क्यों जल रहा केन्या, जनता और सरकार के बीच असल विवाद क्या है?
केन्या में सरकार के खिलाफ हिंसा और विरोध प्रदर्शन आम बात है। जनता पुलिस के क्रूर दमन से त्रस्त है। जबरन गायब और हिरासत में मौत ने सरकार के प्रति जनता में नाराजगी को जन्म दिया है।

केन्या में सरकार विरोधी हिंसा। ( Photo Credit: X/@ItsJonnie05)
पूर्वी अफ्रीकी देश कन्या इन दिनों जल रहा है। अब तक हिंसा की आग में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। देशभर में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। 25 जून को केन्या में भड़की हिंसा में 16 लोगों की जान गई और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक हिंसा देश की राजधानी नैरोबी में देखने को मिली। केन्या में विरोध प्रदर्शन और हिंसा क्यों भड़की, वहां के युवा अपनी ही सरकार के पीछे क्यों पड़े हैं और पिछले एक साल से केन्या की सरकार कैसे लोगों का दमन कर रही है? इस खबर में आइए सब जानते हैं।
केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो साल 2022 से सत्ता में हैं। उन्होंने आर्थिक प्रगति का वादा किया था। मगर बाद में उनके शासन में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा। पुलिस प्रताड़ना के मामले बड़े। सैकड़ों लोगों को जबरन गायब किया जाने लगा। पिछले साल टैक्स में इजाफा ने पेट्रोल का काम किया। 25 जून 2024 को केन्या के कई शहरों में हिस्सा भड़की। जवाबी एक्शन में केन्या की पुलिस ने 60 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी।
Kenya - Protests over tax hikes, unemployment, and corruption have exploded into nationwide unrest, and now police are firing live rounds
— Culture War Report (@CultureWar2020) June 25, 2025
300 people were injured Wednesday due to unrest in Kenya, 67 of them in critical condition pic.twitter.com/9tFk1i9IQc
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राष्ट्रपति रूटो से जनता नाराज
पिछले साल हुई घटना की बरसी पर हजारों की संख्या में लोग 25 जून जुटे। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उनके हाथों में पिछले साल जान गंवाने वाले युवाओं की फोटो और तख्तियां थीं। केन्याई झंडे के साथ पहुंचे लोगों ने 'रूटो को जाना होगा' जैसे नारे भी लगाए। प्रदर्शन में सबसे अधिक युवाओं की भागेदारी रही है। कहा जाता है कि केन्या की जनता राष्ट्रपति विलियम रूटो के शासन से खुश नहीं है।
पुलिस बर्बरता से आक्रोश
केन्या की जनता पुलिस बर्बरता से परेशान हैं। पुलिस किसी को भी उठा लेती है। उसे पीटना शुरू कर देती है। कई मामलों में बिना वर्दी के पुलिसकर्मियों ने लोगों को सीधे गोली तक मारी है। जून महीने में 31 वर्षीय ब्लॉगर और शिक्षक अल्बर्ट ओजवांग की पुलिस हिरासत में मौत के बाद हिंसक विरोध प्रदर्शन का नया दौर शुरू हुआ। तीन पुलिस अधिकारियों समेत छह लोगों पर हत्या का आरोप लगा है।
हिंसा भड़कने पर पुलिस ने एक शख्स को नजदीक से गोली मारी। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जनता का गुस्सा फूट पड़ा। लोगों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पीड़ित फुटपाथ पर फेस मस्क बेचता था। अल्बर्ट ओजवांग ने उप-पुलिस प्रमुख एलिउड लैगट की आलोचना की थी। इसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और यहां उनकी मौत हुई गई। पिछले 4 महीने में केन्या में 20 लोगों की हिरासत में मौत हो चुकी है।
गुंडों के झुंड से जनता परेशान
केन्या में पुलिस के साथ गुंडों का एक झुंड काम करता है। यह झुंड बाइक पर आता है और प्रदर्शनकारियों की डंडों और कोड़े से पिटाई करता है। इन सशस्त्र गुंडों को पुलिस की शह मिली है। इनके अत्याचार के कारण भी लोगों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही है। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मिलिशिया का इस्तेमाल टकराव और अराजकता को बढ़ाएगा।
BREAKING:
— Visegrád 24 (@visegrad24) June 25, 2025
Serious unrest in Kenya as Gen Z takes to the streets across the county. 10 people shot today, 2 of whom were killed.
The protest comes on the anniversary of last year’s anti-tax protest in which 19 were killed and the parliament was stormed. The youth is also… pic.twitter.com/mKRfXTkETO
कहां-कहां हुई झड़प, टेलीग्राम बैन
बुधवार यानी 25 जून को केन्या की राजधानी नैरोबी समेत कई शहरों में युवाओं की बड़ी भीड़ उमड़ी। सरकार ने प्रमुख सड़कों को बंद कर दिया। सरकारी भवनों की बाड़बंदी की गई, ताकि प्रदर्शनकारी वहां दाखिल न हो सके। हिंसक विरोध प्रदर्शन से केन्या की सरकार सहमी है। उसने टेलीग्राम पर बैन लगा दिया है। इसके अलावा टीवी और रेडियो स्टेशनों को प्रदर्शन की लाइव कवरेज रोकने का आदेश दिया।
राजधानी के करीब माटू शहर में पुलिस और प्रदर्शनकारियों की बीच हिंसक झड़प हुई। किकुयू में भीड़ ने अदालत परिसर को आग के हवाले कर दिया। इसके अलावा मोम्बासा, किटेंगेला, किसिई और न्येरी में हिंसक झड़पें देखने को मिली। बुधवार को हुई ताजा झड़प में 16 लोगों की जान गई और 400 से ज्यादा लोग घायल हैं। घायलों में पुलिस, पत्रकार और प्रदर्शनकारी शामिल हैं। कुछ लोग गोली लगने तो कुछ रबर की गोली और कुछ पिटाई से घायल हुए हैं।
हिंसक प्रदर्शन की वजह
- पुलिस क्रूरता
- जबरन अपहरण
- सरकारी भ्रष्टाचार
- मानवाधिकारों का उल्लंघन
- युवाओं में बढ़ती नाराजगी
- टैक्स में इजाफा
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पिछले साल क्यों भड़की थी हिंसा?
पिछले साल 25 जून को केन्या में हिंसा भड़की थी। यह हिंसा वित्त विधेयक के खिलाफ थी। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी केन्या की संसद में जा घुसे थे। हिंसक प्रदर्शन के बाद सरकार को वित्त विधेयक वापस लेना पड़ा।
आलोचकों को जबरन गायब करने का आरोप
केन्या में सरकार की आलोचना करने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। विरोध प्रदर्शन के बाद से अब तक 80 से अधिक लोग लापता हैं। केन्या पुलिस पर लोगों को जबरन गायब करने का आरोप लगाता है। केन्या की जनता अपने राष्ट्रपति पर तानाशाही का आरोप लगाती है। उसका मानना है कि राष्ट्रपति विलियम रुटो केन्या को 1980-90 के काले दौर में ले जाना चाहते हैं।
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