पाकिस्तान में 'खाद' के अकाल से छा सकती है भुखमरी! उर्वरक आपूर्ति ठप
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्रालय ने भी सिंध सरकार के सामने मुद्दा उठाते हुए कहा है कि देश भर में खरीफ सीजन जोरों पर है, ऐसे में इस समय यूरिया और डीएपी की अनुपलब्धता फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।

प्रतीकात्मक तस्वीर। Photo Credit- Freepik
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में पाकिस्तान का सीधा हाथ है इसकी कड़ियां खुलने लगी हैं। भारत सरकार एक के बाद एक कड़े फैसले लेकर पाकिस्तान को सबक सिखाने की पूरी तैयारी कर चुकी है। सिंधू जल करार को निलंबित करके भारत ने पाकिस्तान की 240 मिलियन जनता को सीधे तौर पर जोरदार झटका दिया है क्योंकि इसी पानी से पाकिस्तान की जनता को पीने के पानी से लेकर सिंचाई करने और बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
इस बीच खबर है कि पूरे पाकिस्तान में उर्वरक (खाद) की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिससे वहां के किसान अपनी फसलों में खाद नहीं दे पारे रहे हैं। खेतों में खड़ी फसलों में खाद नहीं दे पाने से पाकिस्तान के अलग-अलग राज्यों में फसलों की पैदावार में भारी मात्रा में कमी आ सकती है।
सिंध में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन
दरअसल, सिंध में बड़े पैमाने पर धरना-प्रदर्शन चल रहा है, जिसकी वजह से वहां के प्रमुख सड़कें और महत्वपूर्ण हाईवे को प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया है। इन मार्गों के अवरुद्ध हो जाने से रास्तों में ही जहां-तहां हजारों ट्रक फंस गए हैं, जिससे पाकिस्तान में औद्योगिक संचालन ठप हो गया है।
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धरना-प्रदर्शन की वजह से पिछसे एक हफ्ते से पाकिस्तान में कई प्रमुख जगहों पर ट्रैफिक रूक गया है। इससे सबसे ज्यादा सुक्कुर-लरकाना डिवीजन प्रभावित हुआ है। इन रुकावटों ने पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों और व्यवसायियों में चिंता पैदा कर दी है।
खरीफ सीजन की फसलें होगीं प्रभावित
इस व्यवधान ने पाकिस्तान के कृषि कैलेंडर का हिला दिया है। दरअसल, खरीफ सीजन आने वाली है जिसमें कपास, मूंगफली, धान, बाजरा, मक्का, गन्ना और चावल जैसी फसलें बोई जाती हैं। इन फसलों की अच्छी पैदावार में यूरिया की समय पर उपलब्धता बहुत अधिक निर्भर करती है।
पाकिस्तान के कृषि अधिकारियों ने अनुमान लगाया है कि अगर उर्वरक, खासतौर से यूरिया और डीएपी के वितरण में देरी होती है तो इससे इन फसलों की पैदावार में भारी कमी आ सकती है। फसलों के कम पैदावार से देश में खाद्य पदार्थों की कीमतें बेतहाशा बढ़ सकती हैं, साथ ही किसानों पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है। बता दें कि पाकिस्तान के किसानों की आर्थिक हालत पिछले साल से ही खस्ता चल रही है।
सिंध सरकार के सामने उठा मुद्दा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्रालय (MNFSR) ने भी सिंध सरकार के सामने यह मुद्दा उठाया है। मंत्रालय ने सिंध सरकार से कहा है कि देश भर में खरीफ सीजन जोरों पर है, ऐसे में इस समय यूरिया और डीएपी की अनुपलब्धता फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। यह पातिस्तान की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है।
