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पीडोफिलिया के मामले में भारत और फ्रांस के कानून में कितना अंतर?

हाल ही में फ्रांस में पीडोफिलिया का एक हैरान कर देने वाला केस सामने आया है। ऐसे में भारत और फ्रांस में पीडोफिलिया के कानून में कितना अंतर है? आइये समझें

France Pedophilia case

सांकेतिंक तस्वीर, Photo Credit: Pixabay

फ्रांस में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक सर्जन डॉक्टपर 300 मरीजों के साथ यौन शोषण करने का आरोप है। इसमें बच्चों की संख्या सबसे अधित है। आरोप का नाम जोएल ले स्कोअर्नेक है। सुनवाई के दौरान आरोपी डॉक्टर ने अपना अपराध कबूला।

 

कोर्ट में आरोपी ने कहा, 'मैंने घिनौने काम किए हैं।' पुलिस ने जब डॉक्टर के घर की जांच की तो उन्हें लगभग 3 लाख पीडोफाइल तस्वीरें और वीडियो बरामद किए गए। इसके अलावा पुलिस को एक डायरी भी हाथ लगी है जिसमें डॉक्टर ने खुद को एक बड़ा विकृत व्यक्ति और बाल-यौन शोषण करने वाला बताया था। 

 

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फ्रांस की घटना से याद आया भारत का 2017 केस

फ्रांस में हुई इस घटना ने भारत में हुई एक भयावह घटना की याद दिला दी है जो वर्ष 2017 में हुई थी। सुनील रस्तोगी को सैकड़ों नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसने 500 से अधिक बच्चियों के साथ यौन शोषण करने की बात कबूली थी। हालांकि, पुलिस ने दर्जनों मामलों की पुष्टि की थी। उत्तराखंड का रहने वाला सुनील दिल्ली में आकर वारदात को अंजाम देता था। इस मामले ने POCSO कानून को सख्त करने की मांग को बढ़ाया दिया था। 

 

दरअसल, भारत और फ्रांस, दोनों देशों में पीडोफिलिया यानी बाल यौन शोषण से जुड़े कई बड़े मामले सामने आए हैं। हालांकि, दोनों ही देशों में कानून, जागरूकता और सजा देने के तरीकों में अंतर है। दोनों देशों में पीडोफिलिया के कानून में कितना अंतर है इससे पहले पीडोफिलिया क्या होता है यह समझ लेते है। 

 

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पीडोफिलिया क्या है?

पीडोफिलिया एक मानसिक विकार और यौन विकृति (Paraphilic Disorder) है, जिसमें किसी वयस्क व्यक्ति को बच्चों के प्रति यौन आकर्षण महसूस होता है। यह 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति में देखा जाता है, जो 13 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों की ओर यौन रुचि रखता है।

 

भारत और फ्रांस में पीडोफिलिया के कानून में कितना अंतर?

भारत में क्या कानून?

POCSO एक्ट (2012): नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों को रोकने के लिए सख्त कानून।
IT एक्ट (2000): डिजिटल चाइल्ड पोर्नोग्राफी को अपराध माना जाता है।
आजन्म कारावास और मृत्युदंड: जघन्य मामलों में आरोपी को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक दिया जा सकता है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी बनाना या देखना -अपराध माना जाता है।
बच्चों से अनुचित व्यवहार -सख्त सजा का प्रावधान।
POCSO के तहत उम्रकैद तक की सजा और जुर्माना।

 

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फ्रांस में क्या कानून?

नया पीडोफिलिया कानून (2021): 15 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किसी भी तरह का यौन संबंध अपराध माना जाएगा, सहमति की कोई जरूरत नहीं।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर कड़े नियम: चाइल्ड पोर्नोग्राफी रखने या फैलाने पर 5 साल तक की सजा और भारी जुर्माना।
पीडोफाइल को मेडिकल ट्रीटमेंट: कुछ मामलों में अपराधियों को सजा के अलावा मनोचिकित्सा ट्रीटमेंट भी दिया जाता है।


भारत में चर्चित पीडोफिलिया केस

सुनील रस्तोगी केस (2017, दिल्ली): 500 से ज्यादा बच्चियों का यौन शोषण करने का आरोप।
कोलकाता डिजिटल चाइल्ड पोर्नोग्राफी रैकेट (2020): हजारों चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट डार्क वेब पर बेचे गए।
मुंबई-गुजरात पोर्न रैकेट (2022): 43 बच्चों को शिकार बनाया गया, मुख्य आरोपी को इंटरपोल ने गिरफ्तार किया।

 

फ्रांस में चर्चित पीडोफिलिया केस

फ्रेंकोइस कैमेली (2017): फ्रांस के पूर्व राजनयिक को बांग्लादेश और भारत में बच्चों के यौन शोषण का दोषी पाया गया।
बर्नार्ड प्रेयन (2019): चर्च के एक पादरी ने 70 से अधिक बच्चों का यौन शोषण किया था।
गैब्रिएल मट्ज़नेफ़ (2020): प्रसिद्ध लेखक पर दर्जनों बच्चों के साथ यौन शोषण के आरोप लगे।

 

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दुनिया भर में पीडोफिलिया के मामले

कैथोलिक चर्च सेक्स स्कैंडल: कई देशों में पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण के आरोप लगे।
फ्रांस का सबसे बड़ा केस: एक फ्रांसीसी शिक्षक ने सैकड़ों बच्चों के साथ यौन दुर्व्यवहार किया।
अमेरिका में ‘जेफरी एपस्टीन’ मामला: इसमें हाई-प्रोफाइल लोगों का नाम सामने आया।

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