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रिवेंज कंटेंट और डीपफेक पर बना अमेरिका का टेक इट डाउन एक्ट क्या है?

अमेरिका में डीपफेक और बिना सहमति के आपत्तिजनक सामग्री शेयर करने को 'टेक इट डाउन एक्ट' के तहत आपराधिक कर दिया गया है। सोमवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बिल पर साइन किए।

donald trup and melania trump

राष्ट्रपति ट्रंप और मेलानिया ट्रंप, photo credit: social media

दुनियाभर में डीपफेक, रिवेंज पोर्न और बिना सहमति के किसी की आपत्तिजनक फोटो और वीडियो शेयर करने के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'टेक इट डाउन एक्ट' पर साइन किए हैं जिससे रिवेंज पोर्न और बिना सहमति के किसी के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो शेयर करने पर रोक लगा दी गई है। डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया ट्रंप ने सोमवार को इस बिल पर साइन किए। इस बिल के लिए मेलानिया ट्रंप ने मार्च के महीने में उन्होंने सीनेट के सदस्यों से बातचीत कर इस बिल पर सहमति बनाई थी। 

 

फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रंप ने इस कानून को पास करवाने के लिए कैंपेन चलाया था। इस कानून के जरिए रिवेंज पोर्न और बिना सहमति के आपत्तिनक फोटो या वीडियो शेयर करने पर सजा दी जा सकेगी। वाइट हाउस की तरफ से इस मुद्दे पर बात करते हुए प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि फर्स्ट लेडी मेलानिया  ट्रंप ने इस कानून को पास करवाने में आहम भूमिका निभाई है। इस कानून के बाद एआई से बने डीपफेक पर भी अब सजा हो सकेगी। मेलानिया ट्रंप ने एक समारोह के दौरान कहा, 'आज टेक इट डाउन एक्ट के जरिए हम यह यह बताना चाहते हैं कि हमारे बच्चों की भलाई हमारे परिवारों और अमेरिका के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।'

 

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कानून बनने से क्या होगा?


इस कानून में रिवेंज पोर्न और बिना सहमति के आपत्तिजनक फोटो शेयर करने को अपराध माना गया हैऔर इसमें आपराधिक सजा का प्रावधान किया गया है। कानून में सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी मिलने पर सोशल मीडिया से आपत्तिजनक पोस्ट या वीडियो 48 घंटे के अंदर हटाने के लिए बाध्य किया गया है और संघीय व्यापार आयोग को इसे लागू करने का अधिकार दिया गया है। एआई को ध्यान में रखते हुए डीपफेक को भी इसमें शामिल किया गया है। 
 
कानून का विरोध क्यों?


अमेरिका में एक तबका ऐसा भी है जो इस कानून का विरोध कर रहा है। अमेरिका की सीनेट ने तो इस बिल को सर्वसम्मति से पास कर दिया लेकिन फिर भी इसका विरोध हो रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि इस कानून को बहुत ज्यादा बढ़ा कर पेश किया गया है। इसकी वजह से सहमति से शेयर किया गया पोर्न और एलजीबीटीक्यू कंटेट पर पाबंदी लगाई जा सकती है।  कुछ लोगों का मानना है कि इस कानून से सरकार लोगों की निजी जिंदगी में निगरानी कर सकती है। 

 

क्यों जरूरी था कानून?


इस कानून की आवश्यता तब महसूस की गई जब एआई की मदद से पोर्न वीडियो बनाकर इंटरनेट पर डाला जाने लगा। एआई से बने यह वीडियो असली लगते थे और इन वीडियो में बड़ी हस्तियों को टारगेट किया जाता है। लोगों ने एआई को हथियार बना लिया है जिससे अक्सर महिलाओं और बड़ी हस्तियों को टारगेट बनाया जाता है। 

 

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टेक इट डाउन एक्ट ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के दौरान साइन किए गए सबसे हाई प्रोफाइल तकनीकी कानूनों में से एक है। इस कानून के लिए कई पीड़ितों और कई संस्थाओं ने भी मुहिम चलाई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बिल से जुड़े समारोह में कहा, 'एआई इमेज जनरेशन के बढ़ने के साथ, अनगिनत महिलाओं को उनकी सहमति के बिना डीपफेक और आरत्तिजनक फोटो के साथ परेशान किया गया है। यह बहुत ही गलत है और यह बहुत ही अपमानजनक स्थिति है।' इस बिल के बाद अब इस तरीके के घिनौने काम करने वालों को कड़ी सजा दी जा सकेगी। 

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