पाकिस्तान के अखबार डॉन की खबर के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्रालय ने सिंध के मुख्य सचिव आसिफ हैदर शाह को एक पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि उर्वरक बनाने वाली कंपनियों को आशंका है कि इस स्थिति के बने रहने से उर्वरक संयंत्रों को जबरन बंद करना पड़ सकता है, जिससे खरीफ फसलों के लिए खाद मिलना मुश्किल हो जाएगा।
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रॉ मटेरियल की कमी से जूझ रहीं कंपनियां
इसके साथ ही पाकिस्तान की फर्टिलाइजर इंडस्ट्री रॉ मटेरियल की कमी से भी जूझ रही है। पाकिस्तान में मीरपुर माथेलो में फौजी फर्टिलाइजर और दहारकी में एंग्रो फर्टिलाइजर कंपनियां सबसे ज्यादा उर्वरक का उत्पादन करती हैं। यह दोनों की कंपनियां सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इनके प्रभावित होने का मतलब है कि पूरे देश में यूरिया और डीएपी की आपूर्ति में कमी आएगी।
पाकिस्तान फर्टिलाइजर मैन्युफैक्चरर्स एडवाइजरी काउंसिल (FMPAC) के कार्यकारी निदेशक ब्रिगेडियर शेर शाह मलिक के मुताबिक, वर्तमान में 600 से ज्यादा उर्वरक से लदे ट्रक दहारकी, मीरपुर माथेलो और पोर्ट कासिम सहित प्लांट साइट्स पर फंसे हुए हैं। इन इकाइयों में रोजाना लगभग 100,000 से 150,000 टन खाद का उत्पादन होता है लेकिन सिंध में प्रदर्शनकारियों के नाकेबंदी की वजह से लगभग पांच लाख टन खाद कारखानों और सड़कों पर फंसी हुई है।
कंपनियां के सामने पैदा हुईं कई रुकावटें
उर्वरक कंपनी से जुड़े एक अधिकारी ने डॉन को बताया है कि फर्टिलाइजर कंपनियों में खाद के भंडारण करने क्षमता सीमित है इसलिए ये कंपनियां और उर्वरक का भंडारण नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि खाद के उत्पादन को रोकने में तीन दिन लगेंगे और इसके उत्पादन को फिर से शुरू करने में भी उतने ही दिन लगेंगे। अधिकारी ने बताया कि उर्वरक कंपनियां चौबीसों घंटे काम करती हैं।
अधिकारी ने कहा कि यह यह सिर्फ सिंध राज्य का ही मुद्दा नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव डालने वाली समस्या बन रही है। पाकिस्तान फर्टिलाइजर मैन्युफैक्चरर्स एडवाइजरी काउंसिल ने भी सिंध सरकार से अनुरोध किया है कि वह संबंधित प्रशासनिक और पुलिस को इस समस्या को हल करने में मदद करे, जिससे सिंध में खाद की सुरक्षित और निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो सके।
अपनी जगह तक नहीं पहुंच पा रहा कच्चा माल
इन रुकावटों की वजह से सिर्फ उर्वरक/खाद की आपूर्ति ही प्रभावित नहीं हो रही है बल्कि इससे पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर आर्थिक गिरावट भी बढ़ रही है। उत्तरी सिंध में और सुक्कुर में 3,500 से भी ज्यादा सामानों से भरे हुए ट्रक सड़कों और हाईवे पर रूके हुए हैं। इन ट्रकों में निर्यात संबंधी सामान, जल्दी खराब होने वाले जरूरी सामान और औद्योगिक सामग्री भरी हुई है। कंटेनरों की सड़कों पर कतारें लगने की वजह से देश में आपूर्ति श्रृंखला तेजी से बाधित हो रही है।
इसके अलावा कराची बंदरगाह पर भी कच्चा माल रुका हुआ है। कच्चा माल नहीं मिलने से उर्वरक निर्माताओं को खाद उत्पादन करने में देरी हो रही है। कच्चे माल की आपूर्ति नहीं होने से निर्यातकों पर भी असर पड़ रहा है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार कम हो सकता है।
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