logo

ट्रेंडिंग:

12 मरे, फोन-इंटरनेट बंद; ऐसा क्या हुआ कि हिंसा की आग में जल उठा PoK?

PoK में चार दिन से हिंसा हो रही है। अपनी 38 मांगों को लेकर स्थानीय लोग सड़कों पर हैं। इस हिंसा में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। मगर ऐसा क्यों हुआ? मांगें क्या हैं? जानते हैं।

pok protest

PoK में JKJAAC का विरोध प्रदर्शन। (File Photo Credit: PTI)

पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एक बार फिर हिंसा भड़क गई है। अपनी मांगों को लेकर स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए हैं। स्थानीय लोगों की आवाज दबाने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने PoK में हजारों सैनिकों को तैनात कर दिया है। पिछले तीन दिन से PoK में सुरक्षाबलों और स्थानीयों के बीच हिंसक झड़पें हो रही हैं। बताया जा रहा है कि अब तक इस हिंसा में 12 नागरिकों की मौत हो चुकी है। 


PoK में इसकी शुरुआत 29 सितंबर को तब हुई, जब जम्मू-कश्मीर जॉइंट आवामी ऐक्शन कमेटी (JKJAAC) ने बंद और चक्का जाम बुलाया था। स्थानीय लोग पाकिस्तान की सरकार से नाराज हैं और उनकी कई मांगें हैं। JKJAAC का दावा है कि सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही है। स्थानीय लोगों का यह भी दावा है कि पाकिस्तानी सरकार को लेकर लोगों में हताशा बढ़ती जा रही है और 29 तारीख को यह बंद इसीलिए बुलाया गया था।


लेकिन स्थानीयों की मांगें सुनने की बजाय पाकिस्तान की सरकार ने हजारों की संख्या में पुलिसकर्मी और सैनिकों को तैनात कर दिया। अपनी मांगों को लेकर जब JKJAAC के बैनर तले लोग मार्च निकाल रहे थे, तभी सुरक्षाबलों के साथ झड़प हो गई, जो कुछ ही देर में हिंसा में बदल गई। 

 

यह भी पढ़ें-- हर दिन 3,500 करोड़ का नुकसान; US में शटडाउन का क्या असर हो रहा?


चश्मदीदों ने बताया कि 29 तारीख को शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकाली जा रही थी। पुलिस और सुरक्षाबलों के जवान भी इसकी सुरक्षा में तैनात थे। मगर तभी पुलिस ने लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद ही यहां हिंसा भड़क गई। 

 


इन झड़पों में अब तक 12 नागरिकों के मारे जाने की खबर है। कुछ पुलिसकर्मियों की भी मौत हुई है लेकिन इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी अब तक सामने नहीं आई है। इस बीच पाकिस्तान की जियो न्यूज ने बताया है कि विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार ने JKJAAC को बातचीत के लिए बुलाया है।

पाकिस्तानी सरकार से नाखुश हैं PoK के लोग!

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ PoK में इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं। पिछले साल भी फरवरी और मई में PoK में स्थानीयों ने विरोध प्रदर्शन किए थे। हालांकि, अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान की सरकार इन विरोध प्रदर्शनों को ताकत के दम पर दबाने की कोशिश करती है।


स्थानीय लोगों में महंगाई, बेरोजगारी, गेहूं और आटा पर सब्सिडी खत्म करने, टैक्स और बिजली जैसे मुद्दों को लेकर गुस्सा है। स्थानीय लोग पाकिस्तानी सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं। 

 


पिछले साल जब PoK में प्रदर्शन हुए थे, तब स्थानीय लोगों ने दावा किया था कि अमीरों और ताकतवर लोगों को चौबीसों घंटे बिजली मिलती है लेकिन गरीबों के घर पर 18-18, 20-20 घंटे की कटौती की जाती है।

 

यह भी पढ़ें-- अफ्रीका में रूस और अमेरिका के बीच कौन सी जंग चल रही?

क्या है JKJAAC की मांगें?

JKJAAC का कहना है कि उन्होंने सरकार के सामने कुछ मांगें रखी थीं, जिसे लेकर दो साल पहले समझौता हुआ था। JKJAAC का दावा है कि दो साल बाद भी सरकार ने उन मांगों को पूरा नहीं किया है। 


JKJAAC ने अपनी 38 मांगें सरकार के सामने रखी हैं। इनमें तीन बड़ी मांग हैं। पहली- विधानसभा में 12 सीटें जो शरणार्थियों के लिए आरक्षित हैं, उसे खत्म किया जाए। दूसरी- मंत्रियों की संख्या कम की जाए। और तीसरी- अमीरों और ताकतवर लोगों को मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जाए।


इसके अलावा, स्थानीय लोगों ने टैक्स में राहत देने, नए रोड प्रोजेक्ट शुरू करने, आटा और बिजली पर सब्सिडी देने और प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने की मांग भी की है।

 

यह भी पढ़ें-- इजरायल-हमास में होगा सीजफायर? क्या है ट्रंप का 20 पॉइंट का पीस प्लान

 

सरकार का क्या है कहना?

सरकार का दावा है कि JKJAAC की ज्यादातर मांगों को पहले ही मान लिया गया है। पाकिस्तान सरकार में मंत्री तारिक फजल चौधरी ने बुधवार को PoK के प्रधानमंत्री चौधरी अनवरुल हक के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी।


इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में फजल चौधरी ने दावा किया कि JKJAAC की 90% मांगों को पहले ही माना जा चुका है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बाकी मांगों को लेकर भी बात चल रही है। 


उन्होंने कहा कि JKJAAC की दो मांगों- शरणार्थियों के लिए आरक्षित सीटों को खत्म करने और मंत्रियों की संख्या घटाने के लिए संविधान में संशोधन करना होगा। उन्होंने कहा कि इन दोनों मुद्दों पर बातचीत करने के लिए सरकार तैयार है। 

 


फजल चौधरी ने कहा कि इस तरह के विरोध प्रदर्शनों का न तो कोई नतीजा निकलेगा और न ही कोई समाधान होगा। उन्होंने कहा, 'हम हिंसा नहीं चाहते। और न ही हम चाहते हैं कि हमारे दुश्मन को इससे कोई फायदा हो।' उन्होंने बताया था कि 12 घंटे की बातचीत पहले हो चुकी है और एक समझौता भी हुआ है। कमेटी ने दस्तावेज में सुधार की मांग की थी, जिसे मान लिया गया है।


वहीं, PoK के प्रधानमंत्री अनवरुल हक ने कहा कि विवादों को सुलझाने का एकमात्र सभ्य तरीका बातचीत है। उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन करने का कोई फायदा नहीं है। उन्होंने विरोध प्रदर्शन खत्म करने और बातचीत की टेबल पर आने की अपील की।

 

यह भी पढ़ें-- अमेरिका के सताए देश ही बनेंगे ट्रंप के लिए काल? जान लीजिए कैसे?

अभी कैसे हैं PoK में हालात?

PoK में अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि इन हिंसक प्रदर्शनों में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 


रविवार से ही मोबाइल और इंटरनेट सर्विस बंद है। स्थानीय मीडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मोबाइल और इंटरनेट पर यह बैन अभी लगा रहेगा। 


कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रावलकोट और सुधनोटी में भी हुए थे। भीम्बेर में भी एक रैली हुई थी, जिसे PoK के प्रधानमंत्री अनवरुल हक के भाई एहसान उल हक ने संबोधित किया था।

Related Topic:#PoK

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap