आजाद ख्यालों से लेकर कट्टर सोच तक... ईरान की कहानी क्या है?
इजरायल और ईरान में एक नया संघर्ष शुरू हो गया है। संघर्ष इतना बढ़ गया है कि इससे मध्य पूर्व में एक नई जंग का खतरा भी बढ़ता दिख रहा है। ऐसे में जानते हैं ईरान का इतिहास और उसकी कहानी क्या है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
मध्य पूर्व में एक नया संघर्ष शुरू हो गया है। कई दशकों से एक-दूसरे के दुश्मन रहे इजरायल और ईरान अब एक बार फिर लड़ने लगे हैं। आलम यह है कि अब यह लड़ाई, जंग में तब्दील होती दिख रही है। तीन दिन से दोनों एक-दूसरे पर जबरदस्त हमले कर रहे हैं। इजरायल और ईरान, दोनों ही एक-दूसरे पर ड्रोन और मिसाइलें दाग रहे हैं। इजरायली हमलों में ईरान के टॉप जनरल और परमाणु वैज्ञानिकों समेत 78 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, ईरान के हमलों में भी इजरायल में भी कई लोग मारे गए हैं।
दोनों के बीच मौजूदा संघर्ष की शुरुआत 13 जून को तब शुरू हुई, जब इजरायल ने 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' लॉन्च कर ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने 'ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3' लॉन्च कर इजरायल पर हमला कर दिया।
इजरायल ने ईरान के रक्षा मंत्रालय के हेड क्वार्टर पर हमला करने का दावा किया है। वहीं, ईरान ने भी इजरायल के तेल डिपो और एनर्जी सप्लाई सेंटर पर हमला करने का दावा किया है।
अभी जैसे हालात हैं, उससे लग नहीं रहा है कि ईरान और इजरायल के बीच शांति आने वाली है। यह इसलिए क्योंकि इजरायल ने ईरान को चेतावनी दी है कि वह अपने हथियार रखने वाली जगहों को तुरंत खाली करे। इससे लग रहा है कि इजरायल अब ईरान के हथियारों के ठिकानों पर हमला कर सकता है।
यह भी पढ़ें-- दोस्त से दुश्मन तक... इजरायल और ईरान की दुश्मनी की पूरी कहानी
इजरायल और ईरान भले ही अभी एक-दूसरे के जानी दुश्मन हैं लेकिन कभी दोनों में अच्छी दोस्ती हुआ करती थी। आज ईरान एक कट्टर इस्लामिक मुल्क हैं लेकिन कभी बहुत बोल्ड हुआ करता था। एक दौर था जब ईरान पश्चिमी मुल्कों से भी ज्यादा प्रोग्रेसिव हुआ करता था लेकिन आज यहां अगर महिलाएं हिजाब न पहनें तो उन्हें गिरफ्तार तक कर लिया जाता है।
क्या है ईरान का इतिहास?
एक दौर था जब ईरान में राजशाही चलती थी। साल 1936 में जब ईरान में पहलवी वंश के रेजा शाह का शासन था तो उन्हें हिजाब और बुर्का पसंद नहीं था। उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। महिलाओं की आजादी के लिहाज से यह बहुत क्रांतिकारी कदम था।
उनके बाद उनके बेटे मोहम्मद रेजा पहलवी गद्दी पर बैठे। साल 1949 में ईरान में नया संविधान लागू हुआ। 1952 में मोहम्मद मोसद्दिक प्रधानमंत्री बने लेकिन 1953 में अमेरिका ने उनका तख्तापलट कर दिया। इसके बाद रेजा पहलवी ही देश के सर्वेसर्वा बन गए।
शाह के दौर में जब हिजाब और बुर्के पर बैन लगाया गया तो इसने एक वर्ग को नाराज भी किया। इसका नतीजा यह हुआ कि पुरुषों ने महिलाओं को घर से निकलना बंद कर दिया। रेजा पहलवी ने नाराजगी को देखते हुए कुछ सख्ती जरूर की लेकिन वे पश्चिमी सभ्यता की वकालत करते थे।
इन सबका नतीजा यह हुआ रेजा पहलवी को अमेरिका की 'कठपुतली' कहा जाने लगा। पहलवी से नाराजगी का फायदा उठाया अयातुल्लाह रुहोल्लाह खामेनेई ने। साल 1964 में पहलवी ने खामेनेई को देश निकाला दे दिया। खामेनेई ने इस गुस्से का फायदा उठाया और 'इस्लामिक क्रांति' कर दी।
यह भी पढ़ें-- क्या यह तीसरी जंग की शुरुआत है? इजरायल-ईरान के उलझने की पूरी कहानी
फिर शुरू हुई ईरान में इस्लामिक क्रांति
1963 में ईरान के शासक रेजा पहलवी ने कई नीतियों में बदलाव किया, ताकि ईरान भी पश्चिमी मुल्कों की तरह प्रोग्रेसिव बन सके। हालांकि, कट्टरपंथियों को यह पसंद नहीं आया।
इसी बीच 1973 में जबरदस्त तेल संकट आया। इसने तेल पर निर्भर ईरान की अर्थव्यवस्था को गिरा दिया। इससे जनता में शाह को लेकर गुस्सा और भड़क गया। सितंबर 1978 तक आते-आते जनता का गुस्सा फूट पड़ा। शाह के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर आई। इनका समर्थन किया मौलवियों ने। इन मौलवियों को फ्रांस में बैठे अयातुल्लाह रुहोल्लाह खामेनेई से कमान मिल रही थी। देखते ही देखते ईरान में गृह युद्ध के हालात बन गए। हालात संभलने के लिए देश में मार्शल लॉ लगा दिया गया।
जनवरी 1979 आते-आते ईरान में आंदोलन और भड़क उठा। जनता ने खामेनेई की वापसी की मांग शुरू कर दी। जनता की आवाज दबाने के लिए सेना ने आंदोलनकारियों पर गोलियां चला दीं। हालात बेकाबू होने के बाद 16 जनवरी 1979 को रेजा पहलवी अपने परिवार के साथ अमेरिका चले गए। ईरान छोड़ने से पहले रेजा पहलवी ने विपक्षी नेता शापोर बख्तियार को अंतरिम प्रधानमंत्री बना दिया।
यह भी पढ़ें-- ईरान, लेबनान, गाजा, हर तरफ दुश्मन, फिर भी कैसे अजेय है इजरायल?
