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 यूक्रेन का दावा- रूस ने चेरनोबिल न्यूक्लियर प्लांट पर किया हमला

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलिंस्की ने दावा किया है कि रूस ने ड्रोन के जरिए चेरनोबिल पर हमला किया है। उनके मुताबिक हमले की वजह से इससे आग की लपटें निकलने लगीं।

chernobyl power plant:  Photo Credit: X/ @ZelenskyyUa

चेरनोबिल पावर प्लांट । Photo Credit: X/ @ZelenskyyUa

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने दावा किया है कि रूस ने ड्रोन के जरिए चेरनोबिल पावर प्लांट पर गुरुवार की रात को हमला किया है। हालाकि, यूक्रेन की स्टेट इमरजेंसी सर्विस ने बाद में कहा कि रेडिएशन बैकग्राउंड लिमिट सामान्य सीमा के भीतर बनी हुई है।

 

ज़ेलेंस्की ने एक्स पर कहा, 'एक हाई-एक्स्प्लोसिव वारहेड से लोडेड एक रूसी अटैक ड्रोन ने एक सुरक्षा दीवार पर हमला किया जो कि पहले से नष्ट हो चुकी चौथी पावर यूनिट से निकलने वाले रेडिएशन से दुनिया को बचाने का काम कर रही थी।'

 

ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूनिट को कवर करने वाला कंक्रीट शेल्टर नष्ट हो गया और इससे आग की लपटें निकलने लगीं। उन्होंने आगे कहा, 'रेडिएशन का स्तर बढ़ा नहीं है और इस पर लगातार नज़र बनाए हुए हैं।

 

शुरुआती अनुमानों के मुताबिक शेल्टर को काफी नुकसान पहुंचा है।

 

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जेलेंस्की ने पोस्ट किया वीडियो

जेलेंस्की द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो में एक बड़ी बिल्डिंग से आग की लपटें निकलती हुई दिख रही हैं। 

 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने एक्स पर कहा कि स्थानीय समयानुसार सुबह 2 बजे से कुछ पहले चेरनोबिल साइट पर मौजूद उनकी टीम ने 'न्यू सेफ कन्फाइनमेंट से एक विस्फोट की आवाज सुनी, इसके बाद आग लग गई। यह आग चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट के रिएक्टर संख्या 4 के बचे हुए अवशेषों से निकलने वाले रेडिएशन से दुनिया की सुरक्षा करने वाले शेल्टर में लगी थी।'

 

 

IAEA ने आगे कहा कि उन्हें सूचना मिली थी कि ड्रोन से एनएससी की छत पर हमला हुआ है।

क्या थी चेरनोबिल दुर्घटना

साल 1986 में बेलारूस के पास यूक्रेन के बॉर्डर पर चेरनोबिल में न्यूक्लियर रिएक्टर के यूनिट 4 में एक विस्फोट के साथ आग लग गई थी। इसकी वजह से काफी मात्रा में रेडियोऐक्टिव रेडिएशन निकलने लगा था जो कि सोवियत यूनियन और यूरोप के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता था। इस रेडिएशन से बचने के लिए बाद में इसे कंक्रीट और स्टील की दीवारों से कवर कर दिया गया।

 

स्टील की कवरिंग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिल के किया गया था और इसे करने में दशकों लग गए। इसका काम साल 2017 में पूरा हुआ। इसका भार 35 हजार टन है। यह मानव इतिहास में होने वाली काफी खतरनाक दुर्घटना थी और इसकी वजह से कुल लगभग 700 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।

लगाए और भी आरोप

इसके अलावा यूक्रेन ने यह भी आरोप लगाया कि गुरुवार की रात में रूस के द्वारा 133 ड्रोन से यूक्रेन पर हमला किया गया जिसमें से 58 ड्रोन टारगेट तक नहीं पहुंच सके। यूक्रेन की सेना के मुताबिक हमले के जरिए यूक्रेन के 11 अलग अलग क्षेत्रों को निशाना बनाने की कोशिश की गई।

 

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