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भारत-चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी फ्लाइट पर क्या फैसला किया?

कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी फ्लाइट सेवा दोबारा शुरू करने को लेकर भारत-चीन के बीच सहमति बनी है। जानें पूरी डिटेल।

Indian Foreign secretary vikram misri and china foreign secretary wang yi । Photo Credit: PTI

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीन के विदेश सचिव वांग यी । Photo Credit: PTI

भारत और चीन ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। इसके अलावा दोनों देशों ने नई दिल्ली और बीजिंग के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने का भी फैसला किया है। यह फैसला भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के द्वारा लिया गया है।

 

विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि भारत और चीन के लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने और सुविधाजनक बनाने के लिए उचित कदम उठाने पर सहमत हुए हैं। 

 

आगे इस बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों द्वारा गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने का फैसला लिया गया है। हालांकि, इसके लिए मेकैनिज़म क्या होगा इस पर बाद में फैसला लिया जाएगा, साथ ही इस पर भी चर्चा की जाएगी कि किस तरह से इसे शुरू किया जाएगा।

नदी जल को लेकर भी होगी मीटिंग

दोनों देशों के बीच नदी जल को लेकर भी सहयोग पर चर्चा करने के लिए विशेषज्ञों की एक मीटिंग जल्द किए जाने पर भी सहमति बनी है।

 

विक्रम मिस्री चीन की अथॉरिटी के साथ इस बैठक के लिए दो दिवसीय चीन की यात्रा पर थे।

 

यह मीटिंग अक्टूबर में रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुए समझौतों के अनुसार हुआ है जिसमें दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर और बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने पर सहमति जताई थी।

 

बयान में आगे कहा गया, 'साल 2025 दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध का 75वां वर्ष है। इसका उपयोग दोनों देशों की जनता के बीच आपसी विश्वास और भरोसा बहाल करने के लिए और कूटनीतिक प्रयास को दोगुना करने के लिए किया जाना चाहिए।'

 

मीटिंग से पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह इस बात पर चर्चा करेगा कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने में अगले कदम क्या हो सकते हैं।

 

आधी हुई यात्रियों की संख्या

दोनों देशों के बीच फ्लाइट की सीधी सर्विसेज 2020 से ही बंद हैं। सीधी फ्लाइट की कमी और कड़े वीजा नियमों की वजह से दोनों देशों से पैसेंजर की कमी हो रही थी। 

 

लोगों को चीन जाने के लिए दक्षिण या दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का सहारा लेना पड़ता था। इन देशों में बांग्लादेश, वियतनाम और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं।

 

इ्सकी वजह से दोनों देशों के बीच आवाजाही लगभग आधी हो गई थी। एक आंकड़े के मुताबिक जनवरी से अक्तूबर 2024 के बीच दोनों देशों के बीच यात्रा करने वालों की संख्या 4.6 लाख थी जबकि रोक लगने से पहले साल 2019 में यही संख्या लगभग दस लाख थी।

हो चुके हैं दो समझौते

कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत और चीन के बीच अब तक दो समझौते हो चुके हैं। 

 

पहला समझौता 20 मई 2013 को हुआ था जिसके तहत लिपुलेख दर्रे से होकर कैलाश मानसरोवर जाने के लिए सहमति बनी थी। उस वक्त भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद थे और चीन की तरफ से उनके विदेश मंत्री वांग यी ने इस फैसले पर हस्ताक्षर किया था।

 

वहीं दूसरा समझौता 18 सितंबर 2014 को हुआ था। इस समझौते के तहत नाथूला के जरिए कैलाश को जाने पर सहमति बनी थी। इस समझौते पर हस्ताक्षर तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच यह समझौता हुआ था।



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