डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। इससे पहले ट्रंप ने सूसी विल्स, एलन मस्क,विवेक रामास्वामी, तुलसी गबार्ड की अपने प्रशासन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंप दी है। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल उठता है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-अमेरिका के संबंधों पर क्या असर पड़ेगा? क्योंकि अमेरिका दुनिया की महाशक्ति है तो भारत उभरती हुई महाशक्ति है। ऐसे में आने वाले समय में दोनों देश अपने राजनयिक रिश्तों में कैसे सामंजस्य बिठाते हैं वह देखने वाली बात होगी।
इस बीच भारत और अमेरिका के संबंधों पर व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की दक्षिण एशिया प्रभारी लिसा कर्टिस ने कहा है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मजबूत संबंध हैं। उम्मीद है कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल के दौरान हुई दोनों देशों की प्रगति को आगे बढ़ाएंगे और भारत के साथ संबंधों को मजबूत करना जारी रखेंगे।
चुनौतियों का भी अनुमान
समाचार एजेंसी पीटीआई के दिए इंटरव्यू में लिसा कर्टिस ने कहा कि भारत और अमेरिका के लिए ट्रंप के पहले कार्यकाल की तरह ही चुनौतियों का भी अनुमान है, जिसमें टैरिफ से संबंधित मुद्दे, हथियारों की सप्लाई के लिए रूस पर निर्भरता और ईरान से तेल खरीद शामिल हैं।
लिसा कर्टिस ने साल 2017 से 2021 तक ट्रंप की उप सहायक और साउथ और सेंट्रल एशिया के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की सीनियर डायरेक्टर के तौर पर काम किया है।
जहां छोड़ी बातचीत, वहीं से शुरू होगी
कर्टिस ने कहा, 'मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ वहीं से बातचीत शुरू करेंगे, जहां से उन्होंने छोड़ी थी। भारत के प्रति उनकी भावनाएं और सद्भावना साफ तौर पर अच्छी है और मैं इसे रिश्ते को और मजबूत बनाने और साझेदारी को और मजबूत करने के अवसर के तौर पर देखती हूं।'
भारत के बढते कद को ट्रंप ने माना
लीसा कर्टिस ने जोर देते हुए कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान, दुनिया में भारत के बढ़ते महत्व और चीन की चुनौतियों से निपटने में इसकी भूमिका से प्रभावित होकर अमेरिका-भारत संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
मोदी-ट्रंप के रिश्ते
वर्तमान में कर्टिस लीसा सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी नाम की थिंक टैंक में इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की सीनियर फेलो और निदेशक हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों देशों के संबंधों को उस कार्यक्रम के दौरान देख सकते हैं, जब प्रधानमंत्री मोदी ने ह्यूस्टन के एस्ट्रोडोम में 50,000 अमेरिकियों को संबोधित किया था। हमने देखा कि जब राष्ट्रपति ट्रंप ने अहमदाबाद के एक स्टेडियम में 100,000 भारतीयों को संबोधित किया था। इन चीजों ने सही मायनों में भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते मजबूत करने में मदद की।