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तुर्की ने फिर कश्मीर पर क्या बोल दिया जो भारत को अखर गया?

तुर्की ने एक बार फिर कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में बयान दिया है जिस पर भारत ने आपत्ति जताई है और कहा कि किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं।

Recep Tyipp Erdogan । Photo Credit: PTI

रेसेप तैय्यप एर्दोगन । Photo Credit: PTI

भारत ने शुक्रवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन के जम्मू-कश्मीर पर दिए गए बयान को ‘आपत्तिजनक’ बताया और इसे सख्ती से खारिज कर दिया। भारत ने स्पष्ट किया कि यह मुद्दा पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच का है और इसमें किसी तीसरे देश के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'कश्मीर पर भारत का रुख बहुत साफ है और इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। भारत-पाकिस्तान के बीच के इस मुद्दे में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है।'

 

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क्या बोला तुर्की?

यह बयान तब आया जब एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम समझौते से तुर्की 'खुश' है और इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत से हल करने की बात कही। एर्दोगन पहले भी पाकिस्तान का समर्थन कर चुके हैं, जिसकी भारत ने कड़ी आलोचना की थी। 

 

जायसवाल ने एर्दोगन के बयान को 'आपत्तिजनक' बताते हुए कहा कि भारत ने तुर्की के राजदूत के सामने कड़ा विरोध दर्ज किया है। उन्होंने कहा, 'भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर इस तरह के अनावश्यक बयान अस्वीकार्य हैं।'

 

जायसवाल ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में समस्या की जड़ पाकिस्तान की हरकतें हैं। उन्होंने कहा, 'बेहतर होता अगर पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद की नीति की निंदा की जाती, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।'

जयशंकर ने की मुलाकात

इसके अलावा, जायसवाल ने बताया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में साइप्रस के विदेश मंत्री से मुलाकात की और उत्तरी साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र के ढांचे के आधार पर 'विस्तृत और स्थायी समाधान' के लिए भारत के समर्थन की पुष्टि की। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने, क्वॉड के तहत मुक्त और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापार, ऊर्जा, और महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की।

 

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भारत का यह कड़ा रुख तब आया है जब तुर्की और पाकिस्तान के बीच संबंध मजबूत हो रहे हैं। खबरों के अनुसार, भारत के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सेना ने तुर्की निर्मित ड्रोनों का इस्तेमाल किया था।

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