दक्षिण अमेरिकी देश उरुग्वे की सीनेट ने इच्छा मृत्यु को अपराधमुक्त करने के लिए एक कानून पारित कर दिया है। इस कानून को पारित करने से यह देश उन चंद दक्षिण अमेरिकी देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां गंभीर रूप से बीमार मरीज अपना जीवन खत्म करने के लिए कानूनी रूप से मंजूरी प्राप्त कर सकते हैं। बुधवार को सीनेट में यह बिल पास होने के बाद उरुग्वे कैथोलिक बहुल लैटिन अमेरिका में कानून के तहत इच्छामृत्यु की अनुमति देने वाला पहला देश बन गया है।
उरुग्वे में लेफ्ट गठबंधन की सरकार है। इस गठबंधन की सीनेटर पेट्रीसिया क्रेमर ने देश की राजधानी मोंटेवीडियो में इस बिल के बारे में बात करते हुए सांसदों से कहा, 'जनता की मांग है कि हम इस बिल को पारित करवाएं और हमें जनमत पर विचार करना होगा।' इस देश में पिछले पांच साल से अलग-अलग समय पर इस कानूनी की मांग की जा रही थी। पांच साल बाद अब इस बिल को सीनेट की मंजूरी मिल गई है। उरुग्वे की सदन में 31 में से 20 सीनेटर ने बिल के पक्ष में वोट किया। उरुग्वे की संसद के निचले सदन में इस बिल को अगस्त में ही भारी बहुमत के साथ पास कर दिया गया था।
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विरोध के बीच पास हुआ बिल
इस बिल को लेकर उरुग्वे में विरोध भी हो रहा है लेकिन गठबंधन की सरकार ने विरोध को नजरअंदाज करते हुए बिल को पारित कर दिया है। बुधवार को भी इस बिल पर वोटिंग होने से पहले सदन में 10 घंटे तक बहस चली। कुछ सांसदों ने इस बिल को पास करना बहुत कठिन बताया तो कुछ सांसदों ने इस बहस में गठबंधन सरकार को हत्यारा कहा। वहीं, सदन में ही कुछ दर्शकों ने बिल पारित होने के बाद सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और उन्हें हत्यारा कहा।
राइट विंग के लोग कर रहे विरोध
इच्छामृत्यु के पक्ष में उरुग्वे की लेफ्ट सरकार में तो एकमत था लेकिन राइट विंग के लोग इसके विरोध में थे। वहीं, इसे एक धार्मिक लड़ाई भी बना दिया गया क्योंकि कैथोलिक चर्च इसके विरोध में था। पांच साल के संघर्ष के बाद यह बिल पारित हो गया। हालांकि, राइट विंग के संगठन अभी भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि हाल ही में किए गए एक सर्वे में पता चला है कि 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग उरुग्वेवासी कानूनी इच्छा मृत्यु का समर्थन करते हैं, जबकि केवल 24 प्रतिशत लोग इसका विरोध करते हैं।
किसको मिलेगी इच्छामृत्यु?
अमेरिकी राज्यों, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इच्छामृत्यु के लिए वही लोग अप्लाई कर सकते हैं जिनके जीने की संभावना छह महीने या एक साल से ज्यादा नहीं है। हालांकि, उरुग्वे में ऐसा नहीं है। उरुग्वे में उन सभी लोगों को इच्छा मृत्यु के लिए अप्लाई करने का अधिकार होगा जो असहनीय दर्द झेल रहे हैं और किसी लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं। इच्छामृत्यु का अधिकार उन्हीं लोगों को मिलेगा जो मानसिक रूप से ठीक हैं।
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पहले भी पारित हो चुके हैं उदार कानून
यह पहली बार नहीं है जब उरुग्वे ने इस तरह का उदार कानून पारित किया हो। यह देश मनोरंजन के लिए मारिजुआना को वैध बनाने वाला दुनिया का पहला देश था और एक दशक से भी पहले समलैंगिक शादी और गर्भपात की अनुमति देकर इस देश ने अपनी उदारवादी नीति को दुनिया के सामने रखा था। इस कानून की मांग करने वालों का कहना है कि इससे उरुग्वे की इस क्षेत्र के सबसे सामाजिक रूप से उदार देशों में से एक के रूप में पहचान और मजबूत हुई है। इस कानून पर उपराष्ट्रपति कैरोलिना कॉसे ने कहा, 'यह एक ऐतिहासिक घटना है जो उरुग्वे को मानवीय और संवेदनशील मुद्दों पर फैसले लेने में दुनिया से आगे रखता है।'