बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में फंस गई है। राजस्व बोर्ड (NBR) के चेयरमैन अब्दुर रहमान खान ने सोमवार को कहा कि देश 'कर्ज के जाल' में फंस चुका है। कर्ज चुकाने के लिए खर्च कहां से आएगा, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, इस पर मंथन कर रही है। पहले बजट का बड़ा हिस्सा कृषि और शिक्षा पर खर्च होता था, अब कर्ज चुकाने पर खर्च होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि बिना इस सच को स्वीकार किए आगे बढ़ना मुश्किल है।
टैक्स-जीडीपी अनुपात तेजी से गिरकर सिर्फ 7 प्रतिशत रह गया है। कुछ साल पहले यह आंकड़ा 10 प्रतिशत से ऊपर था। NBR चेयरमैन अब्दुर रहमान खान ने इसे खतरनाक बताया। कम टैक्स वसूली की वजह से सरकार को लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है, जिससे विदेशी कर्ज पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह स्थिति देश को मजबूरी की स्थिति में धकेल रही है।
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बांग्लादेश की सबसे बड़ी चिंता क्या है?
PTI की एक रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर अर्थशास्त्री मुस्तफिजुर रहमान ने कहा कि अब वेतन-भत्ते के बाद सबसे ज्यादा पैसा ब्याज चुकाने में जा रहा है। पहले यह पैसा कृषि और शिक्षा पर खर्च होता था। वित्त सचिव खैरुज्जमां मजूमदार ने बताया कि इस साल का बजट देश के इतिहास में पहली बार असंतुलित हुआ है। यह ऐसा है कि किसी दुबले-पतले आदमी को और कमजोर कर दिया जाए।
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था नहीं संभाल पाए मोहम्मद यूनुस
वित्त सचिव खैरुज्जमां मजूमदार ने बांग्लादेश को आगाह किया है कि अगर बजट इसी तरह सिकुड़ता रहा तो अर्थव्यवस्था में स्थायी नुकसान होगा। घरेलू राजस्व बढ़ाए बिना कर्ज की निर्भरता कम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि विकास, महंगाई और आर्थिक प्रबंधन पर कितनी भी बहस हो, असली समस्या कम टैक्स कलेक्शन ही है। इसे ठीक करना सबसे जरूरी है।
कितना कंगाल हो गया बांग्लादेश?
विश्व बैंक की 2025 रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में बांग्लादेश का विदेशी कर्ज 42 फीसदी से बढ़कर 104.48 अरब डॉलर हो गया। अब देश का कर्ज एक्सपोर्ट से होने वाली कमाई का लगभग दोगुना हो चुका है। यह करीब 192 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कर्ज की किश्त चुकाने में निर्यात से होने वाली कमाई का 16% हिस्सा खर्च हो रहा है। बांग्लादेश को विदेशी कर्ज चुकाने के लिए अपनी निर्यात कमाई पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है।
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बांग्लादेश का क्या हो सकता है?
ज्यादा कर्ज चुकाने से विदेशी मुद्रा भंडार पर बोझ बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकता है। दक्षिण एशिया में सिर्फ श्रीलंका के साथ बांग्लादेश ही ऐसा देश है, जहां कर्ज का दबाव तेजी से बढ़ रहा है।
बांग्लादेश की बैंकिंग सेक्टर का हाल क्या है?
बैंकिंग सेक्टर भी बुरी हालत में है। सितंबर तक डिफॉल्ट लोन 6.44 लाख करोड़ टका पहुंच गया, जो कुल कर्ज का 35.7 प्रतिशत है। सिर्फ नौ महीने में डिफॉल्ट लोन 3 लाख करोड़ टका बढ़ा। निवेश रुक गया है, ऊर्जा संकट, महंगाई और अनिश्चितता की वजह से कारोबार ठप्प पड़ा है। अर्थव्यवस्था कभी इतनी कमजोर स्थिति में नहीं थी।
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माइक्रोफाइनेंस के मास्टर यूनूस, बांग्लादेश को डुबो रहे?
मुहम्मद यूनुस को 2006 में नोबल शांति पुरस्कार मिला था। उन्हें यह सम्मान ग्रामीण बैंक की स्थापना और माइक्रोक्रेडिट सेक्टर में काम करने के लिए दिया गया था। उन्होंने बांग्लादेश में छोटे-छोटे कर्ज बांटने का तंत्र विकसित किया था। इसकी वजह से कथित तौर पर बांग्लादेश के गरीब वर्ग को छोटे-छोटे कर्ज मिले और स्वरोज शुरू होने में मदद मिली। मोहम्मद यूनुस ने साबित किया था कि गरीब लोग भी कर्ज लौटा सकते हैं और इससे गरीबी उन्मूलन व महिलाओं का सशक्तिकरण होता है। उन्हें इस दिशा में काम करने के लिए नोबेल मिला था। अब उनकी बांग्लादेश की गिरती अर्थव्यवस्था के लिए आलोचना हो रही है।