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तुर्की के करीब काला सागर में 'विराट' पर हमला, किस देश ने ली जिम्मेदारी?

तुर्की के समुद्री तट के करीब रूस के दो तेल टैंकरों पर बड़ा हमला हुआ है। दोनों टैंकरों को समुद्री ड्रोन से निशाना बनाया गया है। हालांकि समय रहते चालक दल के सभी सदस्यों को बचा लिया गया है। इस मामले में अब तक क्या पता चला है? आइये जानते हैं।

Russian oil tanker Virat

तेल टैंकर विराट पर हमला। (Photo Credit: Social Media)

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काला सागर में शनिवार को रूस के दो तेल टैंकरों पर बड़े हमले को अंजाम दिया गया। सोशल मीडिया पर तेल टैंकर पर हमले का वीडियो वायरल है। अभी तक की जांच में पता चला है कि इन तेल टैंकरों को समुद्री मानवरहित ड्रोन से निशाना बनाया गया है। इससे पहले शुक्रवार को भी इन्हीं में से एक तेल टैंकर पर हमला हो चुका है। इस बीच यूक्रेन ने रूसी तेल टैंकरों पर हमले की जिम्मेदारी ले ली है। 

 

यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के एक अधिकारी के मुताबिक रूस के शैडो फ्लीट के टैंकरों पर हमला करने का संयुक्त अभियान एसबीयू और यूक्रेन की नौसेना ने चलाया। कीव इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों टैंकरों की क्षमता 70 मिलियन डॉलर के तेल को ले जाने की है। हमले के बाद रूस की तेल निर्यात क्षमता को बड़ा झटका लगा है।

 

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यूक्रेनी खुफिया एजेंसी ने जारी किया वीडियो

यूक्रेनी खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने रूसी टैंकरों पर हमले का कथित वीडियो पेश किया और कहा, 'दोनों टैंकरों पर प्रतिबंध लगा था। हम यूक्रेन के खिलाफ रूस की वित्तीय सहायता को कम करने में लगे हैं।' इस बीच टैंकर चालक दल का एक ऑडियो भी खूब वायरल है। इसमें चालक दल ने एक इंटरसेप्टेड ओपन-फ्रीक्वेंसी रेडियो इमरजेंसी कॉल पर ड्रोन हमले की जानकारी दी। ऑडियो में चालक दल का सदस्य कह रहा है कि यह विराट है। मदद चाहिए, ड्रोन हमला, मेडे! 

 

यहां देखें वीडियो-

 

 

तुर्की के तट के करीब हुए हमले

यूक्रेनी अधिकारियों के मुताबिक 'सी बेबी नेवल ड्रोन' से इन तेल टैंकरों पर हमला किया गया है। दोनों टैंकरों की पहचान कैरोस और विराट के तौर पर हुई है। माना जाता है कि ये दोनों टैंकर रूस के शैडो फ्लीट का हिस्सा हैं, जो प्रतिबंधों से बचने में काम आते हैं। इनकी मदद से रूस दुनियाभर में तेल की आपूर्ति करता है। दोनों टैंकरों पर हमला काला सागर में तुर्की के तट के करीब हुआ।

 

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हमले की सूचना मिलने के तुरंत बाद तुर्की तट रक्षक और अन्य टीमों ने राहत एवं बचाव अभियान शुरू किया। दोनों जहाजों में सवार चालक दल के करीब 25 सदस्यों को बचा लिया गया है। तुर्की परिवहन मंत्रालय ने एक्स पर जानकारी दी कि रूसी टैंकरों पर मानवरहित ड्रोन से हमला हुआ है। विराट में आग नहीं लगी है। उसे मामूली क्षति पहुंची है। 

रूस के दोनों तेल टैंकरों के बारे में जानें

बताया जा रहा है कि कैरोस और विराट तेल टैंकर पर गाम्बिया का झंडा लगा था। पहला हमला कैरोस पर उस वक्त हुआ जब वह तुर्की के तट से करीब 28 समुद्री मील की दूरी पर था। कैरोस पर हमले के कुछ समय बाद विराट को निशाना बनाया गया। यह टैंकर भी तुर्की के तट से लगभग 35 समुद्री मील की दूरी पर था। कैरोस तेल टैंकर मिस्र से रूस के नोवोरोस्सिय्स्क बंदरगाह की तरफ खाली जा रहा था। विराट का निर्माण साल 2018 में हुआ था। वहीं करीब 23 साल पहले यानी 2002 में कैरोस का निर्माण हुआ था।

 

विराट: सबसे पहले जनवरी 2025 में अमेरिका ने विराट पर प्रतिबंध लगाया। इसके बाद यूरोपीय संघ, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा ने भी एक्शन लिया। ओपनसैंक्शंस की वेबसाइट के मुताबिक गांबिया से पहले विराट पर बारबाडोस, कोमोरोस, लाइबेरिया और पनामा के झंडे लगाकर रूस ने तेल की आपूर्ति की।

 

कैरोस: 23 साल पुराने इस टैंकर पर इसी साल जुलाई महीने में सबसे पहले यूरोपीय संघ और बाद में यूके व स्विट्जरलैंड ने प्रतिबंध लगाया। कैरोस भी लाइबेरिया, ग्रीक और पनामा के झंडों का इस्तेमाल कर चुका है। ओपनसैंक्शंस की वेबसाइट के मुताबिक यह तेल टैंकर प्रतिबंधों को दरकिनार करते हैं। किसी तीसरे देश के झंडे के सहारे तेल की आपूर्ति करते हैं और रूस को अरबों डॉलर का फायदा पहुंचाते हैं।

 

 


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