ईरान के बाद क्या पाकिस्तान; पड़ोसी देश में इजरायल का खौफ क्यों?
ईरान पर बढ़ते इजरायली हमलों के बीच पाकिस्तान में भी खौफ का माहौल है। पड़ोसी देश में भी इजरायली हमले का डर सताने लगा है। पाकिस्तान में इजरायल का खौफ दशकों पुराना है।

इजरायल और ईरान संघर्ष। (Photo credit: Social Media)
ईरान और इजरायल के बीच संघर्ष में पाकिस्तान भी कूदने लगा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ईरान पर इजरायली हमलों की निंदा की और उन्होंने मुस्लिम उम्माह से एकजुट होने की अपील की। इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री एक कदम आगे निकल गए। उन्होंने कहा कि ईरान के हितों की रक्षा पाकिस्तान करेगा। पाकिस्तान की संसद में भी इजरायली हमलों की खूब चर्चा है। पाकिस्तान के सांसद असद कैसर को डर सता रहा है कि ईरान के बाद इजरायल का अगला लक्ष्य पाकिस्तान न बन जाए। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में पाकिस्तान पर इजरायल हमला कर सकता है, अगर हां तो इसकी वजह क्या है?
नफरती माहौल: पाकिस्तान में इजरायल के खिलाफ नफरती माहौल है। अक्सर इजरायली झंडे पाकिस्तान में जलाए जाते हैं। हालांकि यह रहस्य की बात है कि यह झंडे वहां कैसे पहुंचते हैं? नेता भी जनता की राह पर चलते हैं। यहूदी और इजरायल के प्रति नफरती भाषण आम बात है। पाकिस्तान फलस्तीन का पक्षधर है। इजरायल से कोई औपचारिक रिश्ते भी नहीं है, क्योंकि वह इजरायल को अवैध देश मानता है।
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नेतन्याहू का प्लान
बेंजामिन नेतन्याहू का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल है। इसमें वे कहते हैं कि अगर आतंकवादी इस्लामी शासन के पास ऐसे हथियार (परमाणु बम) पहुंच जाते हैं तो वह वैश्विक शांति को खतरे में डाल सकते हैं। नेतन्याहू का यह वीडियो साल 2011 का है। जब उनसे एक इंटरव्यू में पूछा गया कि अगली पीढ़ी के सामने सबसे बड़ी समस्या क्या है और हमें इसे आज हल करने के लिए क्या करना चाहिए?
जबाव में नेतन्याहू कहते हैं कि हमारा सबसे बड़ा मिशन किसी उग्रवादी इस्लामी शासन को परमाणु हथियारों तक पहुंचने से रोकना है। पहले को ईरान कहा जाता है, दूसरे को पाकिस्तान। अधिक सटीक रूप से पाकिस्तान पर तालिबान का कब्जा, क्योंकि अगर इन कट्टरपंथी शासनों के पास परमाणु हथियार होंगे तो वे उन नियमों का पालन नहीं करेंगे जिनका पालन पिछले लगभग 7 दशकों से किया गया है। वे हमारी दुनिया को खतरे में डाल सकते हैं। इसलिए पहली बात यह है कि उन्हें परमाणु हथियार प्राप्त करने से रोकना है। यह मिशन नंबर एक है और मिशन नंबर दो तेल का विकल्प खोजना। इससे हमारा ग्रह सुरक्षित रहेगा। मतलब नेतन्याहू के बयान से साफ है कि अगर पाकिस्तान के परमाणु बम तक आतंकी संगठन या किसी चरमपंथी गुट की पहुंच होती है तो इजरायल सीधे हमला का विकल्प चुन सकता है। नेतन्याहू के इसी पुराने बयान से पूरे पाकिस्तान में खलबली है।
पाकिस्तान ने ईरान को क्या आश्वासन दिया?
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) वरिष्ठ अधिकारी जनरल मोहसेन रेजाई ने इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान ब्रॉडकास्टिंग से बातचीत की। यह ईरान का सरकारी चैनल है। इसमें उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने हमें आश्वासन दिया है कि अगर इजरायल परमाणु बम से ईरान पर हमला करता है तो वह इजरायल पर परमाणु हमला करके जवाब देगा। ईरानी अधिकारी का यह बयान कुछ ही समय में दुनियाभर में छा गया।
पाकिस्तान को क्या डर सता रहा?
