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रूस का खौफ या कुछ और, यूरोप क्यों बना रहा ड्रोन वॉल?

ड्रोन की घुसपैठ से इन दिनों पूरा यूरोप परेशान है। शंका की सुई रूस पर मंडरा रही है। कई हवाई अड्डों पर ड्रोन दिखे जाने के बाद फ्लाइटों को रोकना पड़ा। मगर अब यूरोप पक्के इलाज की तलाश में है।

Drone incursions into Europe.

यूरोप में ड्रोन की घुसपैठ। (AI generated image)

यूरोप के अलग-अलग देशों की अहम इमारतों के ऊपर ड्रोन देखे जाने से हड़कंप है। 10 सितंबर को पोलैंड की सीमा पर ड्रोन देखे गए थे। तुरंत नाटो के फाइटर प्लेन ने मोर्चा संभाला। बाद में पोलैंड के अधिकारियों ने दावा किया करीब 20 रूसी ड्रोनों को मार गिराया गया है। पोलैंड के बाद स्वीडन, फिनलैंड और लिथुआनिया के आसमान में ड्रोन दिखे तो पूरे यूरोप में खलबली मच गई। 

 

यूरोपीय देशों का दावा है कि ड्रोन घुसपैठ के पीछे रूस है, लेकिन रूस ने इन दावों को खारिज कर दिया। अब यूरोप ने एक बड़ा कदम उठाया। उनसे हाईब्रिड युद्ध से निपटने के लिए अपनी सीमा पर ड्रोन वॉल बनाने का फैसला किया है। आइये जानते हैं कि यूरोप यह ड्रोन वॉल कहां बनाएगा और इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

 

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ड्रोन घुसपैठ के बाद जागा यूरोप

यूरोप के अलग-अलग हिस्सों में ड्रोन देखे जाने के बाद अब यूरोपीय देशों ने रूस के हाईब्रिड युद्ध रणनीति के खिलाफ अपनी किलेबंदी शुरू कर दी है। साल की शुरुआत में फिनलैंड, पोलैंड और बाल्टिक देश एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया ड्रोन दीवार बनाने के प्लान में जुटे थे। एस्टोनियाई और लिथुआनिया ने यूरोपीय संघ से फंड की मांग की थी, लेकिन उसने मना कर दिया। अब अलग-अलग देशों में ड्रोन घुसपैठ के बाद यूरोपीय संघ ने ड्रोन दीवार बनाने पर सहमति जताई है। 27 सितंबर को यूरोपीय संघ के रक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। 27 सिंतबर को नाटो ने ऐलान किया कि वह यूरोपीय क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। बाल्टिक सागर क्षेत्र में और अधिक सतर्कता बरतेगा।

कहां बनाई जाएगी ड्रोन दीवार?

यूरोपीय संघ के रक्षा प्रमुख का कहना है कि यह ड्रोन दीवार रूस और यूक्रेन के साथ लगती सीमाओं पर बनाई जाएगी। इसका लक्ष्य हवाई क्षेत्र के उल्लंघन का पता लगाना, ड्रोन पर नजर रखना और उन्हें रोकना है। यूक्रेन के रक्षा मंत्री डेनिस श्म्यहाल का कहना है कि ड्रोन दीवार यूरोप को नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र देगा। माना जा रहा है कि ड्रोन दीवार बनाने पर लगभग 7 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा। अगले हफ्ते कोपेनहेगन में प्रस्तावित यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में और ब्रुसेल्स में होने वाली बैठक में ड्रोन दीवार पर आगे की रणनीति बनेगी।

कब तक ड्रोन दीवार बनने की उम्मीद?

यूरोपीय संघ के रक्षा आयुक्त एंड्रियस कुबिलियस का कहना है कि ड्रोन दीवार बनाने में एक साल का समय लग सकता है। ड्रोन को पहचानने वाली एक प्रभावी प्रणाली बनाना प्राथमिकता है। ड्रोन दीवार बनाने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण और धन कैसे जुटाया जाए, इस पर यूरोपीय संघ के सदस्य बातचीत करेंगे। 

क्या यूरोप बना पाएगा ड्रोन वॉल?

यूरोप के सामने ड्रोन डिफेंस सिस्टम बनाने की चुनौती है। यूरोपीय संघ के अधिकारियों के मुताबिक रूस और यूक्रेन सीमा पर सेंसरों का एक पूरा नेटवर्क विकसित किया जाएगा। इन सेंसरों की मदद से ड्रोन का पता लगाया जाएगा। उधर, एस्टोनिया के एक मंत्री का कहना है कि ड्रोन मच्छर नहीं हैं। नाटो की सीमाओं पर इलेक्ट्रॉनिक दीवार से ड्रोन नष्ट करना संभव नहीं होगा। ड्रोन अलग-अलग तरह के होते हैं। इन्हें जाम करना असंभव है। 

यूरोप में कब और कहां हुई ड्रोन से घुसपैठ?

