रूस के पैसों से ही यूक्रेन की मदद करेगा यूरोप? डेनमार्क में बना प्लान
यूरोप के कई देशों ने मिलकर रूस के खिलाफ षडयंत्र रच दिया है। यूरोप, रूस के पैसों को यूक्रेन को देने की प्लानिंग कर चूका है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- PTI
रूस-युक्रेन युद्ध को आने वाली इस फरवरी में चार साल हो जाएंगे। इस दरमियान दोनों देशों में हजारों लोगों की मौत, लाखों लोगों का पलायन और सैकड़ों बिलियन डॉलर का नुकसान हो चुका है। मगर, युद्ध है कि रूकने का नाम नहीं ले रहा है। रूस अपने से छोटे देश यूक्रेन को घुटनों पर लाना चाहता है लेकिन वहां के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की हैं कि हथियार डालने को राजी नहीं हैं। यूक्रेन डटा है रूस के सामने और पुलिन की सेना से डटकर मुकाबला कर रहा है। मगर, इस युद्ध में एक अंदर की भी बात है, जो समझने वाले है।
वह बाय ये है कि रूस-यूक्रेन के बीच लड़ी जा रही यह जंग देखने में जितनी आसान दिखाई देती है, असल में उतनी है नहीं। वरना यह सोचने वाली बात है कि यूक्रेन जैसा छोटा सा देश रूस की ताकतवर आर्मी के सामने चार सालों से कैसे डटा हुआ है? इसका जवाब है अमेरिका और यूरोपीय संघ। अमेरिका और यूरोपीय संघ इस जंग में यूक्रेन का हर तरीके से साथ दे रहे हैं। अब यूरोपीय संघ ने यूक्रेन की मदद करके रूस को तगड़ा झटका देने का प्लान बना लिया है। यह प्लानिंग यूरोप के कई देशों ने मिलकर बनाई है, जिसके लिए डेनमार्क के कोपेनहेगन में बैठक हो चुकी है।
आखिर रूस के खिलाफ ये प्लान क्या है? आइए इस स्टोरी में जानते हैं..
यूरोपीय संघ के नेता एक 'क्षतिपूर्ति योजना' पर विचार कर रहे हैं। यह क्षतिपूर्ति योजना यूक्रेन के लिए बनाई गई है। इसके तहत रूस के साथ युद्ध खत्म होने के बाद यूक्रेन को उसके बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए 164 अरब डॉलर का लोन देने के लिए रूस की जब्त की गई सरकारी संपत्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा।
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कोपेनहेगन में हाई लेवल बैठक
डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में बुधवार (1 सितंबर) को इसको लेकर एक हाई लेवल बैठक हुई। इस बैठक में यूरोपीय संघ के नेताओं ने इस योजना के प्रति समर्थन अपना दिया। यह बैठक डेनमार्क के हवाई क्षेत्र में ड्रोन देखे जाने और हवाई अड्डों को बंद किए जाने के कुछ दिनों बाद हुई थी। दरअसल, डेनमार्क, पोलैंड, रोमानिया और एस्टोनिया ने आरोप लगाया है कि रूस के ड्रोन उनके हवाई क्षेत्र में घुसपैठ किया है। इन आरोपों के बाद यह बड़ी बैठक की गई है।
डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने इसको लेकर एक बयान में क्षतिपूर्ति योजना का पुरजोर समर्थन किया। स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन ने भी कहा है कि वह इस योजना के पूरी तरह से पक्षधर हैं। हालांकि, फिलहाल रूस ने यूरोपीय देशों के इस षड्यंत्र पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
यूरोप की क्षतिपूर्ति योजना क्या है?
