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IIT मद्रास के प्रोफेसर मितेश खापरा को TIME मैग्जीन में क्यों मिली जगह?

टाइम मैग्जीन ने प्रोफेसर खापरा को यह सम्मान इसलिए दिया है क्योंकि उन्होंने भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी और AI4भारत में शानदार काम किया है। उनके शानदार योगदान के लिए टाइम की 2025 की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया।

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प्रोफोसर मितेश खापरा। Photo Credit- Freepik

दुनिया की प्रतिष्ठित मैग्जीन TIME समय-समय पर दुनिया के प्रभावशाली लोगों को अपने संस्करण में जगह देती है। अपने ताजा एडिशन में टाइम ने आईआईटी मद्रास के एसोसिएट प्रोफेसर मितेश खापरा को 2025 की AI क्षेत्र के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया है। टाइम की इस लिस्ट में एलन मस्क और सैम ऑल्टमैन जैसे वैश्विक हस्तियां भी शामिल हैं। 

 

टाइम मैग्जीन ने प्रोफेसर खापरा को यह सम्मान इसलिए दिया है क्योंकि उन्होंने भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी और AI4भारत में शानदार काम किया है। उनके शानदार योगदान के लिए टाइम की 2025 की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया गया। मितेश खापरा को प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण और मशीन लर्निंग में उनके शोध के लिए सम्मानित किया गया है। उनका काम खासतौर पर भारतीय भाषाओं पर केंद्रित है।

 

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भारतीय भाषाओं पर काम

उनका काम ऐसे एआई सिस्टम बनाने पर केंद्रित है जो भारत की 22 आधिकारिक भाषाओं को समझते हैं। साथ ही उन चुनौतियों का समाधान करते हैं जिन्हें अंग्रेजी-केंद्रित एआई मॉडल अक्सर अनदेखा कर देते हैं। लिस्ट में शामिल दूसरी हस्तियां जहां वैश्विक एआई कंपनियों से जुड़ी हैं, तो वहीं इनसब के विपरीत मितेश खापरा का काम काफी हद तक अकादमिक है।

 

उन्होंने AI4भारत की सह-स्थापना की। जो भारतीय भाषाओं में एआई को सुलभ बनाने के लिए ओपन-सोर्स टूल और डेटासेट विकसित करने के लिए समर्पित एक पहल है। टाइम के मुताबिक, क्षेत्रीय भाषाओं के लिए वॉइस तकनीक पर काम करने वाला लगभग हर भारतीय स्टार्टअप मितेश खापरा और उनकी टीम द्वारा विकसित डेटासेट पर निर्भर करता है।

परियोजना का नेतृत्व

मितेश खपरा की शोध प्रयोगशाला, AI4Bharat, ने एक परियोजना का नेतृत्व किया, जिसमें भारत भर के लगभग 500 जिलों से हजारों घंटों की आवाज की रिकॉर्डिंग इकट्ठा की गई, जिसमें विविध शैक्षिक और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के वक्ता शामिल थे।

 

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आईआईटी बॉम्बे से शुरू हुई यात्रा 

मितेश खपरा ने अपनी एआई की यात्रा आईआईटी बॉम्बे से शुरू की थी। उन्होंने आईआईटी बॉम्बे से एमटेक और पीएचडी डिग्री ली है। उनकी पीएचडी थीसिस मल्टीलिंग्वल कंप्यूटिंग के लिए संसाधनों के दोबारा इस्तेमाल पर केंद्रित थी। इसका मकसद एक साथ कई भाषाओं को संसाधित करने के लिए बेहतर तरीके विकसित करना था। 

मितेश के शोध का क्यों है महत्व?

भारत सरकार के भाषिणी मिशन में उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है, जिसका उद्देश्य AI के जरिए स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएं देना है। यहां तक कि वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियां भी हिंदी और मराठी जैसी भाषाओं के लिए अपने मॉडल को बेहतर बनाने के लिए AI4Bharat के ओपन-सोर्स डेटासेट का इस्तेमाल कर रही हैं। उनके प्रोजेक्ट ने भारत की सभी 22 आधिकारिक भाषाओं को शामिल किया। इसमें उस कमी को पूरा किया गया जहां पश्चिमी AI मॉडल कम प्रतिनिधित्व वाली भाषाओं पर खास ध्यान नहीं देते।

टाइम 100 एआई लिस्ट के मायने

टाइम मैग्जीन ने मितेश खपरा के हवाले से कहा कि 15 साल पहले भारत में भाषा प्रौद्योगिकी पर काम करने वाला एक औसत पीएचडी छात्र ज्यादातर अंग्रेजी से संबंधित समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता था। लेकिन अब इन डेटासेट की उपलब्धता के साथ मैं एक बदलाव देख रहा हूं, भारतीय छात्र भारतीय भाषाओं से जुड़ी चुनौतियों पर तेजी से काम कर रहे हैं। 

 

बता दें कि टाइम 100 एआई लिस्ट को तकनीकी दुनिया में सबसे सम्मानित मान्यता माना जाता है। इसमें उन शोधकर्ताओं, उद्यमियों और नीति निर्माताओं को शामिल किया जाता है जो AI के वैश्विक भविष्य को आकार दे रहे हैं।

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