। पोलैंड, रोमानिया और एस्टोनिया सभी नाटो के सदस्य हैं। नाटो के इतिहास में अनुच्छेद 5 को केवल एक बार, 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए हमलों के बाद लागू किया गया था। रूस की इन हरकतों ने नाटो देशों में चिंता बढ़ा दी है, और एस्टोनिया ने मॉस्को के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है।