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PM मोदी यूं ही नहीं गए गयाना, इसके पीछे भी एक रणनीति है

पीएम मोदी के गयाना जाने के पीछे एक सोची-समझी रणनीति है, जो मिडिल ईस्ट पर भारत की निर्भरता को कम कर सकता है।

PM Modi and guyana president mohammad irfaan ali : PTI

पीएम मोदी गयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली । पीटीआई

पीएम मोदी तीन देशों की यात्रा पर है। 16 नवंबर को भारत से रवाना होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले नाइजीरिया पहुंचे, फिर जी-20 की मीटिंग में शामिल होने के लिए ब्राज़ील की राजधानी रियो-डि-जेनेरो पहुंचे। उसके बाद पीएम दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के छोटे से देश गयाना पहुंच गए। भारत के किसी प्रधानमंत्री ने करीब 55 सालों बाद गयाना की यात्रा की है। इससे पहले 1968 में तत्काली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गयाना की यात्रा की थी।

 

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत के लिए इस देश का ऐसा क्या महत्त्व है कि प्रधानमंत्री मोदी वहां पर गए।

तेल एवं गैस की ज़रूरत होगी पूरी

गयाना में हाल ही में तेल एवं गैस के रिज़र्व भंडार मिले हैं, जो कि भारत की ऊर्जा ज़रूरतों के पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 2015 में तेल एवं गैस के भंडार मिलने के बाद साल 2023 से गयाना ने इसे निकालना शुरू कर दिया। इस वक्त गयाना करीब 6.45 लाख बैरल तेल प्रतिदिन निकालता है, जिसे वह आने वाले समय में बढ़ाकर 9 लाख बैरल प्रतिदिन तक ले जाएगा। 

 

भारत ने साल 2021-23 के बीच गयाना से 148 मिलियन डॉलर (लगभग 1148 हजार करोड़ रूपये) के तेल एवं गैस की खरीददारी की थी।

रणनीतिक महत्त्व

यह बात सही है कि गयाना से भारत की तेल एवं गैस की ज़रूरतें पूरी हो सकती हैं, लेकिन यह बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। गयाना का भारत के लिए रणनीतिक या कहें की सामरिक महत्त्व भी है। पहली बात को वैश्विक राजनीति में ब्राज़ील को छोड़कर बाकी के दक्षिण अमेरिकी देशों की काफी कम चर्चा होती है। ऐसे में भारत धीरे-धीरे दक्षिण अमेरिकी देशों में अपनी पैठ बढ़ा पाएगा। यह भारत को 'ग्लोबल साउथ' देशों के नेता के रूप में उभरने का मौका भी देगा। 

 

दूसरा मिडिल ईस्ट में इस वक्त काफी उठापटक चल रही है, जिसकी वजह से भारत का तेल एवं गैस नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। ऐसे में गयाना जैसा देश भारत की जरूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

सांस्कृतिक महत्त्व

गयाना की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या भारतीय मूल की है, जिनके पूर्वजों को वहां पर गन्ने की खेती के लिए लेकर जाया गया था। इस तरह से भारत के गयाना के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृति संबंध हैं।

 

सदियों से वहां मौजूद भारतीय मूल के लोगों ने न सिर्फ भारतीय संस्कृति और परंपरा को बचाने और बढ़ाने का काम किया है बल्कि गयाना की आर्थिक प्रगति में भी योगदान दिया है।

गयाना को भी होगा फायदा

भारत के साथ संबंधों का गयाना को भी काफी फायदा होने वाला है। भारत की तरफ से गयाना को कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा और तकनीक के क्षेत्र में भी सहायता मिलेगी। 

 

हज़ारों घरों में सोलर ऊर्जा की सहायता से बिजली पहुंचाने के साथ साथ भारत ने गयाना को एचएएल ने डॉर्नियर-228 एयरक्राफ्ट भी दिया है और टेक्निकल ट्रेनिंग प्रोग्राम लिए गयाना को भारत मदद देगा।

 

 

करीब एक साल पहले गयाना के राष्ट्रपति डॉ। मोहम्मद इरफान अली ने अपने शिष्ट मंडल के साथ एचएएल के कानपुर डिवीज़न का दौरा किया था। 

तेज़ी से बढ़ रही है गयाना की जीडीपी

तेल और गैस भंडार मिलने के बाद से गयाना की जीडीपी बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। साल 2024 में गयाना की जीडीपी ग्रोथ 34 प्रतिशत रही थी। वहीं, पिछले 5 सालों की बात करें तो इसकी जीडीपी 5.47 बिलियन डॉलर से बढ़कर 21.174 बिलियन डॉलर हो गई है, जबकि जहां देश की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाएं महंगाई की मार झेल रही हैं तो वहीं गयाना की मुद्रास्फीति मात्र 4.5 प्रतिशत रही है।

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