कारोबार से लेकर निवेश तक, भारत और सऊदी अरब के रिश्तों की कहानी
पीएम मोदी आज से दो दिन के दौरे पर सऊदी अरब में रहेंगे। बतौर प्रधानमंत्री यह उनका सऊदी अरब का तीसरा दौरा है। बीते एक दशक में भारत और सऊदी अरब के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। ऐसे में जानते हैं कि दोनों के बीच किस तरह के रिश्ते हैं?

पीएम मोदी और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान। (File Photo Credit: PMO India)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सऊदी अरब जा रहे हैं। पीएम मोदी का यह दौरा दो दिन का होगा। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका यह सऊदी अरब का तीसरा दौरा है। इससे पहले पीएम मोदी 2016 और 2019 में सऊदी अरब गए थे। 2016 में पहली यात्रा के दौरान सऊदी ने पीएम मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'किंग अब्दुल अजीज साश' से सम्मानित किया था।
अपने दौरे में प्रधानमंत्री मोदी सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सऊद से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान भारत और सऊदी के बीच कई समझौतों पर दस्तखत भी होंगे। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को मजबूती मिलेगी।
हालिया कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब काफी करीब आए हैं। आखिरी बार 2023 में सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत आए थे। तब उन्होंने G20 समिट में हिस्सा लिया था।
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क्यों खास है PM मोदी का यह दौरा?
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है, जब अमेरिका और ईरान के बीच एक परमाणु समझौते पर बात चल रही है। अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी सऊदी अरब जाएंगे।
मोदी सरकार आने के बाद सऊदी अरब के साथ भारत के रिश्ते और मजबूत हो गए हैं। मोदी चौथे भारतीय प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने 2016 में सऊदी अरब की यात्रा की थी। उनसे पहले 2010 में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने सऊदी का दौरा किया था। भारत और सऊदी के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और कारोबारी रिश्तों का लंबा इतिहास रहा है।
पीएम मोदी के इस दौरे में इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। इजरायल-हमास जंग और मध्य पूर्व में संघर्ष की वजह से कॉरिडोर के काम पर असर पड़ा है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी और मोहम्मद बिन सलमान के बीच इस कॉरिडोर के काम को आगे बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है।
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एक-दूसरे के लिए क्यों जरूरी हैं भारत-सऊदी?
भारत की तेल और गैस की जरूरतें पूरी करने में सऊदी का अहम भूमिका है। रूस और इराक के बाद सऊदी तीसरा देश है, जिससे भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल खरीदता है। 2023-24 में भारत ने 23.3 करोड़ मीट्रिक टन कच्चा तेल आयात किया था, जिसमें से 14.3 फीसदी यानी 3.31 करोड़ मीट्रिक टन सऊदी से आया था।
वहीं, LPG के लिए सऊदी तीसरा सबसे बड़ा देश है। 2023-24 में भारत ने सऊदी अरब से 34.3 लाख मीट्रिक टन LPG आयात की थी। यह भारत के कुल आयात को 18.57 फीसदी था।
इसके अलावा, सऊदी अरब ने अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बदलने के लिए 'विजन 2030' लॉन्च किया था। इसके तहत, सऊदी की अर्थव्यवस्था में तेल की निर्भरता कम करना है और निवेश को बढ़ाना है। इसके लिए सऊदी ने जिन 8 देशों को चुना है, उनमें भारत भी शामिल है। सऊदी के विजन-2030 में भारत के अलावा चीन, इंग्लैंड, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, साउथ कोरिया और जापान शामिल है। इसके तहत, सऊदी की सरकार विदेशों में भारी-भरकम निवेश कर रही है। सऊदी के लिए भारत इसलिए भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि हाल ही मोदी सरकार ने ऑटो सेक्टर में 100% FDI को मंजूरी दी है।
इतना ही नहीं, डिफेंस सेक्टर में भी भारत और सऊदी अरब के बीच कई अहम समझौते हुए हैं। फरवरी 2024 में सऊदी की राजधानी रियाद में हुए 'वर्ल्ड डिफेंस शो' में कई भारतीय कंपनियों ने हिस्सा लिया था। इस दौरान भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब के साथ 22.5 करोड़ डॉलर की डिफेंस डील की थी।
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भारत और सऊदी के बीच कितना कारोबार?
