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पहलगाम: बार-बार मध्यस्थ बनने वाले ट्रम्प, अब चुप क्यों? इनसाइड स्टोरी

भारत और पाकिस्तान के बीच बार-बार मध्यस्थ बनने की पेशकश करने वाले डोनाल्ड ट्रम्प ने इस बार मध्यस्थता पर चुप्पी साधी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

Donald Trump and PM Narendra Modi

डोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (Photo Credit: PTI)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ बनने पर चुप्पी साध ली। वह कई मौकों पर भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर मध्यस्थ बनने की पेशकश कर चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार किया है। भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंध सबसे कठिन दौर में हैं। ताशकंद, शिमला और सिंधु समझौते भी नए विवाद में प्रभावित हो चुके हैं, ऐसे वक्त में भी डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों मित्र देश हैं लेकिन अपने-अपने मुद्दे दोनों सुलझा लेंगे। 

डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, 'मैं भारत के करीब हूं, मैं पाकिस्तान के भी बेहद करीब हूं। कश्मीर को लेकर वे हजारों साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर हजारों साल तक विवादित रहेगा, हो सकता है कि उससे भी ज्यादा। जो हुआ वह बुरा था।'

डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को कहा, 'कश्मीर में 1500 वर्षों से तनाव है। यह ऐसा ही है, लेकिन मुझे भरोसा है कि वे किसी न किसी तरीके से इसे सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव रहा है लेकिन यह हमेशा है।' हालांकि यहां ट्रम्प सही तथ्य बिना जाने बोल गए। पाकिस्तान, भारत से 1947 में अलग हुआ। कश्मीर का विवाद सिर्फ 7 दशक पुराना है।

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इस बार मध्यस्थ नहीं बनेंगे ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प, खुद को दुनिया का 'मध्यस्थ' बताते रहे हैं। यूक्रेन विवाद हो या इजरायल और हमास की जंग, हर जगह डोनाल्ड ट्रम्प खुद को मध्यस्थ बताने की पेशकश करते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच भी वह मध्यस्थ बनने की पेशकश कर चुके हैं लेकिन इस बार उन्होंने कहा, 'किसी न किसी तरीके से वे इसे सुलझा लेंगे।' 



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कब-कब मध्यस्थ बनने की पेशकश कर चुके हैं ट्रम्प?


जुलाई 2019
डोनाल्ड ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के साथ मुलाकात में कहा कि वे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं, अगर दोनों देश सहमत हों। 
भारत का जवाब:
भारत ने डोनाल्ड ट्रम्प के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

अगस्त 2019
डोनाल्ड ट्रम्प ने जी7 समिट में कश्मीर पर मध्यस्थता की पेशकश दोहराई। उन्होंने दावा किया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे इस बारे में बात की थी। 
भारत का जवाब:
भारत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के इन दावों का खंडन किया।

सितंबर 2019
न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने फिर कहा कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के लिए उपलब्ध हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि भारत और पाकिस्तान, दोनों अमेरिका के गहरे मित्र हैं।
भारत का जवाब:
कश्मीर हमारा मुद्दा है, हम सुलझा लेंगे, हमें किसी की दखल की कोई जरूरत नहीं है। 

फरवरी 2020
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत आए थे। भारत दौरे के दौरान उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश दोहराई।
भारत का जवाब: 
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत किसी भी देश के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा। 

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दूसरे कार्यकाल में बदले तेवर?
डोनाल्ड ट्रम्प, जनवरी 2025 को दूसरी बार चुनकर सत्ता में आए। अमेरिका के नए राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने दुनियाभर में टैरिफ तो लादा। भारत पर भी उन्होंने टैरिफ लगाया। डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 26 फीसदी टैरिफ लगाया। पहलगाम पर हुए हमले के बाद एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के संबंध तनावपूर्ण हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंध सबसे बुरे दौर में हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं, सीमा पर भी तनापूर्ण हालात हैं लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प मध्यस्थता की पेशकश से बच रहे हैं। 

क्यों इस बार मध्यस्थता के लिए राजी नहीं हुए ट्रम्प?
दीवान लॉ कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर निखिल गुप्ता ने कहा, 'भारत कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा मानता है। इस अभिन्न हिस्से में पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला कश्मीर भी है। दुनिया के कई देशों ने कश्मीर पर मध्यस्थ बनने की कोशिश की लेकिन भारत ने हमेशा इसे खारिज किया। डोनाल्ड ट्रम्प जानते हैं कि इस बार पेशकश को खारिज ही करता। ऐसा हो सकता है कि इसलिए ही उन्होंने इस विवाद में दखल देने से मना किया हो।'

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कश्मीर को आतंरिक मुद्दा मानता है भारत

अस्टिटेंस प्रोफेसर निखिल गुप्ता ने खबरगांव के साथ हुई बातचीत में कहा, 'जनवरी 1948 में पाकिस्तान ने कश्मीर में अवैध घुसपैठ की थी। भारत इस घुसपैठ के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) पहुंचा था। 1948 से 1949 के बीच UNSC में कई प्रस्ताव पारित हुए, जिसमें युद्धविराम और जनमत संग्रह की अपील की गई। संयुक्त राष्ट्र आयोग गठित हुआ।'

उन्होंने कहा, '1950 से 1957 तक UNSC ने समय-समय पर कश्मीर पर चर्चा की। जनमत संग्रह पर सहमति नहीं बनी। 1965 और 1971 में भी मुद्दा उठा लेकिन सहमति नहीं बनी। 5 अगस्त 2019 को जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया तब भी पाकिस्तान ने इसे  UNSC में उठाया। 16 अगस्त 2019 को बंद कमरे में अनौपचारिक बैठक हुई, लेकिन कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ। भारत जब इसे संयुक्त राष्ट्र में उठाने का पक्षधर नहीं है तो डोनाल्ड ट्रम्प को ऐसे ऑफर क्यों देने देगा। भारत कश्मीर को वैसे ही मानता है जैसे कि देश के दूसरे राज्य। ऐसे में कोई भी संप्रभु देश, दूसरे देश की दखल क्यों बर्दाश्त करेगा।'

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