अमेरिका को क्यों कूदना पड़ा? ईरान जंग पर अब आगे क्या? समझिए पूरी कहानी
अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया है। ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट को अमेरिका ने निशाना बनाया है। इससे मिडिल ईस्ट में संघर्ष और खतरनाक होते दिख रहा है। ऐसे में जानते हैं कि अमेरिका इस जंग में क्यों कूदा? और अमेरिका के इस जंग में आने का असर क्या होगा?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
मिडिल ईस्ट में एक बार फिर ऐसे ही हालात बनते दिख रहे हैं, जैसे आज से 22 साल पहले 2003 में बने थे। तब इराक था और अब ईरान है। तब सद्दाम हुसैन थे और अब ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई हैं। तब भी यह दावा किया गया था कि इराक 'मास डिस्ट्रक्शन' वाले हथियार बना रहा है और अब भी दावा किया जा रहा है कि ईरान 'परमाणु हथियार' बनाने के करीब पहुंच गया है। तब अमेरिका के साथ ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देश थे। अब अमेरिका के साथ इजरायल है। तब भी अमेरिका के आने से मिडिल ईस्ट में अस्थिरता बढ़ गई थी और एक बड़ी जंग शुरू हो गई थी। अब फिर एक बड़ी जंग का खतरा बढ़ गया है।
इजरायल के हमले के 9 दिन बाद अब अमेरिका ने भी ईरान पर भी हमला कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमला करने का मकसद बताते हुए कहा कि यह इसलिए किया क्योंकि दुनिया को परमाणु खतरे से बचाना था।
ईरान पर हमले के लिए इजरायल कई दिनों से अमेरिका को मना रहा था। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कई बार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से बात की थी। एक दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि वे ईरान पर हमले के बारे में दो हफ्ते में फैसला लेंगे। हालांकि, अगले ही दिन अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट पर बम बरसा दिए। ट्रंप ने बताया कि अमेरिकी सेना ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट- नतांज, फोर्दो और इस्फहान पर हमला किया है। ट्रंप ने इसे सबसे कामयाब हमला बताया है।
ईरान पर अटैक के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, 'मैं दुनिया को बता सकता हूं कि यह हमले एक शानदार कामयाबी थी। ईरान की अहम न्यूक्लियर फैसिलिटी पूरी तरह तबाह कर दी गई हैं।' उन्होंने ईरान को चेतावनी देते हुए ट्रंप ने कहा, 'मिडिल ईस्ट को धमकाने वाले ईरान को अब शांत हो जाना चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो भविष्य में और ज्यादा बड़े हमले होंगे।'
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अमेरिका ने कैसे किया हमला?
अमेरिकी सेना ने शनिवार रात को ईरान पर हमला किया। यह हमला उसकी तीन न्यूक्लियर साइट- नतांज, फोर्दो और इस्फहान पर बम बरसाए गए। ट्रंप ने दावा किया है कि फोर्दो पर बमों का पूरा पेलोड गिराया गया है। फोर्दो को ही सबसे अहम न्यूक्लियर साइट माना जाता है। यह जमीन के काफी नीचे बनी हुई है।
ट्रंप ने बताया कि अमेरिकी सेना ने इन हमलों के लिए B-2 स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया है। यह काफी हाईटेक विमान माने जाते हैं। यह रडार को भी चकमा दे सकते हैं। CNN के मुताबिक, B-2 बॉम्बर में 40 हजार पाउंड तक पेलोड ले जाया जा सकता है।
फॉक्स न्यूज ने बताया है कि अमेरिकी सेना ने फोर्दो न्यूक्लियर साइट पर 6 बंकर बस्टर बम गिराए हैं। यह बम जमीन के कई फीट गहराई में छिपे टारगेट पर भी हमला कर सकते हैं। यह बम जमीन को छेदते हुए निकलते हैं और टारगेट पर हमला करते हैं। वहीं, नतांज और इस्फहान में अमेरिकी सेना ने 30 टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया था।