और बदल गया पूरा ईरान!
इस्लामिक क्रांति से पहले तक ईरान में महिलाओं को बहुत छूट थी। महिलाएं पसंद के कपड़े पहन सकती थीं। पुरुषों के साथ घूम सकती थीं। मगर इस्लामिक क्रांति ने सब बदल दिया।
मार्च 1979 में ईरान में जनमत संग्रह हुआ। इसमें 98 फीसदी से ज्यादा लोगों ने ईरान को इस्लामिक रिपब्लिक बनाने के पक्ष में वोट दिया। इसके बाद ईरान का नाम 'इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान' हो गया। खामेनेई के आने के बाद नए संविधान पर काम शुरू हुआ। नया संविधान इस्लाम और शरिया पर आधारित था।
लाख विरोध के बावजूद 1979 के आखिर में नए संविधान को अपना लिया गया। नए संविधान के बाद ईरान में शरिया कानून लागू हो गया। कई सारी पाबंदियां लगा दी गईं। महिलाओं की आजादी छीन ली गई। अब उन्हें हिजाब और बुर्का पहनना जरूरी था। 1995 में वहां एक कानून लाकर पुलिस को 60 साल तक की औरतों को बिना हिजाब निकलने पर जेल में डालने का अधिकार दिया गया। इतना ही नहीं, ईरान में हिजाब न पहनने पर 74 कोड़े मारने से लेकर 16 साल की जेल तक की सजा हो सकती है।
यह भी पढ़ें-- ईरान-इजरायल की जंग में स्ट्रेट ऑफ होरमुज कितना अहम, डर क्यों?
अमेरिका को भी घुटनों पर ला दिया था!
इस्लामिक क्रांति के बीच एक ऐसी घटना भी हुई, जिसने अमेरिका तक को घुटनों पर ला दिया था। इस्लामिक क्रांति के बीच कुछ लोग ऐसे भी थे जो रेजा पहलवी की वापसी की मांग कर रहे थे। उनकी मांग थी कि रेजा पहलवी को ईरान भेजा जाए, ताकि वे अपनी सजा भुगत सकें। हालांकि, अमेरिका ने ऐसा नहीं किया। इससे ईरानियों के मन में इमेरिका को लेकर गुस्सा बढ़ गया।
फिर 4 नवंबर 1979 को तेहरान में स्थित अमेरिकी दूतावास के बाहर इस्लामी छात्र जमा हो गए। उन्होंने अमेरिकी दूतावास की घेराबंदी कर ली। खामेनेई ने भी इस घेराबंदी का समर्थन किया। प्रदर्शन करने वाले अमेरिका से रेजा पहलवी को वापस भेजने की मांग कर रहे थे लेकिन अमेरिका ने इसे ठुकरा दिया।
दिन गुजरते जा रहे थे लेकिन प्रदर्शनकारी दूतावास से हटने को राजी नहीं हो रहे थे। संयुक्त राष्ट्र ने भी पहल की, मगर कोई फायदा नहीं हुआ। दूतावास में उस समय 52 अमेरिकी बंधक थे। इस घेराबंदी के लगभग एक साल बाद रेजा पहलवी का मिस्र में निधन हो गया। उन्हें वहीं दफना दिया गया। लेकिन दूतावास की घेराबंदी जारी रही। अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत आजमा ली। अमेरिका में ईरानी लोगों की संपत्तियां भी जब्त कर ली गईं, लेकिन कुछ काम नहीं आया।
अमेरिका में जब रोनाल्ड रीगन नए राष्ट्रपति बने तो अल्जीरिया में अमेरिका और ईरान के बीच एक समझौता हुआ, तब जाकर बंधक रिहा हुए। प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को 444 दिन तक बंधक बना रखा था।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap