अमेरिका में शटडाउन का खतरा टल गया है। अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट से भी फंडिंग बिल पास हो गया है। अब इस बिल को राष्ट्रपति जो बाइडेन के पास भेजा जाएगा। इस बिल के पास होने के बाद अब अमेरिका में सरकारी शटडाउन का खतरा टल गया है। इस बिल का आज ही पास होना जरूरी था। अगर सीनेट में यह बिल अटकता तो शटडाउन लागू हो जाता।
इससे पहले अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में शटडाउन टालने के लिए शुक्रवार को फंडिंग बिल लाया गया था। इस बिल के पक्ष में 366 वोट पड़े। 34 रिपब्लिकन सांसदों ने बिल के विरोध में वोट किया। इस तरह से यह बिल 34 के मुकाबले 366 वोट से पास हो गया।
इस बिल में क्या है?
फंडिंग बिल पास होने से अब अमेरिका और कर्ज ले सकता है। अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप में कर्ज की सीमा में छूट की मांग की थी लेकिन इसे बिल में शामिल नहीं किया गया है। इस बिल के पास होने पर अब सरकार खर्च कर सकेगी। अगर यह बिल सीनेट में अटकता तो सरकारी खर्च में कटौती करनी पड़ती। राष्ट्रपति बाइडेन की मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन जाएगा। बिल में सरकार ने किसानों और प्राकृतिक आपदा से बचे लोगों के लिए 110 अरब डॉलर का राहत पैकेज रखा था।
बिल अटकता तो क्या होता?
अगर यह बिल सीनेट में अटक जाता तो आज आधी रात से ही अमेरिका में शटडाउन लागू हो जाता। शटडाउन होने का मतलब सरकारी एजेंसियां काम बंद कर देतीं। सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया जाता।
माना जा रहा है कि अगर शटडाउन लगता तो 8.75 लाख कर्मचारियों को बिना सैलरी के ही छुट्टी पर भेज दिया जाता। जबकि, इमरजेंसी सर्विसेस से जुड़े 14 लाख कर्मचारियों को भी बिना सैलरी के ही काम करना पड़ता। आखिरी बार जब 2018 में शटडाउन लगा था तो 20 लाख कर्मचारियों पर इसका असर पड़ा था।
बिल पास कराना कितना जरूरी था?
अमेरिका कुछ चंद मुल्कों में से एक है जहां कर्ज लेने की एक सीमा तय है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार अपनी मर्जी से कितना भी कर्ज नहीं ले सकती। यही वजह है कि सरकार अब फंडिंग बिल लेकर आई है, ताकि कर्ज की सीमा को बढ़ाया जा सके।
आखिरी बार मई 2023 में कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाया गया था। उस वक्त अमेरिकी सरकार पर 31.46 ट्रिलियन डॉलर का कर्जा था। सरकार को देश चलाने के लिए और कर्ज की जरूरत थी। ऐसे में बाइडेन सरकार ने फंडिंग बिल पास कर कर्ज लेने की सीमा बढ़ाई थी। अगर उस वक्त यह बिल पास नहीं होता तो शटडाउन लग जाता।
अमेरिकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, अभी सरकार पर 36 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। अब इस बिल को सीनेट से पास कराना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि अगर यह अटकता तो इससे अमेरिकी सरकार के पास खर्च के लिए पैसे नहीं बचते। कई सरकारी संस्थानों पर ताला लटक जाता। साथ ही साथ लाखों कर्मचारी छुट्टी पर भेज दिए जाते। इस सबका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता और आने वाली ट्रंप सरकार पर दबाव बढ़ जाता।
शटडाउन लगता तो क्या असर होता?
पिछले 50 साल में फंडिंग बिल अटकने की वजह से अमेरिका में 20 बार शटडाउन लगा है। आखिरी बार ट्रंप की सरकार में दिसंबर 2018 में 35 दिन के शटडाउन रहा था। उस वक्त शटडाउन की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 11 अरब डॉलर का घाटा हुआ था।
अमेरिका में अगले महीने 20 जनवरी को ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। ट्रंप चाहते हैं कि शटडाउन लगना है तो अभी लग जाए या फिर कर्ज लेने की सीमा बढ़ जाए, ताकि देश चल सके।
अगर शटडाउन लगता तो अमेरिकी सरकार को अपने खर्चों में कटौती करनी होती। साथ ही साथ सरकारी कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना पड़ता। हालांकि, इमरजेंसी सर्विसेस चालू रहतीं लेकिन इनमें काम करने वाले कर्मचारियों को भी सैलरी नहीं मिलती।
ट्रंप चाहते थे कि कर्ज लेने की सीमा को ही खत्म कर देना चाहिए। इसकी वजह ये है कि अगर कर्ज लेने की सीमा है और फंडिंग बिल अटकता तो शटडाउन लग सकता था। शटडाउन अगर लगता तो अमेरिका पर दिवालिया होने का खतरा भी बढ़ सकता था। हालांकि, आज तक अमेरिका कभी कर्ज के कारण दिवालिया नहीं हुआ है।
अगर अमेरिका दिवालिया होता है तो इसे सिर्फ उसकी ही नहीं, बल्कि दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर बड़ा संकट पैदा हो जाएगा। दुनियाभर के स्टॉक मार्केट में खलबली मच जाएगी, जिससे इन्वेस्टर्स को नुकसान होगा। वैश्विक कारोबार पर भी असर पड़ेगा। पिछले साल मूडीज ने अपने एनालिसिस में बताया था कि अगर अमेरिका लंबे समय तक दिवालिया रहता है तो 78 लाख अमेरिकियों की नौकरी चली जाएगी। ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। बेरोजगारी दर 8 फीसदी को पार कर जाएगी। और तो और, स्टॉक मार्केट में इतनी खलबली होगी, जिससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को 10 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा।