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असद के तख्तापलट के बाद सीरिया में पहले आम चुनाव पर क्यों उठ रहे सवाल?

बशर अल-असद सरकार के तख्तापलट के बाद सीरिया में पहली बार आम चुनाव हो रहे हैं। मंगलवार को वोटिंग हो चुकी है और अब काउंटिंग हो रही है। हालांकि, इस चुनाव पर सवाल भी उठ रहे हैं।

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सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा। (Photo Credit: PTI)

सीरिया में बशर अल-असद की सत्ता जाने के बाद पहली बार संसदीय चुनाव हुए। वोटों की गिनती शुरू हो गई है। यह देश के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि लगभग 14 साल के गृहयुद्ध के बाद चुनाव हुए हैं। सीरिया की हायर इलेक्शन कमेटी के प्रवक्ता नवर नजमे ने स्थानीय मीडिया को बताया कि चुनाव हो चुके हैं और वोटों की गिनती की जा रही है। उन्होंने बताया कि सोमवार को विजेताओं के नाम का ऐलान कर दिया जाएगा।


सीरिया में लगभग 50 साल तक असद परिवार की सत्ता थी। साल 2000 से 8 दिसंबर 2024 तक बशर अल-असद सीरिया के राष्ट्रपति थे। उनसे पहले 1971 से 2000 तक उनके पिता हाफिज अल-असद राष्ट्रपति थे। पिछले साल 8 दिसंबर को बशर अल-असद की सत्ता का तख्तापलट हो गया था। इसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर-अल-शाम (HTS) सरकार चला रहा है। कभी अल-कायदा का आतंकी रहा अहमद अल-शारा सीरिया का राष्ट्रपति है।


हालांकि, सीरिया में हुए इस पहले चुनाव पर विवाद भी हो रहा है। वह इसलिए, क्योंकि यह लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हो रहे हैं। इसमें जनता ने वोट नहीं डाला है। आलोचकों का कहना है कि इससे सत्ता के सीरिया के नए शासकों के हाथों में ही केंद्रित रहने की संभावना है।

 

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चुनाव प्रक्रिया पर क्यों उठ रहे सवाल?

सीरिया के लोग असद परिवार की सत्ता से नाराज थे। उन्हीं की सरकार में सीरियाई लोगों पर अत्याचार हुए और लगभग 11 साल तक गृहयुद्ध चलता रहा। यही कारण है कि दिसंबर में जब असद सरकार का तख्तापलट हुआ तो लोगों ने भी इस पर जश्न मनाया।


उम्मीद थी कि असद सरकार के जाने के बाद लोगों को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सीरिया में जो चुनाव हो रहे हैं, वह लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हो रहे हैं। 


सीरिया की पीपुल्स असेंबली में 210 सीटें हैं। पहले 270 सीटें हुआ करती थीं। इन 210 सीटों में से 70 पर चुनाव सीधे अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा करेंगे। बाकी बची 140 सीटों के लिए सब-कमेटियों ने वोटिंग की। इन सब-कमेटियों के ऊपर एक 11 सदस्यों की सुप्रीम कमेटी है, जिसे अहमद अल-शरा ने नियुक्त किया है।


इन सब-कमेटियों में लगभग 6 हजार सदस्य हैं। इन सब-कमेटियों को भी एक तरह से अल-शरा की सरकार ने ही नियुक्त किया है। यही सदस्य इस चुनाव में वोट कर रहे हैं।


140 सीटों के लिए 1,570 उम्मीदवार मैदान में हैं। राजधानी दमिश्क में 11 सीटों के लिए 490 उम्मीदवार हैं। यहां इलेक्टोरल कॉलेज के 500 वोट हैं। 

 

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लेकिन लोगों ने क्यों नहीं डाला वोट?

उम्मीद थी कि जब चुनाव होंगे तो जनता भी वोट डालेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अल-जजीरा के मुताबिक, सीरियाई अधिकारियों का कहना है कि 14 साल तक चले गृह युद्ध के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और इस कारण डेटा नहीं है। इसलिए अभी आम लोगों को वोटिंग का अधिकार नहीं मिला है।

 

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अब आगे क्या होगा?

अभी भी पीपुल्स असेंबली की 32 सीटें खाली ही रहेंगी। वह इसलिए क्योंकि सीरिया के सुवैदा और उत्तर-पूर्वी प्रांत में वोटिंग नहीं हुई। इन प्रांतों में कुर्दिश लड़ाकों का दबदबा है। इसलिए अभी यहां वोटिंग नहीं करवाई गई है।


कुल मिलाकर, 210 सीटों में से 178 सदस्यों के साथ सीरिया की सरकार चलेगी। सोमवार या मंगलवार तक चुनाव नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।


नई संसद के लिए जिन सदस्यों को चुना जाएगा, उनका कार्यकाल 30 महीने का होगा। ऐसा इसलिए ताकि चुनाव तैयारियों के लिए समय मिल सके। बताया जा रहा है कि इसके बाद आम चुनाव कराए जा सकते हैं।

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