आईआरजीसी के बयान से खुद को घिरता देख पाकिस्तान ने तुरंत एक बयान जारी किया। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ईरान के दावे से पाकिस्तान को अलग किया। हालांकि 14 जून को वह पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में इजरायल के खिलाफ खूब बयानबाजी कर चुके हैं। उन्होंने इजरायल के खिलाफ मुस्लिम देशों को एकजुट होने की अपील की और कहा कि अगर ऐसा मुस्लिम देशों ने जवाबी एक्शन नहीं लिया तो ईरान, यमन और फलस्तीन जैसा हाल होगा। ख्वाजा आसिफ ने इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक बुलाने और इजरायल के साथ संबंध रखने वाले देशों से रिश्ते खत्म करने की अपील की।
पाकिस्तान और इजरायल के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं है। इजरायल को पाकिस्तान देश भी नहीं मानता है। उसके पासपोर्ट में भी लिखा है कि यह इजरायल के अलावा बाकी देशों के लिए मान्य है। परमाणु संपन्न पाकिस्तान को इजरायल भी खतरा मानता है। इजरायल को डर है कि कभी परमाणु हथियार आतंकी या कट्टरपंथी संगठनों के हाथ न लग जाएं।
1979 से इजरायल को टेंशन
इजरायल पिछले कई दशकों से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों से चिंतित है। 17 मई 1979 को पहली बार इजरायल के तत्कालीन प्रधानमंत्री मेनाकेम बेगिन ने उस वक्त के ब्रिटिश पीएम मार्गरेट थैचर को खत लिखा था। इसमें उन्होंने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता व्यक्त की थी। तब पाकिस्तान में जनरल जिया-उल-हक का शासन था। जिया और लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के बीच गहरी दोस्ती थी। इजरायल को खतरा था कि कहीं लीबिया के हाथ भी परमाणु हथियार बनाने की तकनीक न लग जाए।
इराक पर हमले के बाद डरा था पाकिस्तान
पाकिस्तान के पूर्व आर्मी ब्रिगेडियर फिरोज हसन खान ने साल 2012 में 'ईटिंग ग्रास: द मेकिंग ऑफ द पाकिस्तानी बम' नाम से किताब लिखी। किताब में दावा किया गया है कि 1981 के जून महीने में इजरायल ने अपने लड़ाकू विमानों से ईराक की राजधानी बगदाद के पास ओसिरक में निर्माणाधीन परमाणु रिएक्टर को तबाह कर दिया था। तब पाकिस्तान को भी अपने परमाणु ठिकानों पर हमले का डर सताने लगा था।
ईरान ने की थी पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की तारीफ
1987 में लंदन में कई रिपोर्ट प्रसारित की गईं। इसमें चिंता जताया गया है कि पाकिस्तान परमाणु तकनीक ईरान को दे सकता है। 1998 में जब पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किया था तब उस वक्त ईरान के विदेश मंत्री कमाल खर्राजी ने पाकिस्तान का दौरा किया था। उन्होंने इजरायल के खिलाफ क्षेत्र में संतुलन स्थापित करने पर पाकिस्तान की तारीफ की थी और कहा था कि दुनियाभर के मुसलमान अब बहुत अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
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जब इजरायल ने बनाया था पाकिस्तान पर हमले का प्लान
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1980 के दशक में इजरायल ने तीन बार भारत से पाकिस्तान के कहूटा में स्थित परमाणु संयंत्र पर संयुक्त तौर पर हमला करने का प्लान बनाया था। 1998 में परमाणु परीक्षण से पहले पाकिस्तान को इजरायली हमले का खौफ सता रहा था। उसने संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका से दखल देने की अपील भी की थी। तब पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने अपने हवाई क्षेत्रों में इजरायली F-16 विमानों को देखा है। हालांकि पाकिस्तान के इन दावों को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के प्रवक्ता ने खारिज कर दिया था।
फिरोज हसन खान ने अपनी किताब में दावा किया, 'भारत और इजरायल की सेनाओं ने कई अभ्यास किए थे। इसमें जगुआर विमानों का इस्तेमाल किया गया था। इजरायल ने प्लान साझा किया कि इजरायली विमान जामनगर से भारतीय एयरबेस से उड़ान भरेंगे। नॉर्थ इंडिया में एक सैटेलाइट एयरफील्ड में ईंधन लेंगे। रडार को चकमा देने के लिए हिमालय की पहाड़ियों के बीच से गुजरेंगे और अंतिम समय में पाकिस्तान में दाखिल होंगे।' किताब में दावा किया गया, 'अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के दबाव के बाद भारत और इजरायल को पीछे हटने पड़ा था।'
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