फ्रांस में बुधवार को उस समय हंगामा मच गया जब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने करीबी सहयोगी सेबास्टियन लेकोर्नु को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। इस फैसले के बाद पेरिस की सड़कों पर 'ब्लॉक एवरीथिंग' (सब कुछ रोक दो) आंदोलन के तहत हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कीं, एक बस में आग लगा दी और रेलवे सिस्टम की बिजली लाइन को नुकसान पहुंचाया।
39 साल के सेबास्टियन लेकोर्नु फ्रांस के पिछले दो साल में पांचवें प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले फ्रांस्वा बेरू को हटाया गया था। फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह नई नियुक्ति हुई है, लेकिन प्रदर्शनकारियों को यह फैसला पसंद नहीं आया। एक प्रदर्शनकारी ने समाचार एजेंसी AFP से कहा, 'मैक्रों का अपने दोस्त को पीएम बनाना हमारे लिए तमाचा है। फ्रांस को बदलाव चाहिए।'
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200 लोग गिरफ्तार
'ब्लॉक एवरीथिंग' आंदोलन के तहत प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर कचरे में आग लगाई और पुलिस से भिड़ंत की। फ्रांस के गृह मंत्रालय के अनुसार, इस हंगामे में कम से कम 200 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलियाउ ने प्रदर्शनकारियों की निंदा करते हुए कहा कि वे 'विद्रोह का माहौल' बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि पूरे फ्रांस में 80,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं, जिनमें से 6,000 पेरिस में हैं।
इस्तीफे की मांग
2022 में दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से मैक्रों पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रदर्शनकारी उनके फैसलों से नाराज हैं। एक ट्रेड यूनियन रिप्रेजेंटेटिव ने रॉयटर्स से कहा, 'समस्या मंत्रियों में नहीं, बल्कि मैक्रों में है।' बीते तीन सालों में फ्रांस में कई बड़े प्रदर्शन हुए हैं। 2023 में 17 साल के नाहेल मर्जूक की पुलिस मुठभेड़ में मौत के बाद देशभर में दंगे भड़क गए थे। इसके अलावा, पेंशन सुधारों और किसानों की समस्याओं को लेकर भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए।
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क्या बोले मैक्रों?
इन प्रदर्शनों के बावजूद मैक्रों ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने विपक्ष पर 'सत्ता की भूख' और 'गैर-जिम्मेदाराना' रवैया अपनाने का आरोप लगाया। फ्रांस में यह ताजा हंगामा मैक्रों और उनकी सरकार के लिए नई चुनौती बन गया है।