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सुशीला कार्की हो सकती हैं नेपाल की अंतरिम PM, सरकार बनाने की राह साफ

नेपाल की क्रांति अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती नजर आ रही है। नेपाल में कुछ नेताओं के नाम की चर्चा शुरू हुई है, जो सत्ता में आ सकते हैं। नेपाल की सेना के हाथों में अभी देश की कमान है।

Sushila Karki

नेपाली सुप्रीम कोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की। (Photo Credit: Social Media)

नेपाल में दो दिन के हिंसक प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई। नेपाल सेना के प्रमुख जनरल अशोक राज सिगडेल ने हालात संभालने के लिए काठमांडू की सड़कों पर सेना तैनात की। बुधवार देर रात करीब 2 बजे जनरल जनरल सिगडेल ने पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की के धापसी स्थित घर गए और उन्हें अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए मनाने में सफल रहे। अब सुशीला कार्की नेपाल की अगली अंतरिम प्रधानमंत्री हो सकती हैं। 

शुरुआत में कार्की इस प्रस्ताव को लेकर हिचकिचाईं, लेकिन 15 घंटे बाद लोगों के औपचारिक अनुरोध पर वह अंतरिम प्रमुख बनने के लिए राजी हो गईं। काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह ने भी अंतरिम प्रमुख के रूप में उनका नाम प्रस्तावित किया था। वह 'जेन जी' आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे माने जा रहे हैं। 

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नेपाल में क्या हो रहा है?

जनरल अशोक राज सिगडेल ने प्रदर्शनकारी समूहों और प्रदर्शन के नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत की। बैठक में जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने की मांग उठी। नेताओं ने न्यूनतम साझा एजेंडा तय करने और गुरुवार या शुक्रवार तक अंतरिम सरकार गठित करने पर सहमति जताई।

सुशीला कार्की कौन हैं?

सुशीला कार्की नेपाल की पहली चीफ जस्टिस थीं। उनकी छवि ईमानदार जज की रही है। साल 2017 में हंगामे के बाद उन्हें रिटायर होना पड़ा था। नेपाली कांग्रेस ने उनके खिलाफ महाभियोग नोटिस दर्ज किया था, लेकिन उनकी रिटायरमेंट के बाद इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। युवाओं ने उन्हें अपने आंदोलन का चेहरा माना है। वह भारत से बेहतर रिश्तों की पक्षधर हैं। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ी हैं।

 

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सुशीला कार्की के सामने क्या चुनौती होगी?

अब कार्की के नेतृत्व में नेपाली सेना उनके साथ मिलकर नए तरीके से संविधान बनाएगी। लोग 10 साल पुराने संविधान को अवैध बता रहे हैं।  

सेना क्या कर रही है?

जनरल अशोक राज सिगडेल ने केपी शर्मा ओली को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को गिरफ्तार करने या नजरबंद करने के खिलाफ चेतावनी दी थी। राजा ज्ञानेंद्र की लोकप्रियता नेपाल में बढ़ती जा रही है। सेना, अभी तक प्रदर्शन के खिलाफ नहीं थी लेकिन अब शुक्रवार तक नेपाल में कर्फ्यू रहा। बिना जरूरी काम घर से निकलने की मनाही है। देश में अशांति और लूटपाट रोकने के लिए सेना ने पहली बार हस्तक्षेप किया था।  

 

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सेना के सामने चुनौती क्या है?

नेपाल में अंतरिम सरकार के गठन के बाद अब सेना की सबसे बड़ी चुनौती है हिंसा रोकना। सेना की एक और चुनौती है कि सभी राजनीतिक ताकतों को बातचीत के लिए एक मंच पर लाना, जिससे देश की नई राजनीतिक व्यवस्था तय हो। साल 2006 में नेपाल में धर्म निरपेक्ष गणतंत्र को बनाने की कवायद शुरू हुई थी। रॉयल नेपाल आर्मी का नाम नेपाल सेना कर दिया गया था। 

सेना किसके साथ है?

नेपाल में सेना राजनीतिक तौर पर तटस्थ रही है। साल 2008 में राजा को सत्ता से हटाकर राजशाही खत्म की गई थी। साल 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल प्रंचड ने सेना प्रमुख रूकमांगुद कटवाल को हटाने की कोशिश की थी। राष्ट्रपति राम बरन यादव ने इस फैसले पर वीटो लगा दिया था। प्रचंड को इस्तीफा देना पड़ा था।  

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