भारत और सऊदी अरब के बीच कारोबार भी बहुत ज्यादा है। हालांकि, कुछ साल में यह थोड़ा कम भी हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 में भारत और सऊदी अरब के बीच 41.88 अरब डॉलर का कारोबार हुआ था।
इसमें भारत ने 30 अरब डॉलर से ज्यादा का सामान सऊदी से खरीदा था। जबकि, सऊदी ने भारत से 11.75 अरब डॉलर का सामान खरीदा था। निर्यात कम और आयात ज्यादा होने के कारण भारत का सऊदी अरब के साथ व्यापार घाटा रहता है। 2024-25 में भारत का सऊदी के साथ 18.36 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार घाटा था।
भारत से सऊदी अरब को सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग सामान, चावल, पेट्रोलियम उत्पाद, ऑटो और उससे जुड़े पार्ट्स, केमिकल, कपड़े, खाद्य उत्पाद और ज्वेलरी शामिल हैं। जबकि सऊदी अरब से भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल, LPG, उर्वरक, केमिकल, प्लास्टिक और इसके प्रोडक्ट्स शामिल हैं।
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निवेश कितना होता है?
भारत और सऊदी अरब, दोनों ने ही एक-दूसरे देशों में अरबों डॉलर का निवेश किया है। सऊदी अरब में स्थित भारतीय दूतावास की वेबसाइट के मुताबिक, हालिया सालों में सऊदी अरब में भारत का निवेश बढ़ा है और यह लगभग 3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह आंकड़े अगस्त 2023 तक के हैं।
L&T, टाटा मोटर्स, विप्रो, TCS, शापूरजी-पलोनजी, टेक महिंद्रा, वेदांता और एस्सार जैसी भारतीय कंपनियों ने भी सऊदी में करोड़ों डॉलर का निवेश किया है।
वहीं, सऊदी अरब ने भारत में करीब 10 अरब डॉलर का निवेश किया है। सऊदी सरकार की निवेश कंपनी पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (PIF) ने जून 2020 में 1.5 अरब डॉलर में रिलायंस जियो की 2.32% हिस्सेदारी ली थी। रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड में भी इस कंपनी ने 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया है।
PIF के मालिकाना हक वाली कंपनी SALIC ने 2020 में दावत फूड्स लिमिटेड में 1.72 करोड़ डॉलर में 30% हिस्सेदारी हासिल की है। 2022 में, SALIC ने भारत की LT फूड्स लिमिटेड में 4.4 करोड़ डॉलर की 9.2% हिस्सेदारी खरीदी। जुलाई 2021 में, PIF से जुड़ी एक कंपनी ने 7.5 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।
PIF के अलावा SABIC, अलफनार ZAMIL, अब्दुल लतीफ जमील, अल जोमैह और पेट्रोमिन ने भी भारत में काफी निवेश किया है। अल फनार ने गुजरात और राजस्थान में सोलर प्रोजेक्ट में लगभग 70 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। सऊदी की ऑटो कंपनी अब्दुल लतीफ जमील ने भारत की ग्रीव्स इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में 15 करोड़ डॉलर का निवेश किया था।
इसके अलावा, सऊदी अरब में करीब 26 लाख भारतीय काम करते हैं। इनसे भी हर साल अरबों डॉलर भारत आते हैं। RBI के सर्वे के मुताबिक, विदेश में काम करने वाले भारतीयों से जितना भी पैसा भारत आता है, उसमें सऊदी अरब चौथा सबसे बड़ा देश है। हालांकि, कुछ सालों में सऊदी अरब की हिस्सेदारी थोड़ी कम जरूरी हुई है। 2016-17 में विदेश से भारतीयों ने जितना पैसा भेजा था, उसमें से 11.6 फीसदी सऊदी से आया था। 2023-24 में यह घटकर 6.7 फीसदी हो गया। अब इस मामले में अमेरिका पहले नंबर पर हो गया है।
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