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3 न्यूक्लियर साइट बनीं निशाना
- नतांजः यह राजधानी तेहरान से लगभग 250 किलोमीटर दूर है। यह ईरान की सबसे बड़ी न्यूक्लियर साइट है। न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव (NTI) के मुताबिक, नतांज साइट में 6 इमारतें ऊपर और 3 अंडरग्राउंड हैं। इनमें से दो में 50 हजार सेंट्रीफ्यूज मशीनें रखी जा सकती हैं। सेंट्रीफ्यूज मशीनें वह होती हैं, जिनसे यूरेनियम को एनरिच यानी शुद्ध किया जाता है। इस साइट पर यूरेनियम को 60% तक एनरिच किया जा सकता है। CNN ने सैटेलाइट तस्वीरों के हवाले से बताया है कि अमेरिकी हमले में नतांज साइट की ऊपरी इमारतों को नुकसान पहुंचा है।
- फोर्दोः इसे ईरान की सबसे सीक्रेट साइट माना जाता है। यह साइट ईरान के पवित्र शहर कोम से काफी करीब है और पहाड़ियों पर बनी हुई है। फोर्दो पर हमला करना आसान नहीं है, क्योंकि यह जमीन से 80-90 मीटर यानी लगभग 250-300 फीट नीचे बनी है। इतनी गहराई तक हमला करने वाले बम अभी सिर्फ अमेरिका के पास ही हैं। साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी (ISIS) का मानना है कि मजह तीन हफ्ते में ही 233 किलो यूरेनियम को 60% तक शुद्ध कर सकता है। इससे 9 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के अनुसार, फोर्दो प्लांट में करीब 2,700 सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं।
- इस्फहानः यह न्यूक्लियर साइट सेंट्रल ईरान में हैं। यहां ईरान का सबसे बड़ा न्यूक्लियर रिसर्च कॉम्प्लेक्स है। NTI के मुताबिक, ईरान ने इसे चीन की मदद से 1984 में बनाया था। यहां करीब 3 हजार वैज्ञानिक काम करते हैं। NTI का कहना है कि इस्फहान फैसिलिटी में चीन से मिले तीन रिसर्च रिएक्टर्स हैं। इसके अलावा यहां कई लैब भी हैं।
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सवाल यह कि अमेरिका क्यों कूदा?
इजरायल ने 13 जून को ईरान पर हमला किया था। तब इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा था कि यह हमला ईरान के परमाणु ठिकानों पर किया गया है।
दरअसल, ईरान लंबे वक्त से परमाणु हथियारों पर काम कर रहा है। IAEA के चीफ राफेल ग्रॉसी ने पिछले साल एक इंटरव्यू में बताया था कि ईरान तेजी से परमाणु हथियार बनाने की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने बताया था कि ईरान अभी यूरेनियम को 60% तक शुद्ध कर ले रहा है। उनका कहना था कि परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम को 90% तक शुद्ध करना जरूरी है। राफेल ग्रॉसी का कहना था कि ईरान जल्द ही 90% तक पहुंच सकता है।
इजरायल और अमेरिका का मानना है कि अगर ईरान परमाणु हथियार बना लेता है तो इससे मिडिल ईस्ट में अस्थिरता आ सकती है। ईरान पर हमले का बचाव करते हुए नेतन्याहू ने कहा था, 'यह इजरायल के अस्तित्व की लड़ाई है।'
ईरान के न्यूक्लियर साइट को इजरायल ने निशाना बनाया लेकिन उसकी फोर्दो जैसी साइट जमीन से काफी नीचे बनी हैं, जिन्हें भेद पाना इजरायली सेना के बस की बात नहीं है। अभी दुनिया में सिर्फ अमेरिका ही ऐसा देश है, जिसके पास ऐसे बम हैं, जो जमीन के नीचे कई फीट तक जाकर हमला कर सकते हैं। यही कारण है कि इजरायल चाहता था कि अमेरिका इस जंग में कूद और ईरान पर हमला करे।
हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, 'हमारा मकसद ईरान की न्यूक्लियर एनरिचमेंट कैपेसिटी को तबाह करना था। दुनिया में आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश से पैदा होने परमाणु खतरे को रोकना था।'