पोलैंड और डेनमार्क के बाद रोमानिया ने दावा किया कि उसके डेन्यूब डेल्टा के पास ड्रोन दिखे थे। 26 सितंबर को एस्टोनिया ने जानकारी दी कि रूसी मिग-31 लड़ाकू विमान बिना अनुमति के उसके एयरस्पेस आ घुसे। यूरोप में सबसे अधिक ड्रोन गतिविधि डेनमार्क में देखने को मिल रही हैं। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने खुद कहा कि ड्रोन घुसपैठ डेनमार्क के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर अब तक का सबसे गंभीर हमला है। 

 

पोलैंड: 10 सितंबर को बेलारूस की सीमा से ड्रोन पोलैंड के हवाई क्षेत्र में घुसे। कथित रूसी ड्रोन राजधानी वारसा तक मंडराते दिखे। पोलैंड और नाटो की सेना ने मोर्चा संभाला। पोलैंड का दावा है कि उसने 20 रूसी ड्रोनों को मार गिराया है। पोलैंड में हुई घुसपैठ सिर्फ शुरुआत थी। इसके बाद यूरोप में अलग-अलग देशों में ड्रोन घुसपैठ से हड़कंप मच गया। 

 

डेनमार्क: इसी हफ्ते डेनमार्क के कई एयरपोर्ट पर ड्रोन देखे गए। इससे हवाई यातायात बाधित हुआ। वहां की सरकार ने ड्रोन घुसपैठ को हाइब्रिड हमला कहा। ड्रोन देखे जाने के बाद कोपेनहेगन हवाई अड्डे करीब चार घंटे बंद रहा। दो दिन बाद अलबोर्ग हवाई अड्डे को ड्रोन देखे जाने के बाद तीन घंटे तक बंद करना पड़ा। 25 सितंबर को एस्बर्ज, सोंडरबोर्ग और स्क्रिडस्ट्रुप हवाई अड्डों के नजदीक ड्रोन दिखे। इसके अलावा बिलुंड हवाई अड्डे को भी ड्रोन की वजह से बंद करना पड़ा। डेनिश रक्षा कमान के मुताबिक स्क्रीडस्ट्रुप एयर बेस और जटलैंड ड्रैगून रेजिमेंट के पास भी ड्रोन घुसपैठ हुई है।

 

नॉर्वे: डेनमार्क के पड़ोसी देश नॉर्वे में भी ड्रोन से हड़कंप है। ऑरलैंड के पास एक प्रतिबंधित इलाके में दो ड्रोन करीब एक घंटे तक उड़ते दिखे। यहां F-35 लड़ाकू विमानों के बेस हैं। इसके अलावा नाटो का एक सैन्य अड्डा भी है। नॉर्वे के संयुक्त मुख्यालय के प्रवक्ता ब्रिन्जर स्टोर्डल का कहना है कि इस घटना की जांच की जा रही है। बाद में ओस्लो हवाई अड्डे के ऊपर भी ड्रोन मंडराने पर करीब तीन घंटे फ्लाइटों को रोकना पड़ा।

 

रोमानिया: 14 सितंबर को रोमानिया में रूसी ड्रोन ने घुसपैठ की। हालांकि रूस ने उसके दावे को खारिज कर दिया। रोमानिया के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उसने रूसी ड्रोन का पता तब लगाया जब दो एफ-16 जेट विमान यूक्रेन के साथ लगने वाली सीमाओं पर निगरानी कर रहे थे। 

 

ड्रोन के पीछे रूस के होने के सबूत नहीं

ड्रोन घुसपैठ पर डेनमार्क के अधिकारियों का कहना है कि हमें कुछ नहीं पता है। हालांकि उन्होंने शक जताया कि इसके पीछे रूस का हाथ हो सकता है। डेनमार्क के रक्षा मंत्री ट्रॉल्स लुंड पॉल्सन का मानना है कि ड्रोन घुसपैठ किसी पेशेवर व्यक्ति ने की है। यह घुसपैठ सुनियोजित अभियान का हिस्सा थी। मगर ड्रोन को स्थानीय स्तर से ही लॉन्च किया गया है। अभी तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इन घटनाओं के पीछे रूस का हाथ है।

क्या कठोर जवाब से बनेगी बात?

पोलैंड के रक्षा मंत्री व्लादिस्लाव कोसिनियाक-कामिज का कहना है कि रूस से गंभीर खतरा है। इसका हमें जवाब बेहद कठोर तरीके से देना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हाईब्रिड युद्ध जारी है और यूरोपीय संघ के सभी देश इसका अनुभव करेंगे। उधर, रूस ने यूरोपीय संघ और नाटो को खुली चेतावनी जारी की है। 27 सितंबर को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में कहा कि रूस के खिलाफ किसी भी आक्रमण का निर्णायक जवाब दिया जाएगा।

 

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क्या नाटो और यूरोप की टेस्टिंग कर रहा रूस?

26 सितंबर को यूरोपीय संघ के पूर्वी तट पर स्थित देशों के रक्षा मंत्रियों ने एक बैठक बुलाई। इसमें ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए उन्नत पहचान, ट्रैकिंग और अवरोधन क्षमताओं के विकास पर बातचीत हुई। यूरोपीय संघ के रक्षा आयुक्त एंड्रियस कुबिलियस ने दावा किया कि रूस यूरोपीय संघ और नाटो का परीक्षण कर रहा है। हमारी प्रतिक्रिया दृढ़, एकजुट और तुरंत होनी चाहिए। साझेदारों ने बातचीत से आगे बढ़कर ठोस कार्रवाई पर सहमति जताई है। 

यूरोप में कब-कब फैली दहशत?

1930 में यूरोप में 'भूतिया विमान' की खूब दहशत देखने को मिलती थी। स्कैंडिनेविया के ऊपर भूतिया विमान की खबरों से हर कोई परेशान था। तब यह कहा जाता था कि यह रूसी विमान थे। इनका टोही मिशन में इस्तेमाल किया जाता था। 

 

1946 में उत्तरी यूरोपीय देशों में 'भूतिया रॉकेट' ने दहशत फैलाई। स्कैंडिनेविया के ऊपर बड़े पैमाने पर मिसाइलें उड़ती दिखीं। उस वक्त लोगों का मानना था कि सोवियत संघ उत्तरी यूरोपीय देशों में दहशत फैलाने के लिए रॉकेट दाग रहा है। बाद में सरकारी जांच में पता चला कि भूतिया रॉकेट के पीछे खगोलीय घटनाएं थीं।

 

 

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