सऊदी, कुवैत में कमाई का 'काला सच', हर दिन जाती है दर्जनों लोगों की जान
भारतीय मजदूर खाड़ी देशों में बड़ी संख्या में जाते हैं। सऊदी अरब, ओमान, बहरीन, कतर और कुवैत भारतीय मजदूरों को लुभाते रहे हैं। साल 2024 के आंकड़े बताते हैं कि 92,58,302 भारतीय इन देशों में रहते हैं।

कुवैत में काम कर रहे भारतीय मजदूर (तस्वीर- गल्फ न्यूज)
भारत की सबसे बड़ी ताकत क्या है? भावनात्मक तौर पर लोग कह देते हैं कि यहां की युवा आबादी। भारतीय श्रमिकों की एक बड़ी आबादी खाड़ी के देशों में कमाने जाती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक खाड़ी के देशों में 92,58,302 भारतीय श्रमिक काम करते हैं या रहते हैं।
खाड़ी के देशों में भारतीय श्रमिक बड़ी संख्या में जाते तो हैं लेकिन वहां उनकी स्थिति कैसी है, इसके बारे में अक्सर नकारात्मक खबरें ही सामने आती हैं। अगर आप यूट्यूब या किसी दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सर्च करेंगे तो ऐसी कई चीजें मिलेंगी, जिन्हें जानकर आपको दुख हो सकता है।
खराब जीवन शैली, मजदूरी की दशा और भेदभाव भरे व्यवहारों के बाद भी रोजगार की तलाश में लोग खाड़ी के देश पहुंच जाते हैं। भारतीय मजदूरों गल्फ कॉर्पोरेशन काउंसिल (GCC) के देशों की ओर रुख करते हैं। यह सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, बहरीन, कतर और कुवैत GCC के सदस्य देश हैं। इस संगठन की स्थापना 1981 में हुई थी।
किन क्षेत्रों में काम करते हैं हिंदुस्तानी?
26 जुलाई 2024 को विदेश मंत्रालय ने विदेश में काम कर रहे श्रमिकों की स्थिति बताई थी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारतीय श्रमिकों की तीन श्रेणी GCC देशों में काम करती है। कुशल, अर्ध कुशल और अकुशल श्रमिक। ये श्रमिक निर्माण, तेल, गैस, खाद्य उद्योग, गेस्ट और खुदरा सेक्टर में काम करते हैं।
भारतीय श्रमिक, हाउसकीपिंग, डोमेस्टिक हेल्प, स्टोरेज, हेल्थ सर्विस, इंजीनियरिंग, आईटी, फाइनेंस, कृषि, कंस्ट्रक्शन, ट्रांसपोर्ट, पोर्ट और पोर्ट ट्रांसपोर्टेशन, पर्यटन, मइनिंग, एजुकेशन, ऑटोमोबाइल, घरेलू कार्य, जैसे प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर, मेड, सफाईकर्मी और कुकिंग सेक्टर में सक्रिय हैं।

किस GCC देश में कितने भारतीय रहते हैं?
बहरीन | 3,50,000 |
कुवैत | 10,00,726 |
ओमान | 6,73,000 |
कतर | 8,35,000 |
सऊदी अरब | 26,45,302 |
संयुक्त अरब अमीरात | 35,54,274 |
कुल | 92,58,302 |
हर साल कितने श्रमिकों की होती है मौत?
GCC देशों में भारतीय श्रमिकों और नागरिकों की बड़ी संख्या में मौतें भी होती हैं। सिर्फ UAE की ही बात करें तो साल 2020 में 2454 भारतीयों की वहां मौत हुई थी। जनवरी 2021 में यह आंकड़ा 2714 था। कतर में साल 2021 में 420 लोगों की मौत हुई थी, वहीं 2020 में यह आंकड़ा 384 था। नए आंकड़े और हैरान करने वाले हैं।
साल 2023 से 2024 के बीच 6001 भारतीय नागरिकों की मौत खाड़ी देशों में हुई। बहरीन में 24 मजदूर हादसे में मरे। 285 लोग अन्य वजहों से मरे। कुवैत में 91 लोगों की मौत दुर्घटनाओं की वजह से हुई, 584 लोग अन्य वजहों से मरे। ओमान में 83 नागरिकों की मौत हादसों की वजह से हुई, वहीं 425 लोग अन्य वजहों से मारे।

