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युद्ध से कैसे मुनाफा कमाता है USA? गजब है महाशक्ति बनने की कहानी

अमेरिका आज दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक व सैन्य महाशक्ति है। मगर हमेशा ऐसा नहीं था। युद्ध के दम पर उसने विश्व पटल पर खुद को एक महाशक्ति के तौर पर उभरा।

Donald Trump

डोनाल्ड ट्रंप। (AI Generated Image)

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का आरोप है कि अमेरिका दुनियाभर में देशों को लड़ाकर लाभ कमाता है। सीरिया से अफगानिस्तान तक उसने यही किया है। अब भारतीय महाद्वीप में भी वह दो परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव बढ़ा रहा है। बता दें कि दुनिया के कई युद्धों में अमेरिका की संलिप्तता रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध में भी अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले यूक्रेन के साथ खड़ा रहा। सीरिया के गृह युद्ध में उसकी दखल रही। सोशल मीडिया में ख्वाजा आसिफ का वीडियो सामने आने के बाद दुनियाभर में एक नई बहस शुरू हो गई। क्या सच में अमेरिका युद्ध से मुनाफा कमाता है। अगर कमाता है तो वो कैसे? 

 

1898 और 1945 के बीच अमेरिका ने तीन युद्धों में हिस्सा लिया। कहा जाता है कि इन्हीं युद्धों ने अमेरिका को वैश्विक शक्ति के तौर पर उभरा। इससे पहले अमेरिका का अधिकांश ध्यान घरेलू मामलों में होता था। 18वीं शताब्दी में दुनियाभर में यूरोप का दबदबा था। मगर 19वीं शताब्दी में कई समीकरण बदले। तब तक अमेरिका कृषि की जगह औद्योगिक शक्ति बनने लगा था। 1853 में अमेरिका ने पहली बार अपनी नौसेना की एक टुकड़ी जापान भेजी और देश से बाहर दुनिया के मामलों में टांग अड़ाना शुरू किया। अमेरिका ने सबसे पहले गुआनो द्वीप पर कब्जा किया और अपने प्रभाव का विस्तार करने लगा।

 

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स्पेन युद्ध से शुरू हुआ अमेरिकी दबदबा

1898 में अमेरिका ने स्पेश के खिलाफ युद्ध छेड़ा। अमेरिका के करीब क्यूबा पर स्पेन का कब्जा था। अमेरिका उसे खदेड़ना चाहता था। अमेरिका ने अपने युद्धपोत यूएसएस मेन में धमाके का आरोप स्पेन पर लगाया और युद्ध की शुरुआत कर दी। युद्ध जीतने के बाद गुआम, फिलीपींस और प्यूर्टो रिको अमेरिकी संपत्ति बन गए थे। इसी साल अमेरिका ने हवाई के एक आजाद देश पर भी कब्जा कर लिया था।

 

अमेरिका का यहां प्रभाव काफी मजबूत हुआ। उस पर संसाधनों के भारी दोहन के आरोप भी लगे। काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के मुताबिक युद्ध और नए क्षेत्रों में कब्जों के कारण 20वीं शताब्दी में अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था।   

सैन्य अभियान से आर्थिक हितों को साधा

अमेरिका ने सैन्य अभियानों से दुनियाभर में अपने हितों की रक्षा की। उदाहरण के तौर पर 1900 में अमेरिका ने अपने 1000 से अधिक नौसैनिकों को चीन भेजा। यहां विद्रोह के कारण उसके आर्थिक हितों पर खतरा मंडरा रहा था। 

पहले विश्व युद्ध से कमाया मुनाफा

1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध चला। अमेरिका 1916 तक युद्ध से दूर रहा। मगर अचानक 1917 में वह भी युद्ध में कूद गया। अमेरिकी बैंकों ने मित्र राष्ट्रों को जर्मनी के खिलाफ कर्ज दिया और जीत हासिल होने पर भारी मुनाफा कमाया। उस वक्त अमेरिका ने तर्क दिया कि वह लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। 

द्वितीय विश्व युद्ध ने आर्थिक महाशक्ति बनाया

द्वितीय विश्व युद्ध से अमेरिका ने अपने आपको 1941 तक अलग रखा। पहले अमेरिका मित्र राष्ट्रों को कर्ज और हथियार ही दे रहा था। मगर 7 दिसंबर 1941 को जापान ने पर्ल हार्बर हमला कर दिया। इसके बाद अमेरिका को भी विश्व युद्ध में कूदना पड़ा। विश्व युद्ध में जर्मनी के हार के बाद अमेरिका का उदय वैश्विक महाशक्ति के तौर पर हुई।

 

डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत मुद्रा बन चुकी थी। अमेरिका की अर्थव्यवस्था 1939 से 1945 के बीच दोगुनी हो गई थी। दूसरी तरफ यूरोप की अर्थव्यवस्था 18 फीसदी तक घट गई थी। सबसे अधिक नुकसान जापान को उठाना पड़ा। उसकी आधी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई थी।

 

युद्ध कहीं भी हो, फायदा अमेरिकी कंपनियों को

अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा हथियार कारोबारी है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक अमेरिका सबसे अधिक हथियार बेचता है। सऊदी अरब, जापान और ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़े खरीदार है। युद्ध के कारण जब भी हथियारों की बिक्री बढ़ती है तो इसका सीधा फायदा अमेरिकी कंपनियों को होता है। 2022 में रूस के खिलाफ अमेरिका ने युद्ध में यूक्रेन को 44.2 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता दी। इन पैसों से अमेरिका ने हथियारों की खरीद की और आगे यूक्रेन को भेजा। 

गाजा युद्ध से भी कमाई

यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिका ने सऊदी अरब को सैन्य सहायता पहुंचाई। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक सऊदी अरब ने 2015 से 2019 के बीच अपने 73 फीसदी हथियार अमेरिका से खरीदे। ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी के मुताबिक इजरायल ने 2021 में अमेरिका से 288 मिलियन डॉलर के हथियार खरीदे। 2023 में यह राशि और बढ़ गई। हमास के खिलाफ युद्ध के बाद इजराइल ने अमेरिका से 772 मिलियन के हथियार खरीदे। उधर, अमेरिका का कहना है कि इराक और अफगानिस्तान युद्ध के कारण 2001 से 2011 तक उसे लगभग 1.6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।

 

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वीडियो में क्या बोल रहे ख्वाजा आसिफ?

ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अमेरिका ने लगभग 260 जंग लड़ी। चीन ने सिर्फ तीन युद्ध लड़े हैं। अमेरिका फिर भी कमाई करते रहता है। अमेरिका में मिलिट्री इंडस्ट्री की जीडीपी में बड़ी हिस्सेदारी है। इस वजह से उसे जंग करवानी पड़ती है। पैसा कमाने के बाद घर चला जाता है। यही उन्होंने अफगानिस्तान, सीरिया और लीबिया में किया। एक समय यह सभी देश समृद्ध थे। मगर आज दिवालिया हैं। इससे पहले स्काई न्यूज के एक इंटरव्यू में आसिफ ने आतंकियों को समर्थन करने की बात कबूली थी। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान 3 दशक से अमेरिका और ब्रिटेन जैसे पश्चिम देशों के लिए यह गंदा काम कर रहा था।

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