संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में शुक्रवार को फिलिस्तीन मुद्दे पर एक अहम प्रस्ताव रखा गया था। फ्रांस की ओर से लाए गए इस प्रस्ताव को भारी समर्थन मिला और इसे 142 देशों के बहुमत के साथ पास कर दिया गया है। इस प्रस्ताव में फिलिस्तीन और इजरायल के बीच शांति स्थापित करने के लिए द्वि-राष्ट्र समाधान पर जोर दिया गया है। भारत ने भी इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है। हालांकि, मतदान में विश्व के सभी देशों ने हिस्सा नहीं लिया था।
मतदान के दौरान 10 देशों ने इसका विरोध किया है, जिनमें अमेरिका, इजरायल, अर्जेंटीना और हंगरी शामिल थे। वहीं, 12 देश मतदान की प्रक्रिया से दूर थे। जारी किए गए प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य मिडल ईस्ट में लंबे समय से जारी युद्ध और संघर्ष को खत्म करना है। खासकर 7 अक्तूबर 2023 के बाद से गाजा में बढ़ी हिंसा को देखते हुए यह प्रस्ताव रखा गया है।
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क्या है घोषणा पत्र का मकसद?
प्रस्तावित घोषणा पत्र में साफ कहा गया है कि गाजा में युद्ध को तुरंत रोक दिया जाए। साथ ही इजरायल और फिलिस्तीन दोनों को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देने की बात कही गई है। जारी घोषणा पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि हमास की किसी भी भूमिका को स्वीकार नहीं किया जाएगा और उससे हथियार डालने की मांग भी की गई है।
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इजरायल ने खारिज किया प्रस्ताव
भारत के समर्थन के साथ आए इस प्रस्ताव को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सकारात्मक संकेत मिला है लेकिन इजरायल ने इसे सख्त शब्दों में खारिज कर दिया। इजरायल सरकार की ओर से कहा गया कि ऐसे प्रस्ताव आतंकवादी गुटों को प्रोत्साहित करते हैं और शांति की राह में बाधा बनते हैं।
गौरतलब है कि यह मतदान ऐसे समय हुआ है जब 22 सितंबर से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन का आयोजन होने जा रहा है। इसकी अध्यक्षता सऊदी अरब और फ्रांस करेंगे। फ्रांस पहले ही फिलिस्तीनी राज्य को औपचारिक मान्यता देने का आश्वासन दे चुका है।