कतर में 43 मौतें दुर्घटनाओं में हुईं, वहीं 296 लोग अन्य वजहों से मरे। सऊदी अरब में 299 लोगों की मौत दुर्घटनाओं में हुई, 2023 अन्य वजहों से मरे। हादसों में खाड़ी के देशों में जान गंवाने वालों की संख्या 647 है, वहीं कुल मौतों की संख्या 6001 है।
जान जोखिम में डालकर क्यों खाड़ी देश जाते हैं लोग?
शादाब हुसैन अरेबियन इंटरनेशनल कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी में सुपर वाइजर के पद पर हैं। यह कंपनी कंस्ट्रक्शन काम देखती है। वह एक ट्रैवेल एजेंसी के जरिए यहां आए थे। सऊदी आने से पहले वह बेरोजगार थे। भारत में उन्हें 10 से 15 हजार प्रति महीने की नौकरी भी नहीं मिल रही थी।
सामान्य बीए हैं इसलिए बहुत अच्छी नौकरी का स्कोप यहां नहीं था। वह सऊदी गए। उन्होंने कुछ महीनों की ट्रेनिंग लीं, अच्छा काम बना तो अरेबियन इंटरनेशनल कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी में सुपर वाइजर बन गए। उन्हें शुरुआत में 2000 से लेकर सऊदी रियाल मिलते थे। भारतीय रुपये में यह आंकड़ा 45350.04 रुपये के आसपास है। परेशानियां हैं, गर्मी हद से ज्यादा है, महंगाई है लेकिन भारत में एकदम बेरोजगार रहने से बेहतर है कि वहां कमा लिया जाए।

एक तरफ भारत में नौकरी ही नहीं मिल रही थी, दूसरी तरफ वहां करीब 40 हजार से ज्यादा कमाने लगे। उनका जीवन स्तर सुधरा। शादाब की तरह कुछ और लोग भी वहां गए हैं। सबका दर्द एक ही है कि यहां रोजगार नहीं था। यहां रोजगार सबको मिल जाता है। सऊदी में ही सुहेल हुसैन रहते हैं। उनकी भी कहानी कुछ ऐसी ही है। वह एक ट्रैवेल एजेंसी में काम करते हैं। उन्हें हर महीने 2400 सऊदी रियाल मिलते हैं। भारतीय रुपये में इसकी कीमत 54420 रुपये है। भारत में उनके पास काम नहीं था। यहां काम मिल गया।
मजदूरों को दिक्कतें क्या हैं?
शादाब हुसैन बताते हैं कि खाड़ी देशों की कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनसे मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा जूझता है। उन्होंने बताया कि कड़े कानूनों का डर, सख्त नियमों का पालन, भारत से उलट माहौल और महंगाई की वजह से लोग बेहाल रहते हैं।
- सख्त कानून का डर, भारतीय विवाद होने पर कोर्ट जाने से बचते हैं।
- भाषा की दिक्कतें। लगातार 12 घंटे कड़ी धूप में काम करने से काम करने की जटिलताएं।
- मालिक से विवाद होने पर नौकरी गंवाने का खतरा
- ट्रेनिंग से इतर काम कराना और सही समय पर वेतन न देना।
- महंगी स्वास्थ्य सुविधाएं, जिसे आम मजदूर अफोर्ड नहीं कर पाता है।
- कैब सेवाएं इतनी महंगी हैं कि लोग ट्रांसपोर्टेशन से बचते हैं।
- सामान्य बीमारियां होने पर लोग इलाज कराने से टाल देते हैं।
- प्रदूषण की वजह से कम उम्र में होने वाली बीमारियां।
- मजदूरों के लिए सुविधाजनक माहौल की कमी।
- काम के अतिरिक्त दबाव का भी सेहत पर बुरा असर।
- अवसाद।
भारत में बेरोजगारी के आंकड़े क्या हैं?
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में साल 2018 से लेकर 2024 तक बेरोजगारी दर 8.17 फीसदी के आसपास रही है। वहीं सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए जनवरी-मार्च 2023 से जनवरी-मार्च 2024 के दौरान 6.8 प्रतिशत से घटकर 6.7 प्रतिशत हो गई। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के कुल बेरोजगारों में 83 फीसदी युवा हैं। ILO ने यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन डेवलेपमेंट (IHD) के साथ मिलकर रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में युवा बेरोजगारों की संख्या 65.7 प्रतिशत हो गई थी। वैश्विक आंकड़ों और देश के आंकड़ों में पर्याप्त अंतर है।
खाड़ी के देशों से कितना कमाता है भारत?
भारत के लिए खाड़ी के देशों में कारोबार मुनाफे का सौदा रहा है। खाड़ी के देशों के साथ भारत के बेहतर संबंध रहे हैं। GCC देशों के साथ भारत का व्यापार विदेश मंत्रालय के मुताबिक 161 बिलियन डॉलर का है। भारतीय रुपये में इसे समझें तो इन देशों और भारत के बीच होने वाला कारोबार करीब 13715.48 करोड़ रुपये का है।
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