'सैनिकों की लाशें, घुसपैठ, उग्रवाद,' खालिदा जिया के समय भारत से रिश्ते कैसे थे?
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा का जिया का 80 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। उनके बेटे तारिक रहमान, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की कमान संभाल रहे हैं।

खालिदा जिया। Photo Credit: PTI
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार थीं और ICU में थीं। उनके बेटे, तारिक रहमान, 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं, वह पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं। खालिदा जिया को वेंटिलेटर पर रखा गया था। वह कई दिनों से लाइफ सपोर्ट पर थीं।
खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री, खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उनके निधन की पुष्टि की है। उनके डॉक्टरों ने बताया कि वह लिवर सिरोसिस की गंभीर बीमारी के साथ-साथ गठिया, डायबिटीज और हार्ट की समस्याओं से भी जूझ रहीं थीं।
खालिदा जिया, बांग्लादेश की सबसे ताकतवर हस्तियों में से एक रहीं थीं। उन्होंने अपने राजनीति के अंतिम दिनों में कई मुश्किलों का सामना किया। प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में जेल में भी रहना पड़ा। शेख हसीना के साथ उनकी सियासी दुश्मनी, 'बैटल्स ऑफ बेगम' के तौर पर बांग्लादेश में जानी जाती रही है।
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शेख हसीना का कार्यकाल कैसा था, भारत के साथ उनके रिश्ते कैसे रहे, आइए जानते हैं-
खालिदा जिया के दौर में भारत के साथ रिश्ते कैसे रहे?
खालिदा जिया, उस पार्टी से आती थीं, जिसका रुख हमेशा से भारत विरोधी रहा है। खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान के भी भारत के साथ तल्ख रिश्ते रहे हैं। उन पर सैन्य तानाशाही को बढ़ावा देने के आरोप लगे। जियाउर रहमान की मौत के बाद खालिदा जिया ने पार्टी की कमान संभाला और उन्हीं के नक्शे कदम पर चलीं। उनके कार्यकाल में भारत की कई मोर्चे पर चिंता बढ़ी थी।
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कब से कब तक सत्ता में रहीं खालिदा जिया?
खालिदा जिया दो बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनीं। पहला कार्यकाल 1991 से लेकर 1996 तक रहा और दूसरा 2001 से 2006 तक। दोनों कार्यकाल भारत के लिए झटके की तरह रहा लेकिन दूसरे कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तल्ख हुए। युद्ध तक की नौबत आ गई थी। भारत और बांग्लादेश के सामने टकराव राष्ट्रीय सुरक्षा, जल बंटवारे और सीमा को लेकर रहे। खालिदा जिया की अगुवाई वाली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की छवि भारत विरोधी रही है। खालिदा जिया के शासन में बांग्लादेश से भारतीय उग्रवादी समूहों को बढ़वा देने के आरोप लगे।
- उग्रवाद: साल 1991 के दौरान हुए चुनावों में खालिदा जिया की सरकार पर पाकिस्तान से फंडिंग लेने के भी आरोप लगे थे। साल 1996 में खालिदा जिया सरकार ने नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) के लड़ाकों पनाह दी, उन्हें ट्रेनिंग मुहैया कराई। पूर्वोत्तर की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बना संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के लड़ाकों को भी बांग्लादेश ने पनाह दिया। भारत के साथ, बांग्लादेश के रिश्ते और तल्ख हुए। भारत ने बांग्लादेश की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी, फिर भी बांग्लादेश ने भारत को धोखा दिया था।
- इस्लामिक कट्टरपंथ: साल 2001-2006 के कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव अपने चरम पर रहा। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने भारत विरोधी जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन किया। बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता बढ़ी और भारत ने सीमा पार आतंकवाद पर चिंता जाहिर की। घुसपैठ की कोशिशें हुईं। साल 2001 में तल्खी इस हद तक बढ़ गई कि युद्ध की नौबत आ गई थी।
- बोराइबारी कांड: अप्रैल 2001 में बांग्लादेश राइफल्स ने भारत को गहरा जख्म दिया था। बांग्लादेश राइफल्स के सैनिक और स्थानीय उग्रवादियों ने मिलकर भारत के 16 जवानों की हत्या की थी, उनकी लाशों को नोच लिया था। रंगपुर डिवीजन के कुरिग्राम जिले के बोराइबारी गांव में सैनिकों की क्षत-विक्षत लाशें मिलीं थीं। युद्ध की नौबत आ गई थी लेकिन किसी तरह सीज फायर हुआ।
- फरक्का बैराज विवाद: खालिदा जिया के शासन में नदियों के मुद्दे पर भी हमेशा टकराव बना रहा। फरक्का बैराज और गंगा जल बंटवारे पर असहमति बनी रही।साल 1996 में गंगा जल संधि हुई, लेकिन यह खालिदा जिया के कार्यकाल के अंत में और शेख हसीना की सरकार में पूरी हुई। तीस्ता जल बंटवारे पर कोई अहम संधि नहीं हो पाई।
- घुसपैठ: खालिदा जिया के शासन में सीमा पर घुसपैठ आम बात हो गई थी। दोनों देशों के बीच व्यापार ठप रहा, बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाओं को पनाह मिली। भारत ने सीमा पर चौकसी बढ़ाई लेकिन छिटपुट संघर्ष होते रहे। जब साल 1992 में खालिदा जिया भारत आईं थी, तब दुनिया आर्थिक उदारवाद की ओर बढ़ रही थी।
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क्या भारत से संबंध सुधारने की कभी कवायद हुई?
भारत ने बांग्लादेश को इसी राह पर बढ़ने का सुझाव दिया था। कट्टरपंथी ताकतों की वजह से बांग्लादेश में ऐसा नहीं पाया। साल 2006 में खालिदा जिया ने भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध सुधारने की कोशिश की थी लेकिन तब तक बांग्लादेश नेशनिलस्ट पार्टी चीन और पाकिस्तान के ज्यादा करीब पहुंच चुकी थी।
खालिदा जिया, भारत से रिश्ते नहीं सुधार पाईं थीं। उनके बेटे तारिक रहमान भी अब बांग्लादेश की सियासत संभालने के करीब हैं, चुनावों में आवामी लीग की गैरमौजूदगी से उनकी पीएम पद की दावेदारी बढ़ी है लेकिन अभी से संकेत मिल रहे हैं कि वह भारत से बेहतर संबंधों के पक्षधर नहीं हैं।
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