अमेरिका के व्यापार मंत्री हावर्ड लुटनिक ने दावा किया है कि भारत अगले एक-दो महीने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापारिक वार्ता की पहल करेगा और माफी मांगते हुए समझौता करने की कोशिश करेगा। हावर्ड लुटनिक भी डोनाल्ड ट्रंप के सुर में सुर मिलाते नजर आए हैं। एक तरफ अमेरिका में ही ट्रंप के फैसलों के खिलाफ आर्थिक विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं, दूसरी तरफ बार-बार अमेरिकी सरकार के अधिकारियों के ऐसे बयान सामने आ रहे हैं।
हावर्ड लुटनिक ने यह बयान ऐसे वक्त में दिया है, जब ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उनके लिए लंबा और समृद्ध भविष्य हो।' ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक पुरानी तस्वीर भी शेयर की।
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हावर्ड लुटनिक:-
मुझे लगता है कि हां, एक या दो महीने में भारत बातचीत के लिए सेम टेबल पर होगा, वे माफी मांगेंगे और डोनाल्ड ट्रम्प के साथ समझौता करने की कोशिश करेंगे। यह ट्रम्प के डेस्क पर होगा कि वे मोदी के साथ कैसे निपटना चाहते हैं, हम इसे उन पर छोड़ते हैं। यही कारण है कि वे राष्ट्रपति हैं।
शुक्रवार को ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में हावर्ड लुटनिक ने कहा कि अब भारत के पास दो विकल्प हैं। पहला यह कि या तो अमेरिका के साथ आएं, या 50 फीसदी टैरिफ चुकाएं।
ब्रिक्स पर चेतावनी
हावर्ड लुटनिक ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के मजबूत वैश्विक गठबंधन BRICS पर सवाल उठाए और भारत को धमकी दी। उन्होंने कहा कि भारत को अमेरिका का समर्थन करने या रूस और चीन के साथ गठजोड़ करने के बीच फैसला करना होगा।
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हावर्ड लुटनिक:-
भारत, रूस और चीन के बीच की स्वर है। अगर आप यही बनना चाहते हैं तो बनें। लेकिन या तो डॉलर का समर्थन करें, अमेरिका का समर्थन करें, अपने सबसे बड़े ग्राहक यानी अमेरिकी उपभोक्ता का समर्थन करें, या फिर 50% शुल्क चुकाएं। देखते हैं यह कितने समय तक चलता है।'
अमेरिका है दुनिया का सबसे बड़ा ग्राहक
क्या अमेरिका, अब भी भारत से बात करेगा, हावर्ड लुटनिक ने कहा, 'हम हमेशा बात करने को तैयार हैं। हम दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं। लोगों को याद रखना चाहिए कि हमारी 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था दुनिया का उपभोक्ता है। आखिरकार, सभी को ग्राहक के पास वापस आना होगा, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि आखिरकार ग्राहक हमेशा सही होता है।'
रूसी से तेल खरीदने पर दी धमकी
हावर्ड लुटनिक ने रूस से तेल खरीदने पर एक बार फिर देश की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'रूस-यूक्रेन संघर्ष से पहले भारत अपनी तेल जरूरतों का केवल 2% से कम रूस से खरीदता था। अब वे 40% रूस से खरीद रहे हैं। यह बिल्कुल गलत और हास्यास्पद है।'
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भारत का क्या रुख है?
भारत ने बार-बार कहा है भारत अपनी जरूरतों के हिसाब से ही व्यापारिक समझौते करता है। भारत की ऊर्जा जरूरत है कि रूस के साथ तेल खरीदे। फरवरी 2022 में रूस पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत ने सस्ते रूसी तेल की ओर रुख किया था। अमेरिकी नेतृत्व ने कहा है कि यह सब दिखावा है, भारत वापस आएगा।
हावर्ड लुटनिक:-
यह सब दिखावा है क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े ग्राहक से लड़ना अच्छा लगता है। अंततः आपके कारोबारी कहेंगे कि आपको इसे रोकना होगा। अमेरिका के साथ समझौता करना होगा।
अमेरिकी धमकियों का भारत ने क्या जवाब दिया?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण:-
भारत रूस से तेल खरीद जारी रखेगा क्योंकि यह आर्थिक और राष्ट्रीय हितों के लिए उपयुक्त है। हम वह तेल खरीदेंगे जो हमारे लिए सबसे उपयुक्त हो। चाहे वह रूस से हो या कहीं और यह हमारा फैसला है। अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस के साथ अपने व्यापार के लिए भारत की आलोचना करते हैं जबकि वे खुद रूस से आयात करते हैं।