क्षतिपूर्ति योजना की रूपरेखा सबसे पहले यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने पिछले महीने सितंबर में तैयार की थी। यूरोपीय आयोग ने यूक्रेन को अमेरिका द्वारा दी जा रही वित्तीय मदद को कम होने के साथ ही क्षतिपूर्ति योजना के लिए अपना समर्थन बढ़ा दिया है।
बता दें कि अपने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकियों से वादा किया था कि वह यूक्रेन को दी जा रही वित्तीय और सैन्य सहायता देना बंद कर देंगे। अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ने स्पष्ट कर दिया कि वह यूक्रेन को वित्तीय सहायता और सुरक्षा गारंटी देना कम कर देंगे। यही वजह है कि अमेरिका के पीछे हटने के बाद अब यूरोप के दर्जनों देश इस कमी को पूरा करने के लिए आगे आए हैं।
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ये है पूरी योजना
यूरोप की योजना के तहत, यूक्रेन को 140 अरब यूरो (164.4 अरब डॉलर) के लोन के लिए यूरोपीय बैंकों में जमा रूसी संपत्तियों को रिपेमेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। लोन की अदायगी रूस से युद्ध क्षतिपूर्ति के जरिए की जाएगी, लेकिन लोन की गारंटी यूरोपीय संघ के अगले दीर्घकालिक बजट में या अलग-अलग यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा भी दी जाएगी।
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष वॉन डेर लेयेन ने कहा, 'हमें सैन्य सहायता के लिए एक ज्यादा ढांचागत समाधान की जरूरत है। इसीलिए मैंने एक क्षतिपूर्ति लोन का विचार रखा है जो स्थिर रूसी संपत्तियों पर आधारित हो।'
यूरोप के पास रूस की कितनी संपत्तियां जब्त हैं?
फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रशियन सेंट्रल बैंक की लगभग 300 अरब डॉलर की संपत्तियां जब्त कर ली हैं। इसमें से ज्यादातर 246.9 अरब डॉलर- यूरोप में हैं, जिनमें से 217.5 अरब डॉलर नकद हैं। ये नदक पैसे बेल्जियम स्थित पूंजी बाजार कंपनी यूरोक्लियर के पास हैं।
30 जून को, यूरोक्लियर ने बताया कि उसकी बैलेंस शीट पर दर्ज रूसी प्रतिबंधित संपत्तियों से 2025 की पहली छमाही में 3.2 अरब डॉलर का ब्याज प्राप्त हुआ है। यह पिछले साल इसी अवधि में मिले 4 अरब डॉलर के ब्याज से कम है।
योजना की चुनौतियां क्या हैं?
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, किसी संप्रभु देश की संपत्ति को यूं ही जब्त नहीं किया जा सकता। इसलिए, यूक्रेन को यह लोन देना, रूस के अपने केंद्रीय बैंक की संपत्तियों पर संप्रभुता के दावे का उल्लंघन होगा। चूंकि ज्यादातर संपत्तियां बेल्जियम में हैं, इसलिए बेल्जियम ने इस योजना को और विस्तृत करने की मांग की है, ताकि अगर उसे संपत्तियां रूस को वापस करनी पड़ें, तो वह तैयार रहे।
बेल्जियम के प्रधानमंत्री बार्ट डी वेवर कोपेनहेगन में कहा, 'मैंने कल अपने सहयोगियों को समझाया था कि मुझे उनके साइन चाहिए, जिस पर लिखा हो- अगर हम पुतिन का पैसा लेते हैं, उसका इस्तेमाल करते हैं और अगर कुछ गड़बड़ होती है, तो हम सब जिम्मेदार होंगे।' इसपर वॉन डेर लेयेन ने कहा, 'यह बिल्कुल स्पष्ट है कि बेल्जियम अकेला सदस्य देश नहीं हो सकता जो जोखिम उठा रहा हो। जोखिम को व्यापक कंधों पर डालना होगा।'
इस योजना को लागू करने में ज्यादातर यूरोपीय नेता झिझक रहे हैं। उन्होंने इसके बारे में और विस्तार से विचार करने को कहा है।
रूस ने दी प्रतिक्रिया दी है?
रूस ने यूरोपीय संघ की इस योजना की निंदा करते हुए इसे रूस के धन की चोरी बताया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, 'हम रूसी संपत्ति की अवैध जब्ती की योजना पर बात कर रहे हैं। रूस में, हम इसे सीधे तौर पर चोरी कहते हैं।' पेसकोव ने कहा कि रूसी संपत्ति जब्त करने में शामिल किसी भी व्यक्ति पर किसी न किसी तरह से मुकदमा चलाया जाएगा। उन सभी को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि इसका सबसे गंभीर असर उन देशों पर पड़ेगा जिनके पास पैसे जमा हैं। साथ ही कहा कि अगर यह योजना आगे बढ़ती है, तो रूस यूरोपीय देशों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा।
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