#WATCH | Amid Iran-Israel conflict, the US strikes Iran's three nuclear facilities | President Trump says, "Iran, bully of the Middle East, must now make peace. If they do not, future attacks would be far greater and easier. For 40 years, Iran has been saying death to Israel,… pic.twitter.com/4udbZqXbW0
— ANI (@ANI) June 22, 2025
ट्रंप ने कहा, 'हमारा मकसद ईरान की न्यूक्लियर एनरिचमेंट कैपेसिटी को तबाह करना था। दुनिया में आतंकवाद का समर्थन करने वाले देश से पैदा होने परमाणु खतरे को रोकना था।'
उन्होंने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, 'यह अब और जारी नहीं रह सकता। या तो शांति होगा या फिर ईरान के लिए ऐसी त्रासदी होगी, जो हमने 8 दिनों में देखी त्रासदी से कहीं ज्यादा होगी। याद रखिए, अभी भी कई टारगेट बचे हैं। आज की रात सबसे कठिन थी और शायद सबसे घातक भी लेकिन अगर शांति नहीं आती है हम सटीकता के साथ उनपर हमला करेंगे। ज्यादातर टारगेट्स को कुछ ही मिनटों में नष्ट किया जा सकता है।'
अमेरिका के पास GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) है। इसे 'बंकर बस्टर' भी कहा जाता है। एक बम का वजन 13 हजार किलो होता है। जानकारों का मानना है कि यह बम विस्फोट होने से पहले जमीन में 61 मीटर तक गहराई में जा सकता है। अगर कंक्रीट का फ्लोर है तो उसे भी 18 मीटर तक भेद सकता है। चूंकि, फोर्दो न्यूक्लियर साइट 80 से 90 मीटर तक गहरी है। इसलिए इस बात की भी पूरी गारंटी नहीं है कि अमेरिका ने फोर्दो को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया होगा। हालांकि, इजरायल की तुलना में अमेरिका का यह बम उसके काफी करीब तक तो पहुंच ही गया।
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अमेरिका के आने से क्या होगा?
अमेरिका के जंग में कूदने से अब मिडिल ईस्ट में संघर्ष और बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का कहना है कि अब शांति का समय है। माना जा रहा है कि अमेरिका का यह फैसला खतरनाक हो सकता है क्योंकि ईरान ने चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका इस जंग में शामिल होता है तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बुधवार को कहा था कि अगर ईरान पर अमेरिका का हमला होता है तो उन्हें बहुत गहरी चोट पहुंचाई जाएगी।
इजरायली सेना ने शनिवार को कहा था कि वह एक लंबे युद्ध की तैयारी कर रहा है। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री इस्माइल बघेई ने चेतावनी दी थी कि अमेरिकी दखल से एक बड़े युद्ध का खतरा बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा था, अमेरिका का जंग में उतरना सभी के लिए बहुत खतरनाक होगा।
#WATCH | US strikes Iran's three nuclear facilities
— ANI (@ANI) June 22, 2025
President Donald Trump says, "This cannot continue. There will be either peace or there will be tragedy for Iran, far greater than we have witnessed over the last eight days. Remember, there are many targets left. Tonight's… pic.twitter.com/koWkXYjXBA
ट्रंप ने अपने संबोधन में चेतावनी दी है, 'या तो शांति होगी या फिर ईरान में ऐसी त्रासदी होगी, जो हमने 8 दिनों देखी त्रासदी से कहीं ज्यादा होगी। आज की रात सबसे कठिन थी और शायद सबसे घातक भी लेकिन अगर शांति नहीं आती है हम सटीकता के साथ उनपर हमला करेंगे। ज्यादातर टारगेट्स को कुछ ही मिनटों में नष्ट किया जा सकता है।'
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